ट्रक बनाने वाली कंपनी अशोक लेलैंड में छंटनी-तालाबंदी का दौर जारी
एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री महोदय देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का ख्वाब परोस रहे हैं, वहीं ऑटो सेक्टर में गहराती मंदी से तमाम दिग्गज कंपनियों में लेऑफ़, तालाबंदी, छंटनी से मजदूरों पर कहर बरप रहा है...
मुकुल, वरिष्ठ मजदूर नेता
पंतनगर, उत्तराखंड। ऑटो सेक्टर में मंदी का साया और गहराता जा रहा है। इस क्षेत्र की तमाम दिग्गज कंपनियों से लेकर वेंडर कंपनियों में लेऑफ़, तालाबंदी, छंटनी के क्रम में अशोक लेलैंड के पंतनगर प्लांट में इस माह भी 14 अगस्त से 22 अगस्त तक लेऑफ़ हो गया।
इससे पूर्व पिछले माह अशोक लेलैंड का पंतनगर संयंत्र 16 जुलाई, 2019 से 15 दिन बंद रहा था।
गौरतलब है कि प्लांट में कंपनी के स्थाई श्रमिक बेहद कम हैं। बड़ी संख्या ठेका मज़दूरों के अलावा सीमेंस जैसी तमाम अन्य कंपनियां मेंटेनेंस से लेकर उत्पादन तक का काम करती हैं, जो सीधे तौर पर अवैतनिक या बेरोजगार हो जाते हैं। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि अभी की बंदी के साथ अशोक लेलैंड ने सीमेंस की 30 फीसदी कटौती कर दी और काफी मज़दूर एक झटके में नौकरी गवां बैठे।
अशोक लेलैंड में जबरिया अवकाश योजनायें
दूसरी ओर वाहन क्षेत्र में भारी सुस्ती के बहाने अशोक लेलैंड, चेन्नई ने अपने कर्मचारियों के लिए नौकरी छोड़ने की एक योजना की घोषणा की। हिंदूजा समूह की इस कंपनी द्वारा जारी की गई सूचना के तहत उसने छंटनी की दो योजना शुरू की है। पहली योजना है स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजना (वीआरएस)। जो कर्मचारी वीआरएस के दायरे में नहीं आ रहे, उनके लिए दूसरी योजना है एम्प्लाई सेपरेशन स्कीम (ईएसएस)। कंपनी सूत्रों के मुताबिक ये योजनाएं एक्जीक्यूटिव स्तर के लिए घोषित की गई हैं।
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ईएसएस योजना के तहत ए श्रेणी में आने वाले एक्जीक्यूटिव को अधिकतम 30 लाख रुपये मिलेंगे। इसी तरह से बी श्रेणी में आने वाले एक्जीक्यूटिव को नौकरी छोड़ने पर न्यूनतम 60 लाख रुपये दिए जाएंगे।
भारी सुस्ती से गुजर रहा है वाहन सेक्टर
कंपनी ने जून और जुलाई में कहा था कि मांग में कमी को देखते हुए उत्पादन घटाने के लिए वह उत्तराखंड के पंतनगर के प्लांट को छह दिनों के लिए बंद कर रही है। वाहन क्षेत्र की सुस्ती के कारण कई वाहन निर्माता कंपनियों और कंपोनेंट आपूर्तिकर्ताओं को उत्पादन घटाना पड़ा है और अस्थायी तौर पर कुछ दिनों के लिए प्लांट बंद करना पड़ा है।
दो दशक की सबसे बड़ी गिरावट
जुलाई में पैसेंजर वाहनों की घरेलू बिक्री में करीब 31 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। यह करीब दो दशक की सबसे बड़ी गिरावट है।
हालात बद से बदतर हो रहे हैं और ज़नाब मोदी 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का ख़्वाब परोस रहे हैं।
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