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अंधविश्वास

ओडिशा की 31 उंगलियाें वाली 63 वर्षीय बुजुर्ग महिला को छोड़ना पड़ा अपना घर, क्योंकि पड़ोसी करते थे डायन कहकर प्रताड़ित

Prema Negi
24 Nov 2019 1:24 PM GMT
ओडिशा की 31 उंगलियाें वाली 63 वर्षीय बुजुर्ग महिला को छोड़ना पड़ा अपना घर, क्योंकि पड़ोसी करते थे डायन कहकर प्रताड़ित
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63 वर्षीय बुजुर्ग महिला कहती है एक जन्मजात बीमारी ने मुझे जीवनभर के लिए लोगों से अलग कर दिया, लोग मुझे डायन कहते हैं, अशुभ मानते हैं, मेरे पड़ोसियों के तानों ने मुझे घर तक छोड़ने को मजबूर कर दिया...

जनज्वार। पैरों में 19 और हाथों में 12 उंगलियाें वाली 63 वर्षीय बुजुर्ग महिला कुमार नायक को उनके पड़ोसी सामान्य महिला नहीं बल्कि डायन और अशुभ समझते थे, और पड़ोसियों और अन्य लोगों के तानों से तंग आकर इस बीमार महिला को अपना घर छोड़ना पड़ा।

डेलीमेल में प्रकाशित खबर के मुताबिक ओडिशा के गंजाम जनपद की 63 वर्षीय बुजुर्ग महिला कुमार नायक जन्मजात बीमारी पॉलीडेक्टली से पीड़ित हैं और आर्थिक तंगी के कारण उनका इलाज नहीं हो पाया। हमारा समाज बजाय ऐसे लोगों की मदद के इतना रूढ़ है कि किसी भी असामान्यता को जादू—टोने, डायन—बिसही से जोड़ देता है।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दुनियाभर में पॉलीडेक्टली बीमारी 700-1000 में से किसी एक को होती है और गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है, मगर सवाल यह है कि अब सर्वसुलभ हो चुका अल्ट्रासाउंड अभी भी गरीबों के लिए दूर की कौड़ी है और जब कुमार नायक जन्मीं होंगी तब तो यह कल्पना से ही परे था।

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कुमार नायक कहती हैं, 'एक जन्मजात बीमारी ने मुझे जीवनभर के लिए लोगों से अलग कर दिया, लोग मुझे डायन कहते हैं मुझे अशुभ मानते हैं। मेरे पड़ोसियों के तानों ने मुझे घर छोड़ने पर मजबूर किया। वह मुझे अपना जैसा नहीं समझते। लोग मुझसे बात करना तो दूर, मेरे पास तक नहीं फटकते कि कुछ अशुभ हो जाये या फिर मैं कोई टोना कर दूंगी।'

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63 साल वर्षीय कुमार नायक को पॉलीडेक्टली बीमारी जोकि रेयर आफ द रेयरेस्ट मानी जाती है, के चलते उनके हाथों और पैरों में उंगलियों की संख्या आम इंसानों से ज्यादा है। उनके पैरों 19 और हाथों में 12 उंगलियां हैं।

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बकौल कुमार नायक, गरीब परिवार में जन्म लेने के कारण मेरा इलाज नहीं हो पाया। आज 63 साल बाद भी लोगों की सोच में कोई बदलाव नहीं आया है, बल्कि पहले से कहीं ज्यादा अंधविश्वास बढ़ा है। यह अंधविश्वास ही है कि उनके और मेरे बीच की दूरी बरकरार है। एक समय के बाद मैं लोगों के तानों की आदी हो गयी और मैंने फैसला किया कि घर से बाहर नहीं निकलूंगी। कुछ लोग अब मेरे संपर्क में आते भी हैं तो सिर्फ इस​लिए कि मुझे देख पायें मैं किस तरह विचित्र हूं, सिर्फ ये देखने के लिए कि मेरी कितनी अंगुलियां हैं।

जन्मजात पॉलीडेक्टली बीमारी के कारण 63 वर्षीय बुजुर्ग महिला कुमार नायक की हैं पैरों में 19 उंगलियां (photo : daily mail)

स्वास्थ्य विशेष कहते हैं, पॉलीडैक्टली बीमारी के कारण मरीज के हाथों और पैरों में सामान्य से ज्यादा उंगलियां होती हैं। यह हालत तब होती है जबकि गर्भ में विकसित हो रहे भ्रूण में 7वें या 8वें हफ्ते में ज्यादा अंगुलियां विकसित हो जाती हैं। एक रिसर्च के मुताबिक दुनियाभर में 700-1000 में से एक को पॉलीडैक्टली बीमारी हो जाती है।

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कुपोषण और भुखमरी की मार झेल रहे भारत में गरीबों को होने वाली ऐसी बीमारियां असाध्य की श्रेणी में आती हैं, मगर विकसित देशों में जरूर ऐसी बीमारी सामने आने पर दो वर्ष की उम्र में मरीज की उंगलियों को सर्जरी की मदद से हटा दिया जाता है।

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भारत में कुमार नायक पॉलीडैक्टली बीमारी से पीड़ित कोई पहली मरीज नहीं हैं, बल्कि देशभर में ऐसे अनेक मसले सामने आये हैं। गुजरात के देवेंद्र सूथर भी पॉलीडैक्टली से जूझ रहे हैं। देवेंद्र सूथर के हाथों और पैरों में 7-7 उंगलियां हैं। गौरतलब है कि देवेंद्र सूथर का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है।

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पेशे से कारपेंटर देवेंद्र दुनिया का एकमात्र मैक्सिमम फिंगर्स मैन कहा जाता है। कारपेंटर देवेंद्र गिनीज बुक आफ​ रिकॉर्ड में तो जरूर दर्ज हो गये, मगर किसी ने भी उनकी या उनके परिवार की आर्थिक मदद नहीं की। हालांकि देवेंद्र को पुरुष होने के कारण वह प्रताड़ना नहीं सही जो कुमार नायक को महिला होने के चलते झेलनी पड़ती है।

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पॉलीडैक्टली से पीड़ित एक और इंसान हैं अक्षत, जिनके हाथों और पैरों में 7-7 उंगलियांं थीं और 2010 में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में इनका नाम दर्ज हुआ था, मगर बाद में सर्जरी से इनकी उंगलियों की संख्या कम कर दी गईं। अब यह रिकॉर्ड देवेंद्र सूथर के नाम दर्ज है।

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हां हमारा देश और समाज किसी जन्मजात विकृति जोकि किसी बीमारी के कारण आयी है, उसे अशुभ मानता है, वहीं अन्य देशों का समाज इस मामले में जुदा है। चीन में जन्मजात दाहिने पैर में 9 उंगलियाों के साथ पैदा हुए 21 वर्षीय अजुन की उंग​लियों की संख्या सामान्य कर दी गयी है, हालांकि उनके माता-पिता उनकी अतिरिक्त उंग​लियों को शुभ मानते थे, मगर अजुन के दबाव के चलते सर्जरी कराकर उनकी उंगलियों की संख्या सामान्य की गयी थी।

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