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असम: मिड डे मील कर्मचारियों को सता रहा नौकरी छिनने का डर, शिक्षा मंत्री के घर पर घेराबंदी की

Nirmal kant
13 Nov 2019 4:58 PM IST
असम: मिड डे मील कर्मचारियों को सता रहा नौकरी छिनने का डर, शिक्षा मंत्री के घर पर घेराबंदी की
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ऑल असम प्राइमरी और अपर प्राइमरी मिड डे मील कुक एंड हेल्पर एसोसिएशन के कर्मचारी 12 अक्टूबर से असम के शिक्षा मंत्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य के घर के बाहर प्रर्दशन कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि असम में जितने भी गैर-सरकारी संगठन प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को मुफ्त में मिडडे मील देने का काम करते हैं, उन्हें फौरन बंद किया जाये। इससे हमारी नौकरी जाने का खतरा है...

ये अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर चल रहा है। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। बीते पांच सालों के भीतर 80 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं और दिन-प्रतिदिन रोजगार के अवसर कम ही हो रहे हैं। इसी बेरोजगारी का डर असम के मिड डे मील कुक एंड हेल्पर एसोसिएशन के कर्मचारियों को सता रहा है।

12 अक्टूबर से ऑल असम प्राइमरी और अपर प्राइमरी मिडडे मील कुक एंड हेल्पर एसोसिएशन के कर्मचारी असम के शिक्षा मंत्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य के घर के बाहर प्रर्दशन कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि मुफ्त में मिड डे मील देने वाले गैर-सरकारी संगठनों को बंद किया जाए। हमें इस बात का डर है कि कहीं मुफ्त के खाने के चक्कर में सरकार हमारी नौकरियां ना छीन ले।

वहीं इसको लेकर सरकार का कहना है कि जितने भी गैर-सरकारी संगठन हैं वे 2005 से प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को मिड डे मील देने का काम कर रहे हैं। हम इन्हें नहीं बंद कर सकते है। लेकिन इनकी सेवा के कारण आप लोगों की नौकरियों को कोई खतरा नहीं है।

मिड डे मील कुक एंड हेल्पर एसोसिएशन की महिला कर्मचारीयों ने दोपहर से रात 8 बजे तक शिक्षा मंत्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य के घर के बाहर प्रर्दशन किया। महिला कर्मचारियों का कहना है कि आप लिखित तौर पर हमें प्राइवेट से परमानेंट करें, महिला कर्मचारियों की हक की रक्षा करें औऱ अधिकतम सैलरी 9,600 प्रतिमाह करें।

राज्य के बाहर से लगे पंद्रह गैर सरकारी संगठनों ने 1 नवंबर से स्कूलों में भोजन तैयार करने और वितरित करने के लिए अपनी सेवाएं शुरू की थीं। जिन पर पहले दिन से गैर-सरकारी संगठनों पर खराब गुणवत्ता वाला भोजन परोसने और भोजन के अनियमित और असामयिक वितरण का आरोप लगा था। सरकार ने अक्टूबर में गैर-सरकारी संगठनों की सेवाओं को संलग्न करने का निर्णय लिया था।

9 नवंबर को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने केंद्रीकृत रसोई सेवाओं को रोक दिया और आरोपों की जांच का आदेश दिया। सिंह ने जिलों के सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया कि वे अगले आदेश तक स्कूल में रसोई सेवाओं को फिर से शुरू करें और गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित केंद्रीयकृत रसोई को बंद करें।

सके बाद इन भोजन स्वयंसेवकों ने 10 दिनों के व्यवधान के बाद 11 नवंबर को प्राथमिक स्कूलों में भोजन तैयार करने और वितरित करने के अपने काम को अस्थायी रूप से फिर से शुरू किया। प्राथमिक शिक्षा की संयुक्त सचिव रीता चौधरी का कहना है कि मैंने इस बारे में संज्ञान लिया है। जल्द से जल्द महिला कर्मचारियों को अधिकारियों से मिलाने के लिए व्यवस्था करूंगी। इसी विषय पर विचार करने के लिए हमने एक बैठक बुलाई है।

मिड डे मील कुक एंड हेल्पर एसोसिएशन की सलाहकार तृष्णा नाथ का कहना है कि सरकार से हम बातचीत एक ही शर्त पर करेगें जब वे गैर-सरकारी संगठनों को तत्काल हटाने की लिखित घोषणा कर देगें। राज्य सरकार द्वारा औपचारिक तौर पर घोषणा की गई है लेकिन हम इस से संतुष्ट नही हैं।

न्होंने कहा कि एसोसिएशन स्कूलों की रसोई के निजीकरण के किसी भी सरकारी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने दावा किया कि स्कूल रसोई का निजीकरण राज्य के 117,000 भोजन स्वयंसेवकों का निजीकरण भी करेगा।

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