क्या ऐसा मैरिज स्किल्स कोर्स लड़कों के लिए भी शुरू होगा, आईआईटी बीएययू भी उसी सोच को पोषित कर रहा है कि किसी भी हाल में शादी चलाना और उसे हर क़ीमत पर बचाना लड़की का काम है....
जनज्वार। एक तरफ भारत स्त्रियों पर होने वाली हिंसा और बलात्कार की घटनाओं के नाम पर शीर्ष पायदान को छू रहा है तो दूसरी तरफ ऐसे माहौल में बजाय लड़कियों को बहादुर और पुरुष वर्चस्ववादी सत्ता से लड़ने की ताकत देने के शिक्षा तंत्र जो काम कर रहा है, वह सिवाय एक भद्दे मजाक के और कुछ नहीं है। लगता है ऐसी पहल लेकर वह उन आदर्श स्त्रियों की खेप तैयार करना चाहता है, जो घर की इज्जत के नाम पर कोई भी उत्पीड़न सहने को तैयार रहें। किसी भी तरह के उत्पीड़न के खिलाफ मुंह न खोलें।
अगर आदर्श बहू बनकर लड़की मुंह ही नहीं खोलेगी तो समाज की नजरों में रेप—हिंसा की घटनाएं खुद—ब—खुद कम हो जाएंगी। आज जब लड़कियां पुरुषों के लिए हर कदम पर चुनौती पेश कर रही हैं, ऐसे कोर्स उन्हें कमतर आंकने और पीछे धकेलने का ही काम करेंगे। पहले ही हमारी सामाजिक व्यवस्था लड़कियों को दोयम दर्जे पर रखती आई है। इस कोर्स में भी उन्हें आदर्श बहू बनने की ट्रेनिंग देने का मतलब है फिर से उन्हें उसी स्थिति में ला खड़ा करना, जहां से उन्होंने लंबी दूरी तय की है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक योगी—मोदी राज में आईआईटी बीएचयू में एक अजीबोगरीब कोर्स शुरू कराया गया है, जिसके तहत यहां शिक्षा हासिल करने आने वाली लड़कियों को अच्छी बहू बनने की ट्रेनिंग दी जाएगी। मीडिया भी इसे अनूठी पहल कहकर प्रचारित कर रहा है।
सवाल यह है कि क्या कभी लड़कों के लिए भी आदर्श बेटा, आदर्श दामाद, आदर्श पिता, आदर्श पति आदि आदि का कोई कोर्स शुरू किया गया है। जिस समाज में मर्द भेड़ियों में तब्दील होते जा रहे हैं, उनके लिए औरत सिर्फ एक शरीर है उनके लिए ऐसी पहलकदमी वाकई सराहनीय होती। आदर्श से भी इतर उन्हें एक अच्छा इंसान बनने का कोर्स शुरू करना ज्यादा मुनासिब होता।
इसके लिए आईआईटी बीएचयू ने 'डॉटर्स प्राइड बेटी मेरा अभिमान' नाम से एक कोर्स शुरू किया है। कहा जा रहा है कि इस कोर्स में आईआईटी बीएचयू बेटियों को सेल्फ कॉन्फिडेंस से लेकर मैरिज स्किल्स सिखाएगा।
लेखक पत्रकार अंकिता जैन इस अजीबोगरीब कोर्स के बारे में तल्ख टिप्पणी करती हैं, 'क्या आप ये मैरिज स्किल्स लड़कों को भी सिखाएंगे? नहीं क्योंकि यह कोर्स तो सिर्फ लड़कियों के लिए है। तो यानि आप भी उसी सोच को पोषित कर रहे हैं कि शादी चलाना और उसे हर क़ीमत पर चलाते रहना लड़की का काम है। लड़की को ही मैरिज स्किल्स आनी चाहिए। अगर आपकी भावना ऐसी नहीं तो सिखाने वालों से गुज़ारिश है कि यह कोर्स लड़कों को भी सिखाया जाए। और उसके साथ एक और ट्रेनिंग शुरू करिए "सन्स प्राइड" का जिसमें उन्हें मैरिज स्किल्स के साथ-साथ औरतों की इज़्ज़त कैसे करनी है, घरेलू कामों में बराबरी कैसे निभानी है, बच्चा पालने में बराबरी कैसे निभानी है, घर और नौकरी दोनों कर रही पत्नी के साथ कैसे घर संभालना है, किसी भी स्त्री की "ना" को कैसे स्वीकारना है, यह सब सिखाया जाए। मगर आप ऐसा नहीं करेंगे। क्योंकि आपके हिसाब से पुरुष को किसी भी सामाजिक या घरेलू सीख की ज़रूरत नहीं है। और अगर है भी तो वह काम तो "माँ" का होता। और फ्यूचर माँ के लिए तो आप डॉटर्स प्राइड में मैरिज स्किल्स सिखा ही रहे हैं।'
आईआईटी बीएचयू का स्टार्ट अप यंग स्किल्ड इंडिया के सीईओ नीरज श्रीवास्तव कहते हैं 'डॉटर्स प्राइड: बेटी मेरा अभियान’ नामक इस कोर्स में युवतियों, महिलाओं को सेल्फ कांफिडेंस, इंटरपर्सनल स्किल, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल, स्ट्रेस हैंडलिंग, मैरिज स्किल के साथ कंप्यूटर व फैशन स्किल सिखाया जाएगा। काउंसलर, फैशन डिजाइनर्स और स्किल ट्रेनर्स लड़कियों को एक अच्छी बहू बनने की ट्रेनिंग देंगे।' साथ ही इस कोर्स की विस्तृत जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर 8009321506 भी दिया गया है।