Begin typing your search above and press return to search.
आंदोलन

बिहार-यूपी मजदूरों के दम पर लहराती है हरियाणा-पंजाब की खेती, किसान परेशान कि अब कौन करेगा काम

Prema Negi
19 May 2020 6:25 AM GMT
बिहार-यूपी मजदूरों के दम पर लहराती है हरियाणा-पंजाब की खेती, किसान परेशान कि अब कौन करेगा काम
x

हरियाणा और पंजाब में कृषि क्षेत्र के विकास में प्रवासी मजदूरों का बहुत बड़ा योगदान है। प्रोफेसर डा. एसएस सिद्धू के शोध में सामने आया था कि यूपी और बिहार के मदजूदरों के दम पर ही यहां खेती हो रही है...

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब व हरियाणा में आज जो प्रवासी मजदूर दर दर की ठोकर खाने पर विवश हो रहे हैं, उन्हीं के दम पर दोनों राज्यों की खेती का विकास हुआ है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स व सोशोलॉजी के पूर्व हेड प्रोफेसर डॉ. एमएस सिद्धू ने वर्ष 1978,1984,1995 व वर्ष 2008 में पंजाब की कृषि में माइग्रेट लेबर के योगदान पर शोध कर चुके हैं। डॉ. सिद्धू के अनुसार पंजाब की खेती में यूपी व बिहार से आने वाले मेहनतकश श्रमिकों का बहुत बड़ा योगदान है। कुल श्रमिकों में से 20 से 25 प्रतिशत इन्हीं दो राज्यों से होते हैं।

डॉ. सिद्धू अपने शोध कार्य का हवाला देते हुए कहते हैं कि वर्ष 1978 में उन्होंने शोध किया था तब पंजाब के कृषि क्षेत्र में दो लाख श्रमिक थे। यह संख्या वर्ष 2007 में बढ़कर साढ़े चार लाख हो गई। इसके बाद मनरेगा स्कीम आ गई। इस स्कीम के आने के बाद दूसरे राज्यों के श्रमिकों को अपने राज्य में ही काम मिलने लगा। पंजाब में वर्तमान में भी करीब चार से पांच लाख लेबर कृषि में काम कर रही है। यह लेबर सारा साल रहती है। अपने गांवों में यह तभी लौटते हैं, जब परिवार में कोई शादी, दुर्घटना, बीमारी या बड़ा त्योहार होता है। इसी तरह से हरियाणा में भी इतने ही प्रवासी मजदूर साल भर रहते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रवासी मजदूर न होते तो हो सकता है दोनों राज्यों की खेती का जो स्वरूप हम देख रहे हैं, वह शायद न होता। क्योंकि यह प्रवासी मजदूर दिन रात काम करते हैं। यह खेतों में ही रहते थे। इनके रहने और खाने पीने की भी उचित व्यवस्था नहीं होती थी। फिर भी वह काम करते थे।

खेत मजदूर किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल चौहान ने बताया कि इनके बिना यहां खेती हो ही नहीं सकती। फसल कटाई हो या फिर धान की रोपायी, इनके बिना संभव ही नहीं है। मदन लाल चौहान ने बताया कि ऐसा नहीं है कि किसान इस मौके पर मजदूरों की अनदेखी कर रहे हैं, हो यह रहा है कि क्योंकि महामारी एक्ट लगा है। ऐसे में यदि किसान भी उन्हें उनके घरों तक छोड़ कर आये तो उनके खिलाफ भी पुलिस कार्यवाही करेगी।

ने बताया कि उनके पास बड़ी संख्या में किसानों के मोबाइल कॉल आती है, जो उनसे यह जानना चाहते हैं कि क्या पैदल जा रहे इन मजदूरों को वहां यूपी बार्डर या फिर इससे आगे तक छोड़ कर आ सकते हैं। वह सभी को मना कर देता है, क्योंकि यदि उन्होंने ऐसा किया तो उन्हें भी परेशानी आ सकती है।

किसान भी प्रवासी मजदूरों की अहमियत को समझते हैं, उन्होंने बताया कि घरों की ओर लौट रहे प्रवासी मजदूरों की जो स्थिति है, वह बहुत ही परेशान करने वाली है। अंबाला के किसान पिंटू चौहान (38) ने बताया कि उनके साथ बहुत गलत हो रहा है। हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। यह स्थिति हमारे लिये बहुत ही कष्टकारी है। पिंटू चौहान ने बताया कि प्रवासी मजदूर हरियाणा और पंजाब की कृषि में बहुत बड़ी भूमिका अदा करते थे। अब वह वापस जा रहे हैं। पता नहीं अब खेती में किसानों को कितनी दिक्कत आएगी।

Next Story

विविध