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सिक्योरिटी

हत्यारों का सम्मान और पीड़ितों पर मुकदमा ठोकती योगी सरकार

Prema Negi
1 Aug 2019 7:49 AM GMT
हत्यारों का सम्मान और पीड़ितों पर मुकदमा ठोकती योगी सरकार
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सरकार का रवैया बिलकुल स्पष्ट है कि जहां मुख्यमंत्री, मंत्री या फिर बीजेपी की विचारधारा वाले लोग फंसते नजर आयें तो फ़ौरन सरकार ले लेती है मुक़दमा वापस, जब कोतवाल ही हत्यारा हो तब आप और उम्मीद भी क्या करेंगे...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

जिस न्यू इंडिया की बात सरकार लगातार करती रही है, अब उसका चेहरा भी स्पष्ट होता जा रहा है। इस न्यू इंडिया में जब भगवाधारी अपराधी प्रवृत्ति के लोग जनता पर शासन करने लगते हैं, तब एक उत्तर प्रदेश बनता है। इस प्रदेश में तो किसी की हत्या करना सबसे आसान है, सरकार और पुलिस का संरक्षण उसे जरूर मिलेगा। यह सब घोषित तौर पर किया जा रहा है।

केंद्र में बैठी सरकार को यही सब पसंद है जो कुछ उत्तर प्रदेश, इसे अब मरघट प्रदेश कहना ही ठीक है, में चल रहा है। प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक बारी-बारी से उत्तर प्रदेश सरकार की तारीफ़ के पुल बाँध चुके हैं, दोनों देश में गुजरात मॉडल के प्रणेता जो ठहरे। गुजरात मॉडल वाले खुश हैं क्योंकि इस खूनी मॉडल का असली उत्तराधिकारी तो उत्तर प्रदेश ही है।

न्यू इंडिया की सूचना दादरी काण्ड ने दे दी थी, पर जनता को और मरे हुए विपक्ष को समझ में नहीं आया था। यह सरकार द्वारा प्रायोजित उन्मादी समूह द्वारा हत्या का एक प्रयोग था, जिसकी सफलता से आश्वस्त होकर आज तक ऐसी हिंसा देश के हरेक हिस्से में की जा रही है। इसके बाद हत्यारों को सरकार सम्मानित करती है और जिसकी हत्या होती है उसके परिवार पर मुकदमा दर्ज कर देती है।

फिर पुलिस एनकाउंटर का दौर आया, निरीह लोग मारे जाते रहे, पुलिस और सरकार वाहवाही लेती रही और विपक्ष सोता रहा। न्यायपालिका ने कुछ आदेश पारित किये और सबकी अवहेलना होती रही। गोदी मीडिया ने इसे खूब उछाला और लगातार खबरें प्रकाशित होती रहीं कि अब उत्तर प्रदेश में गुंडे, बदमाश और हत्यारे समर्पण कर रहे हैं और अपने जान की भीख़ मांग रहे हैं। ऐसी कुछ तस्वीरें भी प्रकाशित की गयीं।

मुजफ्फरनगर में दंगे कराये गए, किसने कराए और दंगे में क्या हुआ ये सब जानते हैं। पर सरकार आँखें बंद किये बैठी रही, पुलिस अंधी बनी रही और न्यायालय में जो कुछ होता है सभी जानते हैं। बहुत लोग मारे गए, पर सजा किसी को नहीं हुई। उत्तर प्रदेश सरकार का रवैया बिलकुल स्पष्ट है, जहां मुख्यमंत्री, मंत्री या फिर बीजेपी की विचारधारा वाले लोग फंसते नजर आयें तो फ़ौरन सरकार मुक़दमा वापस ले लेती है। जब कोतवाल ही हत्यारा हो तब आप और उम्मीद भी क्या कर सकते हैं?

र दिन उत्तर प्रदेश में कोई न कोई गंभीर वारदात होने से नहीं रुक रही है। अलीगढ़ के टप्पल कस्बे में ढाई साल की मासूम की नृशंस हत्या, कुशीनगर में किशोरी से गैंगरेप, कानपुर मदरसे में छात्रा से दुष्कर्म, हमीरपुर और जालौन में मासूम लड़कियों की रेप के बाद हत्या जैसे संगीन अपराधों से राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।

ही नहीं, पुलिसकर्मियों पर हमले, लूट, हत्या और डकैती जैसे अपराधों में अचानक बढ़ोत्तरी से योगी सरकार के बार-बार किए जा रहे उन दावों की भी पोल खुल गई है कि "अपराधी डर कर या तो राज्य से बाहर चले गए हैं या फिर जमानत रद्द कराकर जेल में बंद हैं।" इन सबके बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में सबकुछ ठीक होने का दावा लगातार कर रही है।

भी सोनभद्र के सामूहिक नरसंहार की चर्चा भी नहीं ठंडी हुई थी, और उन्नाव की चर्चित बलात्कार पीड़िता की कार पर जानलेवा हमला कर दिया गया। कालिख पुते नंबर प्लेट वाले ट्रक से किए गये इस एक्सीडेंट में पीड़िता की चाची और ड्राइवर की मौत हो गयी, जबकि पीड़िता और उसका वकील जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। अब जरूर सीबीआई, न्यायालय और सरकार सभी न्याय दिलाने का तमाशा कर रहे हैं। मीडिया भी इस समाचार को लगातार जनता तक पहुंचाने का दिखावा कर रहा है।

ब जानते हैं मामला यदि और तूल पकड़ेगा तो कोई और नया काण्ड हो जाएगा और मीडिया से यह खबर भी गायब हो जायेगी, जैसे सोनभद्र की चर्चा गायब हो गयी। यही तो पुराना गुजरात मॉडल और आज का उत्तर प्रदेश मॉडल है। यही न्यू इंडिया भी है।

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