यूपी के हाथरस में राशन की कालाबाजारी, अधिकारियों की मिलीभगत से मरे हुए लोगों के नाम पर उठाया जा रहा गरीबों का राशन
उत्तर प्रदेश के हाथरस में राशन की खुलेआम कालाबाजारी, प्रशासन की मिलीभगत से मृतकों का राशन भी नहीं छोड़ रहे ग्राम प्रधान और राशन डीलर, गांव से बाहर रह रहे लोगों के आधार कार्ड पर भी उठाया जा रहा राशन..
विकास राणा की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के हाथरस में राशन वितरण को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। दरअसल हाथरस जिले के पोरा गांव के ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान देवेंद्र कुशवाहा और राशन डीलर प्रेम किशोर पर राशन वितरण की कालाबाजारी करने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान और राशन डीलर मृत लोगों व जो लोग गांव को छोड़कर शहर नौकरी करने के लिए चले गए उनके आधार कार्ड से राशन केंद्रों से राशन लिया जा रहा है। साथ ही ग्रामीणों के लिए जो राशन दिया जाता है उसकी भी पूर्ति नहीं की जा रही है। गांव में कुल चार राशन वितरण केंद्र है जिसमें से तीन राशन केंद्र का संचालन राशन डीलर प्रेम किशोर की पत्नी प्रिंयका देवी के नाम से चल रहा है और एक केंद्र का संचालन ओम वीर नाम के व्यक्ति से किया जा रहा है।
ओमवीर गांव के ही निवासी हैं लेकिन गांव में रहते नहीं है। राशन डीलर प्रेम किशोर द्वारा हर महीने ओमवीर को 3 से 4 हजार रुपए दिए जाते है लेकिन राशन केंद्र का हक प्रेम किशोर के पास पूरी तरह से है। इन केंद्रों से महीने की हर 24 तारीख को डीलर प्रेम किशोर मृतकों के आधार कार्ड से प्रोक्सी लगाकर राशन ले लिया जाता है और पूरा राशन अधिकारियों और राशन डीलर अपने पास अवैध रुप से उपयोग करते है। ग्रामीणों का कहना है कि राशन वितरण सेंटर बंद करने का आश्रवासन दिया गया था लेकिन शिकायत करने के बावजूद अभी तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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मामले को लेकर जनज्वार को पोरा गांव के हरिओम ने बताते हैं कि गांव में राशन डीलर और प्रधान दोनों सगे भाई हैं। जब हम लोग राशन से संबधित चीजों की शिकायत करने इन लोगों के पास जाते हैं तो अधिकारियों द्वारा या तो हमारे राशन कार्ड को बंद करने की धमकी दी जाती है या राशन लेने के लिए गांव से 5 से 6 किलोमीटर दूर केंद्रों में भेज दिया जाता है। अगर इससे भी बात नहीं बनती है तो गांव के लोगों के राशन की यूनिट को ही काट दिया जाता है। हमारे पास शिकायत करने के लिए कोई विकल्प भी नहीं है। ज्यादा से ज्यादा हम लोग सरकार के शिकायत संबधित पोर्टल, तहसील या डीएसओ साहब तक शिकायत कर सकते है लेकिन वहां किसी की कोई सुनवाई नहीं होती। जब मैंने गांव के प्रधान और राशन डीलर के खिलाफ शिकायत करनी चाही तो प्रधान के लोगों ने मुझे धमकी दे दी। साथ ही जब मैने प्रशासन से मदद की अपील की तो मुझे यह कह कर हड़का दिया गया कि तुम ज्यादा से ज्यादा शिकायत कर सकते हो तो शिकायत कर दो।
हरिओम ने बताया कि इसके अलावा जब मैने स्थानीय अधिकारियों से शिकायत करनी चाही तो मेरी किसी भी तरह से कोई सुनवाई नहीं हो पाई जिसके बाद मैं शिकायत को जिला अधिकारी और कमश्रिर के पास लेकर गया तो मामले को लेकर जांच कमेटी बनाने का आश्वासन दिया गया। लेकिन जांच अधिकारी के साथ राशन डीलर और प्रधान ने साठ- गांठ करके उनको हम लोगों तक पहुंचने भी नहीं दिया। प्रधान ने उनकी खानापूर्ति करके उनको गांव से ही वापस भेज दिया।
इसके बाद हरिओम बताते हैं कि गांव में चार राशन के केंद्र चलते हैं जिसमें से तीन स्टोर राशन डीलर की पत्नी प्रिंयका देवी के नाम में चल रहे है हांलाकि शासन की ओर से इन केंद्रों को बंद करने का आदेश दिया गया है लेकिन इनका संचालन अभी चल रहा है।
हरिओम ने प्रधान और डीलर पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे गांव में 1300 से 1400 तक कार्डधारकों का संचालन इन लोगों के हाथ में है। पोरा पंचायत में राशन की चार दुकाने हैं। तीन दुकानो का संचालन ये ही लोग करते है। एक केंद्र ओम वीर नाम के व्यक्ति के नाम से चलाया जाता है लेकिन ओम वीर गांव में नहीं रहते हैं। ओम वीर को प्रशासन के लोग 3000 से 4000 रुपए देते है।
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हरिओम आगे कहते हैं, 'ऊपर से राशन डीलर खुद ही हाजिरी लगा रहे हैं। दरअसल बहुत से लोग गांव में ऐसे है जो गांव को छोड़कर बाहर नौकरी करने चले गए हैं। उनके भी राशन कार्ड भी इन लोगों ने बना रखे हैं। लोग गांव छोड़कर चले गए लेकिन उनके आधार कार्ड पर राशन लिया जा रहा है। आधार कार्ड लेकर हर महीने की 24 तारीख को ये लोगों के कार्ड से राशन निकाल लेते हैं। ऊपर से गांव में जिन लोगों की मौत एक-दो साल पहले हो गई थी उनका भी राशन ये लोग उठा रहे हैं और ये सब प्रशासन की मिलीभगत से किया जा रहा है।
हरिओम कहते हैं, '28 जुलाई को गांव में एक जन चौपाल का आयोजन किया गया था जिसमें कमिश्नर समेत तमाम अधिकारी मौजूद थे, तब गांववालों ने कमिश्रर के सामने नारेबाजी कर ग्राम प्रधान और सचिव को सस्पेंड करने की मांग की थी। लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। कालाबाजारी करने वाले ग्राम प्रधान और राशन डीलर के खिलाफ भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। कार्रवाई के नाम पर एक सफाई कर्मचारी को निलंबित किया गया था। जब हमने राशन डीलर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की तो कमश्रिर ने तीन राशन केंद्रों को बंद करने के आदेश दिए थे लेकिन अभी तक केंद्रों का संचालन किया जा रहा है।
उन्होंने आगे बताया, 'कमिश्नर द्वारा मृतकों के नाम से लिए जा रहे राशन को लेकर जिस जांच कमेटी का गठन किया गया था लेकिन कमेटी द्वारा भी सब चीजों की जांच की गई थी लेकिन मृतकों के राशन कार्ड से जो राशन लिया जा रहा था उसकी किसी तरह से कोई जांच नहीं की गई। कमेटी के खिलाफ जब मैं कमश्रिर के पास शिकायत करने के लिए गया तो मुझे दंबगों द्वारा धमकियां मिलना शुरू हो गई थीं। इसके अलावा कमेटी के सदस्य द्वारा सिर्फ प्रधान और राशन डीलर से बात करके ही रिपोर्ट बनाई जा रही है। गांववालों को कमेटी में सम्मिलित नहीं किया जा रहा है।
हरिओम ने आगे कहा, 'हमारी शिकायत को लेकर अभी तक केवल सुनवाई ही चल रही है। लेकिन हमारी किसी तरह से कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। हम प्रशासन और कमश्रिनर से मदद मांगते हैं कि राशन की कालाबाजारी को जल्द से जल्द रोका जाए।'
इस मामले को लेकर खाद्य रसद विभाग के आयुक्त मदन यादव से जनज्वार ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि मामले को लेकर हमारे पास कोई जानकारी नहीं आई है। गांव में राशन का वितरण आधार कार्ड और अंगूठा लगाकर किया जाता है। जब उनसे पूछा गया कि गांव में राशन डीलर द्वारा मृत लोगों या जो लोग गांव में नही रहते है उनके आधार कार्ड से राशन लिया जा रहा है तो उनका कहना था कि अगर ऐसा हो रहा है तो प्रशासन द्वारा इस मामले में जांच की जाएगी। अगर राशन डीलर के द्वारा मरे हुए लोगों के आधार कार्ड से राशन लिया जा रहा है तो मामले की जांच कर प्रधान और राशन डीलर के खिलाफ सबूतों के साथ कार्रवाई की जाएगी।