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सिक्योरिटी

ईंट भट्टा मालिक ने दलित मजदूर को जबरन खिलाया मानव मल

Prema Negi
16 March 2019 6:05 AM GMT
ईंट भट्टा मालिक ने दलित मजदूर को जबरन खिलाया मानव मल
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पीड़ित दलित युवक को संदीप पवार ने हथियारों के बल पर डरा-धमकाकर जबरन पॉटी खाने को किया मजबूर किया, जब उसके साथ हो रही थी ये जघन्य वारदात तब वहां खड़ थे कई मजदूर, मगर कोई भी नहीं आया उसकी मदद को आगे....

जनज्वार। दलितों के साथ होने वाली उत्पीड़न की घटना बजाय घटने के दिनोंदिन बढ़ रही हैं। मानवता को भी शर्मसार करने वाला ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र में सामने आया है, जहां ईंट भट्टा मालिक ने दलित मजदूर युवक को जबर्दस्ती मानव मल खिला दिया।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक महाराष्ट्र के पुणे जिले में पुलिस ने एक दलित को जबरन मानव मल खिलाने के आरोप में उच्च जाति से ताल्लुक रखने वाले एक ईंट भट्टा मालिक संदीप पवार को गिरफ्तार किया है। पिंपरी चिंचवड पुलिस जनपद में मुल्शी तालुका के जम्भे गांव के मराठा समुदाय से संबंध रखने वाले 42 वर्षीय संदीप पवार ने अपने ईंट भट्टे में काम करने वाले 22 वर्षीय दलित युवक सुनील पावले को जबरन पॉटी खिला दी।

जानकारी के मुताबिक अनुसूचित जाति के मातंग समुदाय से संबंध रखने वाले पीड़ित मजदूर सुनील पावले ने संदीप पवार के खिलाफ हिंजेवाड़ी पुलिस स्टेशन एफआईआर दर्ज करवाई है कि मराठा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले उसके ईंट भट्टा मालिक संदीप पवार ने उसे जबरन मानव मल खिलाया। इसके बाद कार्रवाई करते हुए पुलिस ने संदीप पवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है।

खबर के मुताबिक दलित पीड़ित युवक सुनील और आरोपी संदीप पवार के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई, जिसके बाद संदीप ने उसे जबरन पॉटी खिला दी।

पीड़ित दलित युवा सुनील पावले का कहना है कि उसके साथ यह घटना बुधवार, 13 मार्च को दोपहर करीब दो बजे घटी। बकौल सुनील जब उस दिन दोपहर को वह और उसके पिता अनिल, मां सविता और दादा-दादी दोपहर का खाना खाने के बाद ईंट भट्टा पर बैठे थे तो उसी दौरान पवार वहां पहुंचा और उनसे काम शुरू करने को कहा।

बकौल सुनील जब उसने अपने ईंट भट्टा मालिक से सिर्फ इतना कहा कि, उन लोगों ने अभी खाना ख़त्म किया है और कुछ देर में वो अपना काम शुरू कर देंगे, तो संदीप पवार का गुस्सा सातवें आसमान पर चला गया और उसने सुनील और उसके पिता अनिल पावले की पिटाई कर दी। साथ ही बहुत गंदी—गंदी गालियां भी बकने लगा। बात जब बहुत ज्यादा बढ़ गई कि उसने सुनील की पत्नी को भी गालियां देते हुए पीटना शुरू कर दिया, तो उससे सहा नहीं गया और उसने भी जवाब में गाली—गलौज शुरू कर दी।

मगर तब तक ईंट-भट्टा मालिक के इशारे पर कुछ लोगों ने सुनील पावले को पकड़ लिया। भट्टा मालिक ने अपनी पत्नी दीप्ति से मानव मल मंगवाया। जब उसकी पत्नी ने मटके में पॉटी लाने से इंकार किया तो उसे भी खेत में इस्तेमाल होने वाले हथियार से डराया। उसकी पत्नी डरकर मटके में मानव मल ले आई और संदीप पवार ने हथियारों के बल पर ही डरा—धमकाकर मुझे जबरन पॉटी खाने को मजबूर किया। सुनील आहत हो कहता है जब उसके साथ ये सब हुआ तब भट्टा पर काम करने वाले कई मज़दूर वहीं खड़े थे, मगर कोई उसकी मदद को आगे नहीं आया।

सुनील पावले कहता है, उसने भट्टा मालिक संदीप पवार से पचास हजार रुपए का लोन लिया था और लोन का अधिकांश हिस्सा वह चुकता कर चुका है। बावजूद इसके संदीप पवार ने उसके साथ इतना अमानवीय व्यवहार किया। हम अगर दलित नहीं होते तो वह कभी भी हमारे साथ इस जघन्य वारदात को अंजाम नहीं दे पाता।

गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ में हालांकि मराठा समुदाय से संबंध रखने वाले ईंट भट्टा मालिक संदीप पवार और उसके परिवार ने पीड़ित दलित युवक द्वारा लगाये गय आरोपों को झूठा बताया है। मूल रूप से उस्मानाबाद से संबंध रखने वाला आरोपी पवार का परिवार सालों से पुणे में रह रहा है।

दलित उत्पीड़न की इस जघन्य घटना पर हिंदी-मराठी के सुप्रसिद्ध दलित साहित्यकार शरण कुमार लिंबाले कहते हैं, 'दलितों पर होने वाले अत्याचार को मैं मनुस्मृति समेत तमाम पौराणिक ग्रंथों से जोड़ता हूं, जिनमें एक को उच्च तो दूसरे को नीच कहा जाता है और उच्च जाति के लोगों को जैसे नीचों पर अत्याचार का सर्टिफिकेट मिल जाता है। धर्मग्रंथों में जो उंच—नीच का भेद मौजूद है, उसी ने सारे हिंदुओं के मन—मस्तिष्क में घर किया हुआ है। इंसान मंगल—चांद पर पहुंच गया है, मगर मानसिकता इतनी कुंठित और पिछड़ी है कि सबरीमाला मंदिर में औरतें प्रवेश नहीं कर सकतीं, दलित कुएं से पानी नहीं भर सकता। आज दक्षिणपंथियों द्वारा जिस तरह से श्रीराम का प्रचार हो रहा है उससे ऐसा लगता है हम इक्कीसवीं सदी नहीं रामायण काल में जी रहे हैं। उनके दिमाग में राम और मनु भरे हुए हैं। मोदी माल में जिस तरह से राम मनुवादियों की सोच को प्रश्रय मिला है, उसने दलितों के साथ अत्याचार की घटनाओं को बढ़ाया है। वैसे भी जब किसी दलित को नीचा दिखाना होता है तो उसके मुंह में मल भर दो, यह उंची जातियों की पहले से नीति रही है। इसी तरह जब किसी औरत को दबाना होता है तो उसका बलात्कार सबसे आसान रास्ता होता है इन लोगों के लिए। इसीलिए ऐसा घटनाएं लगातार बढ़ भी रही हैं।'

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