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बांग्लादेश बॉर्डर पर बीएसएफ ने पकड़ी 350 भैंसें, चारे-पानी के अभाव में 100 से ज्यादा की हुई मौत
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बड़ी संख्या में भैंसों के मरने के बाद भी सुरक्षाबलों द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाया जा रहा है। इसके उलट गांव के लोग जब भैंसों को नदियों में फेंक रहे हैं तो उनके ऊपर 500 रुपए का चालान भी किया जा रहा है...
जनज्वार, मुर्शिदाबाद. पश्चिम बंगाल के खंडुआ में बाटालियन नंबर 18 की सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा अमानवीय घटनाएं लगातार की जा रही हैं। मुर्शिदाबाद के लालगोला थाने के अंतर्गत बांग्लादेश बोर्डर (बीओपी) के बीएसएफ कर्मियों ने 9 अक्टूबर 2019 को 350 भैंसों को जब्त कर लिया। जब्त पशुओं को बीएसएफ ने चारा—पानी की कोई व्यवस्था नहीं की जिसके कारण अबतक सौ अधिक भैंसे मर चुकी हैं। भैंसों के मरने की जो तस्वीरें जनज्वार को मिलीं हैं, उससे साफ है कि बीएसएफ कैंप में बाकी बचीं और लावारिस पड़ी भैंसे भी जिंदा नहीं बचेंगी।
मुर्शिदाबाद जिले का बोहरा और खंडुआ गांव पद्मा नदी के किनारे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर होने के कारण वहां के लोगों को सुरक्षा बलों के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। मवेशी तस्करी और अवैध रूप से सीमापार की घटनाएं यहां आम हैं। सुरक्षा बल अक्सर छापेमारी करते समय बड़ी संख्या में तस्करी करने वाली भैंसों—गायों—बैलों—बछड़ों को जब्त करते हैं। तस्करी के लिए ले जाए जा रहे पशुओं को बीएसएफ कैंप में ही रखती है। मगर कैंप में मवेशियों के लिए चारा और पानी उपलब्ध न होने के कारण जानवरों की मौत का मुद्दा आए दिन उठता रहता है।
जानवरों की क्रुरता पर क्या कहता है कानून
यह घटना पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत धारा 11 (i) का उल्लंघन करती है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 428 और 429 के तहत दंडनीय है।
गौरतलब है कि इतनी बड़ी संख्या में भैंसों के मरने के बाद भी सुरक्षाबलों द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाया जा रहा है। इसके उलट गांव के लोग जब भैंसों को नदियों में फेंक रहे हैं तो उनके ऊपर 500 रुपए का चालान भी किया जा रहा है, जबकि खुद सुरक्षाबल मृत भैंसों को ट्रैक्टर से बांध कर नदी में या किनारों पर फेंक आ रहे हैं। नदी में मृत भैंस फेंकने से पूरे इलाके में दुर्गध फैली हुई है और बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है।
ऐसे में सवाल खड़ा करते हुए कृति रॉय कहते हैं, 'आखिर बीएसएफ जब्त जानवारों को ऐसी विपरीत परिस्थितियों में क्यों हिरासत में रख रही है और नीलामी में मवेशियों को नहीं बेच रही है? इस मामले में सभी ग्रामीणों के लिए जलेशा बेवा ने एक लिखित शिकायत दर्ज कराई और पूरे मामले की सूचना पुलिस अधीक्षक मुर्शिदाबाद जिले को 10 अक्टूबर दी है, लेकिन अभी तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है। हमारी मांग है कि बीएसएफ जानवरों के साथ की जा रही क्रूरता को रोके, मृत जानवरों को नदी और नदी के किनारों पर फेंकना तुरंत बंद करे और इस मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।' '