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भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने का अनुकूल समय नहीं, सरकार ने हाईकोर्ट में कहा

Nirmal kant
27 Feb 2020 2:06 PM GMT
भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने का अनुकूल समय नहीं, सरकार ने हाईकोर्ट में कहा
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जनज्वार। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जिसमें कथित रूप से दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले भाजपा नेताओं द्वारा अभद्र भाषा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।

रअसल सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंडेर ने दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में 33 मौतों के हवाला देकर दिल्ली में सोमवार से जारी हिंसा को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की गई थी। बुधवार को कोर्ट ने सरकार को एफआईआर दर्ज करने को कहा था।

जनरल तुषार मेहता दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी.एन.पटेल और जस्टिस हरि शंकर की बेंच को बताया कि हिंसा के संबंध में 48 प्राथमिकी पहले ही दर्ज की जा चुकी हैं। वहीं केंद्र और दिल्ली पुलिस को अधिक समय देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले को 13 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया।

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स दौरान तुषार मेहता ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय राजधानी में सामान्य स्थिति बहाल होने तक कोई न्यायिक हस्तक्षेप न हो। आगजनी, लूटपाट और नागरिक हिंसा (संशोधन) अधिनियम के तहत भड़की सांप्रदायिक हिंसा में हुई मौतों के संबंध में 48 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। नफरत भरे भाषणों पर एफआईआर दर्ज करने के लिए समय अनुकूल नहीं है। मेहता ने बेंच से कहा, 'इस समय स्थिति अनुकूल नहीं है। उचित समय पर एफआईआर दर्ज की जाएगी।'

मामले में मंडेर का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने इस मामले में तर्क दिया कि हर दिन 10-12 लोग मारे जा रहे हैं। इसलिए इसपर सुनवाई की तरीख जल्दी हो। गोंसाल्वेस ने कहा कि गोली मारो.. भाजपा नेताओं का एक 'पसंदीदा नारा' बन गया है। गोंसाल्वेस ने मांग की कि अभद्र भाषा के आरोपियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए।

को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा सांसद परवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और अभय वर्मा के नफरत फैलाने वाले भाषणों पर सुनवाई की थी। कपिल मिश्रा पर इस सप्ताह के शुरू में मौजपुर में एक भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा है, अन्य पर दिल्ली चुनाव से पहले विवादास्पद टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था।

ससे पहले बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जज दिल्ली पुलिस पर तब भड़क गए जब कोर्ट रूम में भाजपा नेता कपिल मिश्रा का भड़काऊ भाषण वाला वीडियो क्लिप चलाया गया।

सुनवाई के दौरान जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि स्थिति काफी खराब है। हमने सभी वीडियो देखे हैं। कई नेता भड़काऊ भाषण दे रहे हैं। वीडियो कई सारे न्यूज चैनलों पर मौजूद है। हाईकोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, डीसीपी (अपराध) से कहा कि क्या उन्होंने भाजपा नेता कपिल मिश्रा का कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण का वीडियो क्लिप देखा है? दिल्ली पुलिस का कहना था कि उसने कपिल मिश्रा का वीडियो नहीं देखा है जिसके बाद जज भड़क गए।

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स्टिस मुरलीधर ने कहा कि हम पुलिस के रवैये से हैरान हैं। कोर्ट ने एसजी से पुलिस कमिश्नर को भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सलाह देने के लिए भी कहा। अलावा हाई कोर्ट ने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा का भी वीडियो देखा।

हीं इस बीच दिल्ली हिंसा पर सुनवाई के दौरान भाजपा नेताओं पर सवाल उठाने वाले जज जस्टिस मुरलीधर का एक अधिसूचना के बाद तबादलता कर दिया गया। जस्टिस मुरलीधर अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज होंगे। वहीं दिल्ली हिंसा की अब चीफ जस्टिस डीएन पटेल करेंगे सुनवाई। दिल्ली हिंसा के लिए जिम्मेदार 3 बीजेपी नेताओं खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस मुरलीधर ने सरकार और दिल्ली पुलिस से तीखे सवाल पूछे थे।

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