दिल्ली के गांधी पीस फाउंडेशन में शाम 5 बजे से है कार्यक्रम, पहुंच रहे हैं देश के अलग—अलग हिस्सों उनके मित्र और समर्थक
जनज्वार। वामपंथी विचारों और राजनीति के लिए अपना जीवन लगा देने वाले कॉमरेड देवब्रत सेन का बीते 31 मई को देहांत हो गया। जिस जीजिविषा के साथ उन्होंने कैंसर जैसी असाध्य और कष्टकर बीमारी का सामना किया और अंत समय तक राजनीतिक कामों में लगे रहे...वो एक मिसाल है।
आज उनकी याद में दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित गांधी पीस फाउंडेशन शाम 5 बजे से स्मृति सभा आयोजन उनके साथियों ने किया है। वो 58 साल के थे और 28 मई को उनका 59वां जन्मदिन था।
यूँ तो देबू दा का कम्युनिस्ट आन्दोलन में प्रवेश ही उस वक्त हुआ, जब आपातकाल के काले अन्धेरे दौर के बाद क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट आन्दोलन एक नये दौर में प्रवेश कर रहा था। क्रान्तिकारी जनदिशा को लागू करने और देश की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों को समझने का नया प्रयास शुरू हुआ था। सांस्कृतिक आंदोलन के एक कार्यकर्ता के तौर पर देबू ने आंदोलन में दस्तक दी थी।
आज के इस कठिन दौर में, जब चौतरफा जिंदगी और इंकलाब के द्वंद के बीच तमाम साथी जिंदगी की ओर खींचे जा रहे हैं, ऐसे में इंकलाब की ओर अंत तक अपने को मजबूती से बनाए रखना, उन्हें एक सच्चे कम्युनिस्ट के रूप में स्थापित करता है। कॉमरेड देवब्रत सेन क्रांतिकारी वामपंथी आंदोलन में आजीवन सक्रिय रहे और उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों को संगठनबद्ध करने का प्रयास किया।