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स्वास्थ्य

कोरोना इफेक्ट: बच्चों के सामूहिक टीकाकरण पर रोक खतरनाक! झेलने पड़ सकते हैं भयंकर परिणाम

Janjwar Team
18 April 2020 12:20 PM IST
कोरोना इफेक्ट: बच्चों के सामूहिक टीकाकरण पर रोक खतरनाक! झेलने पड़ सकते हैं भयंकर परिणाम
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अनेक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि सामूहिक टीकाकरण के कार्यक्रमों को स्थगित करने के गरीब देशों में भयानक दुष्परिणाम होंगे, और इसका असर महामारी के बाद भी लम्बे समय तक होगा...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

ग्लोबल पोलियो एराडीकेशन इनिशिएटीव ने 24 मार्च की आम सभा में शिशुओं को पोलियो के ड्रॉप्स को पिलाने के कार्यक्रम को अगले 6 महीने तक स्थगित रखने का निर्णय लिया है। इसके दो दिनों बाद ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्ट्रेटेजिक एड्वाइजरी ग्रुप ऑफ़ एक्सपर्ट्स की मीटिंग में तय किया गया कि फिलहाल सामूहिक टीकाकरण के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए जाएँ क्योंकि इसे करते हुए सोशल डीस्टेसिंग का पालन करना असंभव है।

अनेक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि सामूहिक टीकाकरण के कार्यक्रमों को स्थगित करने के गरीब देशों में भयानक दुष्परिणाम होंगे, और इसका असर महामारी के बाद भी लम्बे समय तक होगा। गरीब देशों के बच्चों के लिए सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रम अकेला मौका होता है, जब उन्हें रोग प्रतिरोधक टीका मिलता है।

मार्च के अंतिम सप्ताह से अब तक का आकलन है कि लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों का पोलियो, खसरा, पैपिलोमावायरस, पीतज्वर, चेचक और मस्तिष्क ज्वर से सम्बंधित टीकाकरण नहीं हो पाया है।

पोलियो की बूँदें यदि लम्बे समय तक बच्चों को नहीं मिलीं तो संभव है यह फिर से दुनियाभर में फ़ैलने लगे, इससे पहले से अधिक बच्चे लकवाग्रस्त हो सकते हैं, और यह ऐसे क्षेत्रों में भी पहुँच सकता है जो क्षेत्र इससे मुक्त घोषित किये जा चुके हैं। फिलहाल भी, दुनिया पोलियो-मुक्त नहीं है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इसके वायरस के नए प्रकार मिल रहे हैं, अफ्रीका में तो इसके टीके के लिए जो दवा पिलाई जाती है उसी से पोलियो फ़ैल रहा है।

खसरा के टीके का कार्यक्रम अभी तक लगभग 25 देश स्थगित कर चुके हैं, और कई देश इस पर विचार कर रहे हैं। यदि इसके टीके में देर होती है तो दुनिया में लगभग 8 करोड़ बच्चे इससे मरहूम हो जायेंगे। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल में खसरा विशेषज्ञ रॉब लिंकिंस के अनुसार जितने बच्चों को खसरा होता है, उनमें से 10 से 15 प्रतिशत तक बच्चों की मृत्यु हो जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार गरीब देशों के कुपोषित बच्चों पर इसका खतरा अधिक होता है। वर्ष 2018 में दुनियाभर में एक करोड़ बच्चे खसरा की चपेट में आये थे, जिसमें से 140000 बच्चों की मृत्यु हो गई। यह राहत की बात है कि खसरे के सबसे अधिक मामले वाले देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कोंगो में यह कार्यक्रम स्थगित नहीं किया गया है। कोंगों में खसरे से 340000 बच्चे संक्रमित थे और इसमें से 6500 बच्चों की मृत्यु हो गयी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सरकारी या गैर-सरकारी अस्पताल अपने स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम जारी रख सकते हैं। पर, कम से कम आज के दौर में यह संभव नहीं लगता। सभी अस्पताल कोरोनावायरस के मरीजों के साथ व्यस्त हैं, ऐसे में दूसरी सामान्य सुविधाएं प्रभावित हो रहीं हैं। अधिकतर अस्पतालों में डोक्टरों या दूसरे चिकित्सा से जुड़े कर्मचारियों के पास व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों का भारी अभाव है, इसलिए अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे माहौल में नहीं ले जाना चाहते। अनेक अस्पतालों में टीके की दवा ख़त्म हो चुकी है, और आपूर्ति अभी बंद है।

टीकाकरण के अतिरिक्त भी अनेक स्वास्थ्य कार्यक्रम इस समय रुके हुए हैं। अलायन्स ऑफ़ इंटरनेशनल मेडिकल एक्शन की प्रबंध निदेशक औगुस्तिन औगिएर के अनुसार उनकी संस्था हरेक वर्ष अफ्रीका के देशों में सबसे गरीब परिवारों की पांच लाख महिलाओं को बच्चो के जानलेवा कुपोषण की पहचान और इसे दूर करने के उपायों पर प्रशिक्षण देता है, पर इस वर्ष इस कार्यक्रम को भी स्थगित कर दिया गया है।

महामारी के बाद भी टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित होगा क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन को सबसे अधिक आर्थिक सहायता देने वाला देश अमेरिका ने इसके अनुदान को रोक दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग में स्वास्थ्य विशेषज्ञ देवी श्रीधर ने कहा है कि ऐसे समय जब पूरी दुनिया को विश्व स्वास्थ्य संगठन की सबसे ज्याद जरूरत है, तब इसके अनुदान को रोकना ट्रम्प प्रशासन की अदूरदर्शिता ही दिखाता है।

अधिकतर विशेषज्ञों के अनुसार ट्रम्प प्रशासन इस हरकत से केवल अपनी नाकामियों पर पर्दा डाल रहा है, साथ ही विश्व को पहले से अधिक असुरक्षित भी बना रहा है।

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