कोरोना मरीजों की इलाज कर घर पहुंची नर्स को पति ने कहा, जिसके साथ रही 2 महीने अब करो उसी के साथ जीवन व्यतीत
सरायकेला सदर अस्पताल से दो महीने बाद घर आयी स्टाफ नर्स तो पति ने कहा जहां अब तक रहीं अब वहीं जीवन व्यतीत करो, अस्पताल में आइसोलेश वार्ड की दी गई थी जिम्मेदारी, लॉकडाउन से फंस गईं थी नर्स...
आलोक कुमार की रिपोर्ट
सरायकेला। झारखंड के सरायकेला सदर अस्पताल में पदस्थापित हैं प्रमिला रोबर्ट। यहां पर एक जीएनएम स्टाफ नर्स के रूप में पिछले कई वर्षों से सेवारत हैं। स्टाफ नर्स के पारिवारिक जीवन में कलह बनकर कोरोना सामने आने की खबर है।
स्टाफ नर्स कोरोना वॉरियर्स प्रमिला रोबर्ट ने पहले से ही सरायकेला सदर अस्पताल में सहकर्मियों के बीच अपने कार्यकुशलता के बल पर पहचान बनाने में सफल रही हैं। इस समय कोरोना संक्रमितों के इलाज में लगी हुई हैं। सदर अस्पताल के निदेशक ने उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए उन्हें अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड का प्रभारी बना दिया गया है।
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आइसोलेशन वार्ड का प्रभारी बनने से जिम्मेवारी बढ़ जाने के कारण कोरोना संकट में प्रमिला ने लोगों की जिंदगी बचाने का संकल्प लेकर घरबार व सुख-चैन त्यागकर अपना कर्तव्य कर्मठता से निभाने लगी। वह घर न जाकर अस्पताल में ही ठहरने लगी।
मगर उसे क्या पता था कि कोरोना की जंग साहस व संकल्प के बल पर लड़ते-लड़ते अपनों की रुसवाई व कलंक झेलना पड़ेगा। पति ने मुक्तकंठ से कह दिया कि जिसके साथ दो माह से रहती हो उसी के साथ बाकी जीवन व्यत्तित कर लो।इस पूरी मार्मिक पटकथा की बदनसीब नायिका सरायकेला सदर अस्पताल की जीएनएम नर्स स्टाफ प्रमिला रोबर्ट हैं।
प्रमिला रोबर्ट जीएनएम नर्स के रूप में पिछले कई वर्षों से सदर अस्पताल में पदस्थापित हैं। अस्पताल की आकस्मिक सेवा में पिछले कई वर्षों से मरीजों की सेवा में तत्परता व तन्मयता दिखाने के लिए प्रमिला की सेवा भावना का हर कोई कायल है। वह अस्पताल में ड्यूटी के बाद रोज अपने घर जमशेदपुर के बारीडीह बस्ती लौटती थीं।
लेकिन अपनी सेवा से सबकी वाहवाही बटोर रही प्रमिला को अपने घर से रुसवाई मिल रही है। कोरोना संक्रमण के बीच अस्पताल में काम करने के कारण सास ने घर आने पर रोक लगा दिया है। उनका कहना है कि प्रमिला के आने से घर में कोरोना फैल जायेगा। इस नयी परिस्थिति के बीच अब वह घर चाहकर भी नहीं लौट पा रही हैं। उनकी एक बेटी लगातार उन्हें बुला रही हैं, मगर वह बेबस होकर केवल फोन पर बात कर ही खुद को तथा अपनी बेटी को तसल्ली दे रही हैं।पति ने चरित्र पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
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प्रमिला की सेवा भावना व कर्मठता के कारण सिविल सर्जन ने अस्पताल के सबसे ऊपरी तल्ले में उन्हें रहने के लिए एक कमरा दिया है। अस्पताल से नि:शुल्क उन्हें खाना भी दिया जा रहा है। कहने के लिए वह अपने शिफ्ट की ड्यूटी करती हैं, मगर 24 घंटे मरीजों की सेवा में लगी रहती हैं। उनकी सेवा भाव को हर कोई सलाम करता है। लेकिन रेलवे में काम करने वाले पति मुकेश लारकीन उनके चरित्र पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं।
पति का कहना प्रमिता अस्पताल में किसी और के साथ रह रही है, इसलिए घर नहीं आ रही है। घर लौटना है, तो नौकरी छोड़नी होगी। प्रमिला का कहना है कि वह परिवार चलाने के लिए ही नौकरी करती हैं, ऐसे में कैसे छोड़ सकती हैं। अपनी वेदना को कहते-कहते प्रमिला की आंखों आंसूओं के सागर में डूब गईं।