प्रह्लाद राव डाक विभाग की जिस ब्रांच में काम करते हैं वह 54 साल पुरानी है। यह ब्रांच 427 लोगों तक 4 लाख रुपये से अधिक के इलेक्ट्रॉनिक मनी ऑर्डर पहुंचाने के साथ ही 349 ब्रांच ऑफिसों में दूसरे नंबर पर रही...
जनज्वार ब्यूरो। बेंगलुरु में रह रहीं चंदना राव के पिता प्रह्लाद राव डाक विभाग में कार्यरत हैं। इस समय जब देश कोरोना वायरस के संकट से गुजर रहा है, वह लोगों की मदद में फ्रंटलाइन पर खड़े हैं। प्रह्लाद राव कर्नाटक के कोलार जिले में मीलों दूर जाकर लोगों के बीच पहुंचकर इलेक्ट्रॉनिक मनी ऑर्डर पहुंचा रहे हैं।
काम के प्रति प्रह्लाद राव की इस प्रतिबद्धता को देखते हुए डाक विभाग की ओर से उन्हें एक पत्र मिला, जिसमें उनके काम की तारीफ की गई थी। बेटी चंदना जो बेंगुलुरु में एडोबी की एंगेजमेंट एंड कॉम्स सपोर्ट में काम करती हैं, उसने इस पत्र को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। जिस पर लोग उनकी खूब सराहना कर रहे हैं।
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चंदना ने सोशल मीडिया पर अपने एक पोस्ट में लिखा था, 'मैंने बचपन से ही अपने पिता को बिना किसी शिकायत के अपने विभाग के लिए ईमानदारी से काम करते देखा है। डैड, आप इस तारीफ के हकदार हैं और आप इस कोविड-19 महामारी में एक हीरो के रूप में काम कर रहे हैं। आप जैसे लोग प्रशासन के मजबूत स्तंभ हैं और हम सभी जानते हैं कि आपने आम लोगों की कितनी मदद की है। हमें आप पर बहुत गर्व है अप्पा। आपकी उपलब्धि के लिए बधाई।'
प्रह्लाद राव डाक विभाग की जिस ब्रांच में काम करते हैं वह 54 साल पुरानी है। यह ब्रांच 427 लोगों तक 4 लाख रुपये से अधिक के इलेक्ट्रॉनिक मनी ऑर्डर पहुंचाने के साथ ही दूसरे नंबर पर रही। 349 ब्रांच ऑफिसों में इस ब्रांच का दूसरा नंबर रहा।
डाक विभाग से मिला प्रशस्ति पत्र
'द बेटर इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक चंदना ने बताया, 'सरकार ने सेवानिवृत्त लोगों के लिए धन की मंजूरी दी है और यह मेरे पिता जैसे लोगों का कर्तव्य है कि वे जल्द से जल्द धन का वितरण करें। इस तरह से वह उन परिवारों की मदद कर रहे हैं जिनकी आजीविका इस महामारी के कारण प्रभावित हुई है। अप्पा ने ऐसे कठिन समय में भी अपने काम के प्रति समर्पण से हमें फिर से गौरवान्वित किया है।'
चंदना राव और उनका पूरा परिवार अपने पिता की इस उपलब्धि पर बहुत खुश तो है लेकिन साथ ही उनके स्वास्थ्य को लेकर काफ़ी चिंतित भी है। प्रह्लादराव लोगों की सेवा करने के लिए अपनी तरफ़ से हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
प्रह्लादराव ने कहा, 'इस महामारी के कारण लोगों का जीवन थम गया है और उनकी आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है। मैं अपने देश के लिए जितना योगदान दे सकता हूं उतना कर रहा हूं। हमेशा मेरा साथ देने के लिए मैं अपनी टीम और मेरे काम की सराहना करने के लिए सरकार के प्रति आभारी हूं।'
उन्होंने बताया कि उनकी टीम मास्क और सैनिटाइजर बॉटल से लैस है। प्रह्लादराव बहुत सावधानीपूर्वक डिलीवरी करते हैं और सोशल डिस्टेंस बनाए रखते हैं। अपने विनम्र स्वभाव के कारण वह अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। डिलीवरी के दौरान वह अतिरिक्त समय लगाकर लोगों को महामारी के दौरान अपने घरों के अंदर रहने के लिए जागरुक भी करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रह्लादराव ने 37 साल पहले पोस्टमैन के रूप में काम की शुरुआत की और धीरे-धीरे डाक सेवा विभाग के माध्यम से अपना काम करने लगे। अब वह साइकिल की बजाय मोटरसाइकिल से डिलीवरी करते हैं। हालांकि एक वरिष्ठ कर्मचारी होने के नाते उन्हें इस लॉकडाउन के दौरान ऑफिस में रहना चाहिए, लेकिन उन्हें पार्सल पहुंचाना बहुत पसंद है।
प्रह्लाद राव कहते हैं, 'चाहे वह जॉब ऑफरिंग लेटर, कोर्ट नोटिस, दवाएं या किसी भी तरह का पार्सल हो, पैकेज मिलने पर लोगों के चेहरे पर जो खुशी और मुस्कान दिखती है वही मेरी नौकरी का सबसे अच्छा हिस्सा है। उन्हें खुश देखकर मेरा दिन बन जाता है। मैं रिटायर होने के दिन तक इसी तरह लोगों के चेहरे पर ख़ुशी देखना चाहता हूं।'
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'मुझे ऐसा एक भी दिन याद नहीं है जब डैड ने काम से छुट्टी ली हो। मैंने उन्हें लोगों की मदद के लिए घर से निकलते हुए हमेशा देखा है, भारी बारिश में भी और भीषण गर्मी में भी। जब कभी पेंशन देर से आता है तो वह अपनी जेब से बुजुर्गों को पैसे दे देते हैं।'
चंदना कहती हैं, 'जिस तरह की विरासत, सम्मान और प्रतिष्ठा उन्हें उनकी सेवाओं के बदले मिली है, वह किसी दिन मैं भी हासिल करना चाहती हूं।' कोरोना वायरस किसी व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, लेकिन प्रह्लादराव जैसे सरकारी अधिकारी लोगों के बीच जाने का जोखिम उठा रहे हैं और बहुत लोगों को इसके बारे में जानकारी भी दे रहे हैं। अपनी सुरक्षा से ज्यादा अपने काम को प्राथमिकता देने के लिए इन फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए तारीफ के दो मीठे बोल ही काफी हैं।