जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद की देशद्रोह के मामले में गिरफ्तारी फिलहाल टली
शेहला राशिद ने कश्मीर में सुरक्षाबलों पर अपने ट्वीटस से उठाये थे कई सवाल, कहा था कश्मीर में हालात बहुत खराब हैं, सुरक्षाबलों द्वारा आम नागरिकों को किया जा रहा परेशान...
जनज्वार। दिल्ली की एक अदालत ने कल शुक्रवार 15 नवंबर को दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की नेता और जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद को 10 दिन की पूर्व-गिरफ्तारी नोटिस दे, ताकि कश्मीर पर उनके विवादास्पद ट्वीट्स पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया जा सके। शेहला राशिद पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर इंडियन आर्मी को बदनाम करने की कोशिश की है। अदालत ने शेहला राशिद पर यह यह आदेश उस वक्त जारी किया जब उनकी अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई की गयी थी।
दिल्ली की एडिशनल सेशन्स जज सतीश कुमार अरोड़ा ने सुनवाई के दौरान कहा कि, 'आरोपों की प्रकृति पर ध्यान देते हुए और जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत किए गए रिपोर्ट के मुताबिक यह पाया गया कि जांच प्राथमिक स्तर पर है। अगर आरोपी की गिरफ्तारी की जरूरत पड़ती है तो उन्हें 10 दिन पहले गिरफ्तारी का नोटिस जारी किया जाए।
गौरतलब है कि अदालत ने 10 सितंबर को शेहला राशिद को दिल्ली पुलिस द्वारा जांच में शामिल होने का निर्देश दिया था। उनके वकील ने कहा था कि वह जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं और पुलिस के साथ सहयोग करेंगी।
शेहला राशिद ने अगस्त में कश्मीर में सुरक्षाबलों पर अपने ट्वीटस से कई सवाल उठाये थे। उन्होंने ट्वीट्स में लिखा था कि कश्मीर में हालात बहुत खराब हैं। यहां सुरक्षाबलों द्वारा आम नागरिकों को परेशान किया जा रहा है।' हालांकि बाद में शेहला राशिद के इन आरोपों का सेना ने खंडन किया था।
शेहला राशिद के सुरक्षाबलों पर दिये गये विवादास्पद ट्वीट्स पर वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी। अपनी शिकायत में अलख श्रीवास्तव ने आरोप लगाया था कि 'पूर्व जेएनयू छात्र नेता द्वारा सेना पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत और मनगढ़ंत हैं। उनके आरोपों का कोई आधार नहीं है। शेहला राशिद ने देश में हिंसा भड़काने के इरादे से जान-बूझकर फर्जी खबरें फैलाने और भारतीय सेना की छवि बिगाड़ने की कोशिश की है।'
अलख आलोक श्रीवास्तव की इस शिकायत के बाद पुलिस ने शेहला राशिद के खिलाफ आईपीसी की धारा 124A (देशद्रोह), 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना) , 504 (शांति भंग करने के लिए भड़काने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और आईपीसी के 505 (सार्वजनिक दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार बयान) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।