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विमर्श

दिल्ली हाईकोर्ट ने दी चेतावनी, वकील-पुलिस भिड़ंत जनहित के लिए है विनाशकारी

Prema Negi
8 Nov 2019 12:36 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने दी चेतावनी, वकील-पुलिस भिड़ंत जनहित के लिए है विनाशकारी
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मतभेदों को सुलझाने के लिए कोर्ट ने दिया वकील-पुलिस की संयुक्त बैठक का सुझाव, कहा अधिवक्ता और पुलिस हैं न्याय के सिक्के के दो चेहरे

जेपी सिंह की टिप्पणी

तीस हजारी हिंसा के बाद शहर में अधिवक्ताओं और पुलिस अधिकारियों के बीच बढ़ते तनाव को रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने सुझाव दिया है कि अधिवक्ताओं और पुलिस प्रतिष्ठान के जिम्मेदार प्रतिनिधियों की एक संयुक्त बैठक बुलाई जाए, ताकि विवाद को सुलझाया जा सके औरउनके मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से दूर किया जा सके।

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर की खंडपीठ ने वकील-पुलिस भिड़ंत मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इसलिए हमारे विचार में इस मामले में यह उचित होगा कि अधिवक्ताओं और पुलिस प्रतिष्ठान के जिम्मेदार प्रतिनिधियों की एक संयुक्त बैठक बुलाई जाए, जो अपने मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करें। हमारे विचार से पिछले कुछ दिनों में दोनों पक्षों के बीच संवादहीनता बढने से विवाद बढ़ा है इसलिये विचार-विमर्श से विवाद सुलझ सकेगा। पीठ ने कहा कि अधिवक्ता और पुलिस न्याय के सिक्के के दो चेहरे हैं।

खंडपीठ ने कहा कि इस आदेश के पारित करने के साथ हम यह ध्यान दिलाना उचित समझते हैं कि हमारी लोकतांत्रिक नीति में, बार और पुलिस प्रतिष्ठान पर कानून के शासन को बनये रखने और सुरक्षित रखने का गुरुतर दायित्व होता है। ये न्याय के सिक्के के दो चेहरे हैं, और यह कानून के शासन के लिए जरूरी है कि वे आपसी घनिष्ठता और सदभाव में काम करें। उनके बीच कोई भी असंगति, या संघर्ष, शांति और सदभाव के लिए ठीक नहीं है और लंबे समय में जनहित के लिए विनाशकारी है। खंडपीठ ने आशा व्यक्त की कि दोनों पक्षों द्वारा इस दिशा में एक ईमानदार प्रयास किया जाएगा और शांति और सदभाव अंततः कायम रहेगा।

पुलिस और वकीलों की झड़प पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस और केन्द्रीय गृह मंत्रालय को जोरदार झटका दिया है। कहा गया है कि वकीलों के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं होगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार 6 नवंबर को कहा कि वकीलों और पुलिस के बीच झड़प के मामले में उसके 3 नवंबर के आदेश में स्पष्टीकरण की कोई जरूरत नहीं है और आदेश अपने आप में स्पष्ट है।

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर ने आदेश पर पुनर्विचार और स्पष्टीकरण की मांग वाली केन्द्रीय गृह मंत्रालय की याचिका का निपटारा किया। हाईकोर्ट ने अपने 3 नवंबर के आदेश में कहा था कि वकीलों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न हो। केंद्र ने अपनी याचिका में कहा था कि यह आदेश बाद की घटनाओं पर लागू नहीं होना चाहिए।

तीस हजारी कोर्ट में भिड़ंत के बाद शुरू हुआ वकील और पुलिस के बीच का विवाद अभी थमा नहीं है। बुधवार 6 नवंबर को ही दिल्ली हाईकोर्ट में तीस हजारी विवाद पर सुनवाई हुई। दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच हिंसा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि गृह मंत्रालय की स्पष्टीकरण की मांग वाली अर्जी का निपटारा कर दिया गया है।

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई कमिटी ही मामले की जांच जारी करेगी। मीडिया रिपोर्टिंग पर कोई रोक नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा हमने अपने रविवार के आदेश में कहा था कि केवल 2 एफआईआर जो उस दिन तक दर्ज हुई हैं, उसको लेकर कार्रवाई नहीं होगी। उसके बाद अगर कोई एफआईआर दर्ज हुई है, तो उस पर दिल्ली पुलिस कार्रवाई कर सकती है।

रअसल, 3 नवंबर के आदेश के बाद दिल्ली के साकेत कोर्ट के बाहर एक ऑन-ड्यूटी पुलिसकर्मी और एक सिविलयन की सोमवार 4 नवंबर और मंगलवार 5 नवंबर को वकीलों ने पिटाई की थी। इस संबंध में पुलिस ने 2 अलग-अलग शिकायत दर्ज की है। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें साकेत कोर्ट की घटना के संबंध में वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की इजाजत मांगी थी।

सुनवाई में वकीलों की तरफ से दिल्ली पुलिस पर नए आरोप लगाए गए हैं। कहा गया है कि सीनियर पुलिसवालों ने वकीलों के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल किया था, जिस पर एक्शन हो। वकील पक्ष ने उस वकील को पहचानने से भी इनकार किया, जिसका वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में एक शख्स पुलिसवाले को पीट रहा था। उसे वकील बताया जा रहा था।

कील पक्ष ने कोर्ट में आरोप लगाया कि पुलिस अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर रही है। मांग की गई कि वकीलों के खिलाफ गलत भाषा का इस्तेमाल करनेवाले पुलिसवालों के खिलाफ पुलिस को ही तुरंत ऐक्शन लेना चाहिए। कोर्ट में साकेत कोर्ट के विडियो का मामला भी उठा। वीडियो में एक शख्स पुलिसवाले को पीट रहा था। उस शख्स को वकील बताया गया था। कोर्ट में वकील पक्ष ने कहा कि हम हमला करने वाले वकील को नहीं जानते। वह वकील है या नहीं पता नहीं।

ससे पहले वकीलों ने दिल्ली के जिला कोर्टों में प्रदर्शन किया था। दिल्ली की पांच जिला अदालतों में वकीलों ने कामकाज ठप कर दिया था। रोहिणी कोर्ट में एक वकील ने बिल्डिंग की छत पर चढ़कर खुदकुशी करने की भी कोशिश की थी। सुनवाई से पहले तक पटियाला हाउस कोर्ट, साकेत कोर्ट, रोहिणी कोर्ट, कड़कड़डूमा कोर्ट और तीस हजारी कोर्ट में वकील प्रदर्शन कर रहे थे। मंगलवार 6 नवंबर को दिल्ली पुलिस के जवानों ने धरना प्रदर्शन किया था। पुलिसवाले करीब 10 घंटे तक दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर जमे रहे। पुलिसवालों ने विभिन्न मांगें की थीं, जिन पर आश्वासन देकर उनको वहां से हटाया जा सका था।

हाईकोर्ट में बार काउंसिल की ओर से कहा गया है कि पुलिस को यह बताना होगा कि गोली चलाने वाले पुलिस के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। पुलिस अपने मामले की छुपाने की कोशिश कर रही है। बार काउंसिल ने कहा कि साकेत की घटना में दिल्ली पुलिस ने सेक्शन 392 के तहत मामला दर्ज किया, पुलिस ने डकैती का मामला दर्ज किया है। यह पावर का गलत इस्तेमाल कर रहे है।

कीलों और पुलिस के बीच टकराव के चलते केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। इसमें गृह मंत्रालय ने कोर्ट से 3 नवंबर को जारी किए गए उसके आदेश पर सफाई मांगी थी। मंत्रालय ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि वकीलों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने से जुड़े संबंधित आदेश उसके बाद की घटनाओं पर लागू नहीं होना चाहिए, लेकिन कोर्ट ने ऐसा आदेश नहीं दिया।

2 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस वालों के बीच हुए हिंसक झड़प का संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार को न्यायिक जांच का आदेश दिया था। इसके अलावा हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जिन वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न हो।

ब इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की है, जिसमें निर्देश दिया गया है कि जिन वकीलों के खिलाफ एफ़ाइआर दर्ज हुई है, उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न हो। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, दिल्ली के सभी 6 डिस्ट्रिक्ट बार असोसिएशनों को नोटिस जारी किया था।

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