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दिल्ली दंगों के बाद ट्रांसपोर्टरों की बुकिंग में 40 प्रतिशत कमी, रोजाना 1 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

Nirmal kant
29 Feb 2020 10:25 AM GMT
दिल्ली दंगों के बाद ट्रांसपोर्टरों की बुकिंग में 40 प्रतिशत कमी, रोजाना 1 करोड़ से ज्यादा का नुकसान
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जनज्वार। देश की राजधानी दिल्ली में दंगों के बाद अब इसका बुरा असर इसका कारोबार पर भी पड़ने लगा है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कारखानों और दुकानों में माल की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है। ट्रासपोर्टरों की बुकिंग में भी कमी आई है। बाहरी राज्यों से कारोबारी अब हिंसाग्रस्त इलाकों में कारोबार नहीं कर रहे हैं।

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने कहा कि सामान्य दिनों में दिल्ली में रोजाना 40 हजार ट्रक माल आता और जाता है लेकिन हिंसा के कारण इसमें भारी कमी आई है। वहीं ट्रांसपोर्टर देविंदर सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से हिंसा के कारण ट्रांसपोर्टरों की बुकिंग में 30 से 40 प्रतिशत कमी आई है।

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राजेंद्र कपूर ने आगे कहा कि इसकी दो अहम वजह हैं। पहली बात तो यह कि दंगों के कारण बाहरी राज्यों के कारोबारी दिल्ली खरीददारी करने कम आ रहे हैं। दूसरी वजह यह है कि हिंसा प्रभावित सीलमपुर, जाफराबाद, भजनपुरा, चांदबाद, करावलनगर, मौजपुर, शाहदरा आदि इलाकों में कारखाने और दुकानों में कारोबार ठप है। ऐसे में इन इलाकों में माल लाने और यहां से बाहर भेजने के लिए बुकिंग में थम गई है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि कारोबार सामान्य होने में समय लगेगा।

चौक सर्वव्यापार मंडल के महासचिव संजय भार्गव ने कहा कि हिंसा कारण चांदनी चौक समेत पुरानी दिल्ली के अन्य बाजारों में ग्राहकों की संख्या 30 प्रतिशत से ज्यादा घटी है। इसका असर ट्रांसपोर्टरों की बुकिंग पर पड़ना लाजिमी है।

दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्य़क्ष देवराज बवेजा भी मानते हैं कि हिंसा के कारण, खासकर, बाहरी राज्यों से कारोबारी कम आने से कारोबार मंदा है। उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टरों को दिल्ली से बाहर माल भेजने के लिए बुकिंग कम मिल रही है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिकक दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी राजेन्द्र कपूर के मुताबिक पहले समान्य दिनों में रोजाना दिल्ली में 40-45 हजार ट्रक लोड-अनलोड होते थे, लेकिन सोमवार के बाद यह आंकड़ा गिरकर प्रतिदिन 10-12 हजार ट्रकों के लोडिंग-अनलोडिंग तक पंहुच गई है। इसका कारण है कि बाजार से कारोबारी व कर्मचारी दोनों दंगे के डर से गायब हैं।

भारतीय व्यापारी परिसंघ के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक दंगे की वजह से रोजाना करीब 1 से डेढ़ करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। यहां काम करने वाले 90 फीसदी कर्मचारी दंगा प्रभावित इलाकों से आते हैं। फिलहाल नुकसान का प्रारंभिक आकलन ही कर सके हैं।

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दिल्ली में हुई हिंसा के बाद अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जताते हुए वरिष्ठ पत्रकार और आर्थिक मामलों के जानकार राजेश रपरिया ने जनज्वार से बातचीत में कहा कि देश में जो अशांति और असुरक्षा का जो माहौल बना है, ऐतिहासिक तथ्यों को देखें तो ऐसे में वैसे भी विकास दर अटक जाती है। जब भी किसी देश को ज्यादा विकास दर चाहिए होती है तो कानून व्यवस्था और शांति उसकी पहली आवश्यकता होती है। जितना निवेश गुजरात, महाराष्ट्र में आता है उतना बिहार, यूपी में नहीं आता है। इसलिए विकास के लिए शांति और सुरक्षा बहुत जरुरी है।

न्होंने आगे कहते हैं, पहले ही कोरोना वायरस का असर बाजार पर पड़ा है। माल की आवाजाही के लिए कानून व्यवस्था आश्यक है। लोग यात्रा करने से बच रहे हैं। यात्री भाड़े में कमी आई है। अब दिल्ली के दंगों से कारोबार को बहुत नुकसान होगा।

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