मिर्जापुर के डीएम बोले नहीं हुआ किसानों पर लाठीचार्ज, सैकड़ों किसानों ने किया घेराव
डीएम अपने विवादित बयान के चलते सुर्खियों में है। रविवार 1 मार्च को पत्रकार वार्ता के दौरान डीएम सुशील पटेल ने लाठीचार्ज के बात को सिरे से नकार दिया गया जिसके चलते आक्रोशित सैकड़ो की संख्या में किसानों ने मुख्यालय का घेराव किया...
मिर्जापुर से पवन जायसवाल की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में डेडिकेट फ्रेट कारिडोर का काम करवा रही ठेका कंपनी द्वारा खड़ी गेहूं की फसल को रौंदे जाने का विरोध करना कुंडाडीह जादवपुर गांव के किसानों को महंगा पड़ गया। निर्माण कम्पनी के द्वारा 45 मीटर चौड़ा और 60 किलोमीटर के पूरे छेत्र में जेसीबी चलाकर गेंहू, सरसो, मटर के फसल को रौंद दिया गया। सैकड़ों किसान मौके पर पहुंच कर इसका विरोध करने लगे। उनकी सुनवाई न होने पर खेतों में दौड़ रही जेसीबी व पोकलैंड के सामने लेटकर विरोध दर्ज कराने लगे। पुलिस ने किसानों को हटाने की कोशिश की। न मानने पर पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया।
बता दें कि जनज्वार ने सबसे पहले रविवार को इस घटना की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद से राज्य सरकार और जिला प्रशासन के रवैये पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने लिखा, 'मिर्जापुर के किसानों ने मेहनत से अपनी फसल लगाई थी और भाजपा सरकार की पुलिस ने खड़ी फसल रौंद दी। कल मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए खूब झूठे ऐलान किए और 24 घंटे भी नहीं बीते कि महिला किसानों के साथ सरकार का व्यवहार देखिए। किसान विरोध भरा है भाजपा के अंदर।'
मिर्जापुर के किसानों ने मेहनत से अपनी फसल लगाई थी और भाजपा सरकार की पुलिस ने खड़ी फसल रौंद दी।
कल मुख्यमंत्री और प्रधानमन्त्री ने किसानों के लिए खूब झूठे ऐलान किए और 24 घंटे भी नहीं बीते कि महिला किसानों के साथ सरकार का व्यवहार देखिए।
किसान विरोध भरा है भाजपा के अंदर। pic.twitter.com/WFEkWPAjzH
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) March 2, 2020
लाठीचार्ज में तीन महिला समेत छह किसान घायल हुए हैं जिन्बें अस्पताल में उपचार कराया गया। इसमें एक को ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया। कुंडाडीह व जादवपुर गांव के किसानों की काफी जमीन रेलवे चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत हुई है। इसमें बहुत से किसानों को मुआवजा मिल चुका हैं जबकि कई किसानों को मुआवजा अभी तक नहीं मिल पाया है। किसानों की मांग थी कि उनकी खड़ी फसल को न रौंदा जाए। जमीन की नापी व गेहूं की फसल कटने के बाद ही निर्माण कार्य कराया जाए।
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महिलाओं और पुलिस में नोंकझोंक होने के बाद उपजिलाधिकारी चुनार जंग बहादुर यादव व सीओ चुनार हितेंद्र कृष्ण, थाना प्रभारी निरीक्षक अदलहाट प्रमोद कुमार यादव, थाना जमालपुर, थाना अहरौरा सहित एक प्लाटून पीएसी व भारी संख्या में पुलिस बल व महिला पुलिस किसानों पर टूट पड़ीं।
इसमें 35 वर्षीय धर्मेद्र सिंह, 45 वर्षीय राजनाथ, 62 वर्षीय सुक्खी, 60 वर्षीय मुन्नी, 45 वर्षीय पत्ती देवी, 50 वर्षीय बदामी देवी घायल हो गए। जिनको स्थानीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। धर्मेंद्र का हाथ टूटने और गंभीर चोट लगने के कारण उसे ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया। कई और किसानों को हल्की फुल्की चोटें आईं। किसानों के विरोध के बाद भी फसलों को रौंदते हुए बिना मापी कराए कार्यदायी संस्था का कार्य चलता रहा।
पंचायत में हुआ था फैसला तो फिर क्यों चली फसल पर जेसीबी
कार्यदायी संस्था जमीन का अधिग्रहण करना चाहती थी, लेकिन किसान फसल लगा चुके थे। किसानों ने बताया कि इस मामले को लेकर एसडीएम के साथ पूर्व किसान पंचायत में किसानों की वार्ता कर निर्णय लिया गया था कि फसल कटने और नापी होने के बाद ही अधिग्रहण किया जाएगा। पंचायत में निर्णय होने के बाद आखिर प्रशासन को क्या जल्दी थी कि आनन-फानन में जेसीबी लेकर किसानों के खेतों में खड़ी फसल को बर्बाद करने पहुंच गए।
मिर्ज़ापुर डीएम का विवादित बयान
वहीं मिर्ज़ापुर के डीएम अपने विवादित बयान के चलते सुर्खियों में है। रविवार 1 फरवरी को पत्रकार वार्ता के दौरान डीएम सुशील पटेल ने लाठीचार्ज के बात को सिरे से नकार दिया गया, जिसके चलते आक्रोशित सैकड़ो की संख्या में किसानों ने मुख्यालय का घेराव किया। विवाद बढ़ते देख जिले के एडीएम यूपी सिंह ने मोर्चा संभाला और पूरे मामले की जांच का आश्वासन दिया।
किसानों ने बताया रविवार को चुनार तहसील के एसडीएम जंग बहादुर यादव पुलिस दल बल के साथ पहुंचे और किसानों से वार्ता के उपरांत ही लाठीचार्ज करा दिया, जिससे आहत किसान यूनियन के लीडर सिद्धनाथ सिंह ने एसडीएम को स्थानांतरित करने के लिए एडीएम यूपी सिंह को ज्ञापन सौंपा।