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चुनावी पड़ताल 2019

कार्रवाई तो दूर हेट स्पीच पर मोदी-शाह को चेतावनी देने की हिम्मत भी न कर सका चुनाव आयोग

Prema Negi
30 April 2019 5:14 PM GMT
कार्रवाई तो दूर हेट स्पीच पर मोदी-शाह को चेतावनी देने की हिम्मत भी न कर सका चुनाव आयोग
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मोदी-शाह द्वारा चुनावी सभाओं में सेना के नाम पर वोट मांगने और हेट स्पीच के बावजूद चुनाव आयोग की क्लीनचिट से एक बार फिर साफ हो गया है कि अब चुनाव आयोग भी मोदी सरकार की जेबी संस्था में हो चुकी है पूर्णतया तब्दील...

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

मोदी-शाह को हेट स्पीच और सेना के राजनीतिक इस्तेमाल पर क्लीनचिट देने से कटघरे में चुनाव आयोग खुद कटघरे में आ गया है। हैट स्पीच और सेना के राजनीतिक इस्तेमाल पर चुनाव आयोग मोदी—शाह पर कोई कार्रवाई करना तो दूर, उन्हें चेतावनी भी न दे पाया। बल्कि उन्हें क्लीनचिट देकर साबित कर दिया कि वह मोदी सरकार का भोंपू बन चुका है।

उच्चतम न्यायालय में आज मंगलवार 30 अप्रैल को तीन हाईप्रोफाइल मामलों की सुनवाई हुई, जिसमें राहुल ने उच्चतम न्यायालय के हवाले 'चौकीदार चोर है' कहने के लिए उच्चतम न्यायालय से माफ़ी मांग ली है और राहुल की तरफ से नया एफिडेविट उच्चतम न्यायालय में दाखिल किया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा राफेल पर सुनवाई को करीब 4 हफ्ते के लिए टालने के अनुरोध को अस्वीकृत करते हुये उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केंद्र को अपना जवाब शनिवार 4 मई तक देना होगा।

इसके साथ ही न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख तय की। कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत पर उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग से जवाब तलब किया, तो चुनाव आयोग ने पीएम नरेंद्र मोदी को सेना के नाम पर वोट मांगने के आरोपों पर क्लीनचिट दे दी है। आयोग ने कहा है कि पीएम मोदी ने आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया।

राहुल गांधी ने खेद के बजाय माफ़ी मांगी

'बिन भय होय न प्रीत' की बात एक बार फिर उच्चतम न्यायालय में चरितार्थ हुई जब न्यायालय की भृकुटी टेढ़ी होते ही राहुल गाँधी के वकील ने खेद जताने की जगह माफ़ी मांग ली। राफेल डील से जुड़े उच्चतम न्यायालय के एक फैसले पर राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर उच्चतम न्यायालय ने उन्हें फटकार लगाई है।

न्यायालय ने राहुल से सवाल किया कि हमने कभी नहीं कहा कि 'चौकीदार चोर है', आपने ये हमारे नाम से कैसे इस्तेमाल किया? इसके बाद राहुल ने इस उच्चतम न्यायालय के हवाले 'चौकीदार चोर है' कहने के लिए उच्चतम न्यायालय से माफ़ी मांग ली है। अब इस मामले में 6 मई को राहुल की तरफ से नया एफिडेविट दाखिल किया जाएगा।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राहुल गांधी के वकील से पूछा कि जब हमने अपने फैसले में ये बातें (चौकीदार चोर है) नहीं कहीं तो ऐसा क्यों कहा जा रहा है। अदालत ने राहुल गांधी के हलफनामे की भाषा पर भी सवाल खड़े किए हैं। चीफ जस्टिस ने पूछा है कि दूसरा हलफनामा क्यों दाखिल किया गया है, आपने कहां पूरा खेद जताया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि आप अपनी गलती जस्टिफाई कर रहे हैं, जिस पर सिंघवी ने अपनी बात रखने के लिए 10 मिनट मांगे, तो जज ने कहा कि आप 10 नहीं 30 मिनट लें, लेकिन जवाब दें।

अभिषेक मनु सिंघवी ने माना कि उनके हलफनामे में तीन गलतियां हैं, जिसको वह मानते हैं। उन्होंने कहा कि वह खेद प्रकट करते हैं, जो माफी समान ही है। उन्होंने कहा कि मैं तीन गलतियां मानता हूं, लेकिन हमारा राजनीतिक रुख भी है। सिंघवी बोले कि खेद और माफी समान है, चाहे तो वह डिक्शनरी दिखा सकते हैं, जिस पर अदालत ने कहा है कि उसमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। सिंघवी ने यह भी कहा कहा मैंने तीन गलती की थीं और मैं इनके लिए माफ़ी मांगता हूं। उच्चतम न्यायालय के हवाले से मैंने जो कहा वो सभी गलत था।

हालांकि सिंघवी की दलील से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और कोर्ट ने पूछा कि आपकी ये माफ़ी एफिडेविट से क्यों जाहिर नहीं हो रही है। इसके बाद सिंघवी ने कहा कि हम एक नया एफिडेविट फ़ाइल करना चाहते हैं। कोर्ट ने इस पर सहमति दे दी है अब 6 मई को राहुल की तरफ से नया एफिडेविट दाखिल किया जाएगा।

राफेल पुनर्विचार याचिका : सुनवाई टालने की मांग खारिज, 6 मई को सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने राफेल पर दाखिल पुनर्विचार याचिका की सुनवाई को टालने की केंद्र सरकार की मांग को मानने से इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं उच्चतम कोर्ट ने केंद्र से शनिवार 4 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा, जिससे सोमवार 6 मई को अगली सुनवाई हो सके। मामले की सुनवाई कर रही पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय कौल और के एम जोसफ शामिल थे।

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से मांग की थी कि राफेल पर सुनवाई को करीब 4 हफ्ते के लिए टाल दिया जाए। कहा गया था कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए नए दस्तावेजों के हिसाब से जवाब तैयार करने में उन्हें करीब 4 हफ्ते का वक्त चाहिए। इसपर पीठ ने कहा कि केंद्र को अपना जवाब शनिवार तक देना है। इसके साथ ही कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 6 मई की तारीख तय की है।

इससे पहले भी केंद्र सरकार ने मंगलवार की सुनवाई को टालने की भी गुजारिश की थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने नहीं माना था। हालांकि कोर्ट ने केंद्र को अतिरिक्त हलफनामा दायर करने की अनुमति दी थी।

क्या है मामला

10 अप्रैल को राफेल केस में फिर से सुनवाई की अनुमति उच्चतम न्यायालय ने दी थी। उच्चतम न्यायालय ने राफेल मामले में रिव्यू पिटिशन पर नए दस्तावेज के आधार पर सुनवाई का फैसला किया। तीनों जजों ने एक मत से दिए फैसले में कहा कि जो नए दस्तावेज डोमेन में आए हैं, उन आधारों पर मामले में रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई होगी।

मोदी और शाह के खिलाफ याचिका पर चुनाव आयोग से मांगा जवाब

कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी चीफ अमित शाह के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत पर उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। कांग्रेस सांसद ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर कथित तौर पर हेट स्पीच और सशस्त्र बलों के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग इस मसले पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।

सुष्मिता देव असम के सिल्चर से कांग्रेस की सांसद हैं और पार्टी की महिला विंग की नैशनल प्रेजिडेंट भी हैं। चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की सदस्यता वाली बेंच ने इस मसले की अगली सुनवाई गुरुवार को करने का फैसला लिया है।

सुष्मिता ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग पर निष्क्रियता का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग की ओर से इन नेताओं के खिलाफ फैसला न लेना पक्षपातपूर्ण है। आयोग का यह रवैया चुनाव प्रक्रिया पर आघात जैसा है। याचिका में पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कई रैलियों का जिक्र करते हुए कहा है कि उन्होंने कई मौकों पर आचार संहिता का उल्लंघन किया। सुष्मिता ने 1 अप्रैल को पीएम मोदी की महाराष्ट्र के वर्धा की रैली का जिक्र भी किया। यहां उन्होंने 'भगवा आतंकवाद' के मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधा था।

मोदी को क्लीनचिट

चुनाव आयोग ने पीएम नरेंद्र मोदी को सेना के नाम पर वोट मांगने के आरोपों पर क्लीनचिट दे दी है। आयोग ने कहा है कि पीएम मोदी ने आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया। इस मामले पर पिछले कुछ दिनों से काफी सियासी विवाद चल रहा था और मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया था। आखिरकार चुनाव आयोग ने हाई लेवल मीटिंग के बाद पीएम के खिलाफ शिकायत की जांच की और उन पर लगे आरोपों को खारिज किया।

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