बाढ़ अपने साथ लाती है बीमारियों की भी बाढ़, मगर थोड़ी सावधानी से बचाव संभव
बाढ़ के दौरान ज्यादातर बीमारियाँ फैलती हैं गन्दगी, संक्रमित भोजन और पानी से, इसलिए गन्दगी को दूर कर प्रदूषित भोजन एवं पानी का न करें प्रयोग, पानी पियें उबालकर और पत्तेदार सब्जियों को भूलकर भी न खायें...
डॉ. अनिरूद्ध वर्मा, एमडी
बरसात में बाढ़, बाढ़ और बाढ़ का कहर जारी रहता है। आजकल देश का आधे से अधिक हिस्सा बाढ़ के कहर से कराह रहा है। बाढ़ के कारण जीवन तहस-नहस हो रहा है। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में हर तरफ जलभराव, गन्दगी, सड़न, सड़ान, बदबू, किचड़, गन्दापानी एवं मच्छरों आदि का साम्राज्य फैला हुआ है।
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में महामारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इस दौरान वैक्टिरिया एवं वायरस के पनपने के की संभावना ज्यादा रहती है। बाढ़ के दौरान कालरा, पेचिस, दस्त, गैस्ट्रोइंट्राइटिस, फूड पाॅयजनिंग, बदहजमी के साथ मलेरिया, वायरल फीवर, डेंगू, चिकुनगुनिया, कन्जेक्टवाइटिस, पीलिया, टाइफाइड बुखार, जापानी इन्सेफेलाइटिस, फोड़े-फुंसी एवं अन्य रोगों के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। कुछ सावधानियाँ अपनाकर बाढ़ के दौरान होने वाली बीमरियों से बचा जा सकता है।
बाढ़ में पानी प्रदूषित हो जाता है। इस मौसम में वैक्टीरिया एवं वायरस तेजी के साथ पनपते हैं। भोजन बहुत जल्दी प्रदूषित हो जाता है। प्रदूषित पानी एवं खाने-पीने की चीजों से कालरा, गस्ट्रोइंट्राइटिस, दस्त, पेचिस आदि गंभीर रोग हो सकते हैं। इससे बचाव के लिये साफ पानी पियें। बासी भोजन, खुले एवं कटे फल, खुली चाट-पकौड़ी एवं भोजन आदि का प्रयोग न करें। दस्त होने पर तत्काल ओआरएस का घोल लेना प्रारंभ कर देना चाहिए।
बाढ़ के दौरान गंदगी एवं जल-भराव के कारण मच्छर तेजी के साथ पनपते हैं, जिससे मलेरिया बुखार का खतरा बढ़ जाता है। मलेरिया बुखार से बचने के लिए आसपास की साफ-सफाई पर ध्यान दें। आसपास पानी व इकट्ठा होने दें, जिससे मच्छर न पनप सकें तथा मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए।
बाढ़ के दौरान वायरल फीवर भी बहुत तेजी के साथ फैलता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी के साथ संक्रमित है, इसलिए इससे बचने के लिए रोगी व्यक्ति से सम्पर्क नहीं रखना चाहिए। बरसात के मौसम में डेंगू फैलने की सम्भावना ज्यादा रहती है। डेंगू बुखार वायरल बुखार है, जो मानसून के दौरान मादा एडिज इजिप्टी नामक मच्छर द्वारा फैलता है।
इसमें तेज बुखार सिर दर्द आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी आना, जोड़ों और मांसपेसियों में ऐंठन और अकड़न, त्वचा पर चक्कते उभरना शारीरिक कमजोरी एवं थकान आदि के लक्षण होते है। यह लक्षण पाये जाने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इससे बचाव के लिये घर के गमलों को अच्छी तरह से साफ करें, घर में पानी न इक्टठा होने दें। जिससे मच्छर न पनप सकें। शरीर पर पूरे कपड़े पहने।
इस मौसम में चिकुनगुनिया बुखार भी काफी फैलता है, इसका वायरस भी एडिज मच्छर की एक प्रजाति द्वारा फैलता है। इसमें तेज बुखार जोड़ों में अकड़न तेज दर्द, यहां तक की चलना फिरना भी मुश्किल हो जाता है। यह दर्द काफी दिन तक रहता है। इससे बचाव के लिये भी मच्छरों से बचाव जरूरी है। भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से बचना चाहिए। बाढ़ के दौरान पानी में सालमोनेलाटाइफी वैक्टीरिया का संक्रमण हो जाता है, जिसके कारण टाइफाइड बुखार हो जाता है। इससे बचाव के लिए हमेशा पानी उबाल कर पीना चाहिए तथा साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। रोगी व्यक्ति को खुले में शौच नहीं करना चाहिए।
बाढ़ के दौरान पीलिया का खतरा बढ़ जाता है। यह हीपेटाइटिस वायरस के संक्रमण के कारण होता है। यह संक्रमण संक्रमित भोजन, संक्रमित पानी, संक्रमित फल एवं संक्रमित पेय पदार्थों के कारण फैलता है। इससे बचने के लिए बाजार के खुले एवं पेय पदार्थों से बचना चाहिए।
बाढ़ के दौरान अपच, बदहजमी, गैस, खट्टी डकारें आदि की समस्या हो ज्यादा हो सकती है, क्योंकि शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है, इससे बचने के लिये शारीरिक सक्रियता बनाये रखें, साथ ही हल्का व सुपाच्य भोजन करें।
बाढ़ के उमस एवं गंदगी भरे मौसम में बैक्टरिया, पैरासाइट, फंगस आदि त्वचा को संक्रमित कर देते हैं, जिसके कारण फोडे़-फुंसी, खुजली, दाद, फफोले, घमौरी, विषैले फोडे़ आदि की संभावना ज्यादा रहती है। इससे बचने के लिए गंदे एवं प्रदूषित पानी से बचना चाहिए एवं साफ-सफाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
इस दौरान नेत्र प्रदाह (कन्जेक्टवाइटिस) ज्यादा तेजी के साथ फैलता है। इसमें आखों में जलन, दर्द, आखों का लाल होना, कीचड़ आना एवं आखों से पानी आने की समस्या हो जाती है। इससे बचने के लिए पीड़ित रोगी से व्यक्तिगत सम्पर्क एवं उसके कपड़ों जैसे रूमाल, तौलिया के प्रयोग एवं हाथ मिलाने से बचना चाहिए। तेज धूप से बचना चाहिए, आखों को ठंडे पानी से बार-बार धोना चाहिए। आंख पर संक्रमण के दौरान काला चश्मा लगाये रखना चाहिए।
बाढ़ के समय सर्दी-जुकाम, फ्लू आदि तेजी के साथ फैलता है, क्योंकि यह मौसम वायरस के फैलने के लिये अनूकुल है। साथ ही इससे बचने के लिए साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए एवं व्यक्तिगत सम्पर्क से बचना चाहिए। इस दौरान ज्यादा देर तक भीगने एवं भीगे कपड़े पहने रहने से बदन में दर्द आदि हो सकता है, इसलिए भीगने के तुरन्त शरीर पोछ लेना चाहिए तथा तत्काल सूखे कपडे़ पहनने चाहिए।
ज्यादातर बीमारियाँ गन्दगी, संक्रमित भोजन एवं पानी के कारण फैलती हैं, इसलिए यदि हम गन्दगी को दूर कर दें एवं प्रदूषित भोजन एवं पानी का प्रयोग न करें। इस दौरान पानी उबालकर पियें। पत्तेदार सब्जियों को खाने से बचें। इस मौसम में सलाद भी नहीं खाना चाहिए।
सरकार को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में तत्काल जल भराव दूर करने के लिये कोशिश करनी चाहिए। बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पीने वाले पानी में पर्याप्त मात्रा में क्लोरीन मिलानी चाहिए जिससे जल का संक्रमण कम हो जाये। साथ ही सरकार द्वारा बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में जो खाना सप्लाई किया जाता है उसकी गुणवत्ता पर पर्याप्त ध्यान रखा जाना चाहिए।
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में ब्लीचिंग पाउडर का पर्याप्त छिड़काव करना चाहिए, जिससे संक्रमण की सम्भावना को कम किया जा सके। बाढ़ग्रस्त इलाकों में चिकित्सक एवं औषधियों की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। बाढ़ के दौरान सावधानियां अपनाकर बीमारियों से बचा जा सकता है।
(लेखक जाने-माने होम्योपैथिक चिकित्सक हैं।)