गुजरात दंगे में बिलकिस बानो की बर्बाद हो गयी थी जिंदगी, अब मिलेगा 50 लाख और सरकारी नौकरी
'न्याय शब्द से मेरा विश्वाश उठ गया', आजाद घूम रहे 11 दोषियों पर बोली पीड़िता
गुजरात दंगों के दौरान नृशंस तरीके से की गई परिवार के 14 लोगों की हत्या और गर्भावस्था में गैंगरेप की शिकार बनाई गई बिल्किस बानो गुजरात सरकार द्वारा आफर की गई 5 लाख रुपये की सहायता राशि को ठुकरा चुकी हैं पहले...
जनज्वार। वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार हुई बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश दिया है कि इस मामले में पीड़ित बिलकिस बानो को दो सप्ताह के अंदर 50 लाख रुपये का मुआवजा, सरकारी नौकरी और घर दे। साथ ही कोर्ट ने सबूत मिटाने के लिए आईपीएस आरएस भगोरा को दो पद डिमोट करने की राज्य सरकार की सिफारिश को भी मान लिया है, भगोरा अगले महीने 31 मई को रिटायर होंगे।
गौरतलब है कि गुजरात दंगों के दौरान 3 मार्च, 2002 को 5 माह की गर्भवती बिल्किस बानो का गैंगरेप किया गया था। इतना ही नहीं उनके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या भी कर दी गई थी और उन्हें गैंगरेप के बाद मरा समझकर दंगाई फेंककर चले गए थे।
इससे पहले हुई सुनवाई में 4 मई, 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बिल्किस बानो सामूहिक बलात्कार मामले की सुनवाई करते हुए 12 लोगों की सजा और उम्रकैद को बरकरार रखा था, जबकि पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों सहित सात लोगों को बरी कर दिया गया था।
उससे पहले 21 जनवरी, 2008 को ट्रायल कोर्ट ने 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए पांच पुलिस अधिकारियों और दो सरकारी डॉक्टरों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया था।
इसी मामले में पिछले माह हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पूर्ण करने को कहा था, जिन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी बताया था।
इस मामले में आज 23 अप्रैल को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिल्किस बानो मामले में सुनवाई की थी जिसमें न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल रहे। गौरतलब है कि गुजरात दंगों के दौरान नृशंस तरीके से की गई परिवार के 14 लोगों की हत्या और गर्भावस्था में गैंगरेप की शिकार बनीं बिल्किस बानो गुजरात सरकार द्वारा आफर की गई 5 लाख रुपये की सहायता राशि को ठुकरा चुकी हैं।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाेई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में फ़ैसला सुनाते हुए गुजरात सरकार की वकील हेमंतिका वाही से कहा कि आप शुक्र मनाइए हम आपकी सरकार के ख़िलाफ़ कोई विपरीत टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।
बिल्किस बानो का गैंगरेप और उनके परिजनों की हत्या तब की गई थी जब वो लोग गुजरात दंगों के दौरान सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए एक ट्रक में बैठकर जा रहे थे। तभी 30-35 हमलावरों ने उन पर दाहोद जिले के रंधिकपुर के पास हमला कर दिया।
हमलावरों ने एक घंटे के अंदर ट्रक में मौजूद 14 लोगों की हत्या कर दी। मृतकों में बिल्किस की दो साल की मासूम बेटी सालेहा भी शामिल थी, जिसके सिर को धड़ से अलग कर दिया गया था। साथ ही मानवता को शर्मसार करते हुए इन दंगाइयों ने 5 महीने की गर्भवती बिल्किस का गैंगरेप किया। बिल्किस का गैंगरेप और उनके परिजनों की हत्या करने वालों में गोविंद नाई, जसवंत नाई और शैलेष भट्ट के नाम सामने आए थे।