Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

कोरोना : देरी से गेहूं काटने वाले किसानों को हरियाणा सरकार देगी बोनस

Prema Negi
27 March 2020 8:44 AM GMT
कोरोना : देरी से गेहूं काटने वाले किसानों को हरियाणा सरकार देगी बोनस
x

जनज्वार ने कोरोना महामारी के बाद 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा करने पर किसानों के सवाल को प्रमुखता से अपनी रिपोर्ट में उठाया था....

जनज्वार, हरियाणा। कोरोना लॉकडाउन की वजह से गेहूं उत्पादक किसानों को आ रही दिक्कत को देखते हुए सरकार ने देरी से फसल काटने पर बोनस देने का ऐलान किया है। अप्रैल में गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है। इस बार क्योंकि 14 अप्रैल तक लाॅकडाउन है, इसलिए किसानों को फसल काटने में खासी परेशानी हो रही थी। इसी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। अप्रैल के पहले सप्ताह में फसल पककर तैयार हो जाती है। इस वजह से किसान खासे परेशान है कि वह इस स्थिति में क्या करें? इसी को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है।

फूड सिविल सप्लाई एंड कंज्यूमर अफेयर के अतिरिक्त सचिव चीफ सेक्रेटरी पीके दास ने बताया कि जो किसान मंडी में गेहूं 20 अप्रैल से लेकर पांच मई के बीच लेकर आयेगा उन्हें किसी तरह का बोनस नहीं मिलेगा। लेकिन जो किसान छह मई से लेकर 31 मई के बीच में लेकर आएगा उन्हें 50 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जायेगा। एक जून से लेकर 30 जून के बीच जो किसान गेहूं लेकर आयेगा उसे 125 रुपये बोनस प्रति क्विंटल दिया जायेगा।

नज्वार ने कोरोना महामारी के बाद 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा करने पर किसानों के सवाल को प्रमुखता से अपनी रिपोर्ट में उठाया था।

संबंधित खबर— कोरोना : किसान कैसे काट पायेंगे खेत में तैयार फसल, सरकार ने क्या सोचा इस बारे में

युवा किसान संघ हरियाणा के प्रधान प्रमोद चौहान ने जनज्वार से हुई बातचीत में बताया कि इससे गेहूं कटायी की समस्या कैसे खत्म होगी, क्योंकि अभी मुद्दा यह है कि किसान गेहूं की कटाई करे तो कैसे? क्योंकि प्रवासी मजदूर घरों को चले गये हैं। आवाजाही बंद है। कंबाइन मशीन आ नहीं पा रही है। ऐसे में कटाई करना ही संभव नहीं है।

चौहान कहते हैं, मामला गेहूं को मंडी में लाने का नहीं है, मामला है, खेत से फसल काटने का। बोनस की घोषणा कर तो सरकार ने एक तरह से अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ली है, क्योंकि सरकार की सोच है कि बोनस के लालच में किसान मई तक मंडी में आयेंगे नहीं। इस तरह से यह तो सरकार की समस्या कम हुई, किसानों की समस्या तो जस की तस बनी हुई है।

किसानों ने बताया कि फसल कटाई का काम तो तुरंत होना चाहिए। अब भले ही किसान फसल को अपने घर पर स्टोर कर लें। लेकिन कम से कम सरकार को चाहिए कि कटाई समय पर हो जाए, इसके लिए मजदूर आदि को लाने के लिए कुछ राहत देनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो फसल खेत में ही बर्बाद हो जाएगी।

किसानों की दूसरी दिक्कत यह है कि उन्हें धान की फसल की तैयारियों के लिए भी पैसा चाहिए। अब गेहूं की फसल यदि मई में मंडी में बिकेगी तो किसानों का बाकी का खर्च कैसे चलेगा? कृषि अर्थशास्त्री अशोक चौहान ने बताया कि इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह किसान कोआपरेटिव से किसानों को बीज व खाद के साथ अन्य सामान उपलब्ध कराये। जिससे किसान के खेती के काम तो चलते रहे।

पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल इस मसले पर कहते हैं, गेहूं कटाई को लेकर हम पुख्ता प्रबंध करेंगे। किसानों को किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। इसके लिए केंद्र को पत्र लिखा गया है। किसानों की परेशानी को लेकर पंजा सरकार गंभीर है।

Next Story

विविध