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राजनीति

हरियाणा राज्यसभा चुनाव : दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा भेजने से क्या कांग्रेस को मजबूती मिलेगी?

Janjwar Team
14 March 2020 7:50 AM GMT
हरियाणा राज्यसभा चुनाव : दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा भेजने से क्या कांग्रेस को मजबूती मिलेगी?
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वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र दुहन कहते हैं दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा में भेजने के पीछे सिर्फ सत्ता सुख भर की सोच है। कुमारी शैलजा की अनदेखी पर जहां प्रदेश के दलित पार्टी से दूर हो रहे हैं वहीं विपक्ष को भी बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया...

जनज्वार ब्यूरो। कांग्रेस के लिए हरियाणा राज्यसभा चुनाव गुटबाजी को ओर बढ़ा गया है। हालांकि इस वक्त भूपेंद्र सिंह हुड्डा सभी गुटों पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। जानकारों कहना है कि फिर भी इससे पार्टी कमजोर हो रही है। क्योंकि हुड्डा का होल्ड पूरे प्रदेश में नहीं है। दूसरी वजह यह है कि जिस तरह से पार्टी लगातार दलितों की अनदेखी कर ही है, इससे भी पार्टी कमजोर पड़ रही है।

राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर सज्जन सिंह ने बताया कि यह सही है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो सीट मिली, इसके लिए बड़ी वजह भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी है। लेकिन यह भी सही है कि हुड्डा की वजह से कांग्रेस बहुमत से चूक गयी। यदि विधनसभ चुनाव के टिकट वितरण में कांग्रेस के सभी गुट एक साथ होकर लड़ते तो संभव था भाजपा सत्ता से बाहर हो जाती। अब पार्टी आलाकमान यह तो देख रहा है कि प्रदेश में कांग्रेस को 31 सीट मिली, लेकिन यह नहीं देख रहे कि कम से कम पांच सीट कांग्रेस गुटबाजी की वजह से हार गयी।

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स वक्त पार्टी के भीतर भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट, रणदीप सुरजेवाला गुट और शैलजा गुट हैं। इसके अलावा एक और गुट है जो कुलदीप बिश्नोई का है। दक्षिण हरियाणा की बात करें तो अजय यादव गुट भी अलग से काम रहा है। कुलदीप और अजय यादव का प्रभाव बहुत थोड़े इलाके पर हैं। फिर भी यह किसी का काम बिगाड़ने और संवार सकते हैं। इसलिए इनकी अनेदखी का असर भले ही प्रदेश स्तर पर न पड़े, लेकिन उनके इलाके में इसका असर पड़ता है।

पत्रकार वीरेंद्र दुहन बताते हैं कि इसी बात का फायदा भाजपा को मिल रहा है। इस वक्त प्रदेश में विपक्ष नाम की कोई चीज ही नहीं है। अब जनता के मुद्दे उठाए कौन? लोगों के पास विकल्प ही नहीं है। यहीं संकट विधानसभा चुनाव में था। यहीं संकट अब नजर आ रहा है।

वीरेंद्र दुहन ने कहा कि सवाल यह है कि दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा में भेजने से क्या कांग्रेस को मजबूती मिलेगी? क्या विपक्ष मजबूत होगा? ऐसा नहीं है। दीपेंद्र दो बार लोकसभा के सांसद रह चुके हैं। तब उन्होंने कौन सी बड़ी क्रांति की जो इस बार करेंगे। दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा में भेजने के पीछे सिर्फ सत्ता सुख भर की सोच है।

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कुमारी शैलजा की अनदेखी पर जहां प्रदेश के दलित पार्टी से दूर हो रहे हैं वहीं विपक्ष को भी बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया। इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय चौटाला ने कांग्रेस को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने कांग्रेस को दलित विरोधी दिखाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वीरेंद्र दुहन ने बताया कि जब से कांग्रेस में हुड्डा गुटा हावी हुआ, तभी से दलित वर्ग की अनेदखी हो रही है। जबकि दलित और पिछड़ा वर्ग पार्टी पार्टी का पारंपरिक मतदाता है।

सज्जन सिंह ने बताया कि दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा भेजने से होगा यह कि अब रणदीप गुट और शैलजा गुट खुद के लिए संघर्ष करेंगे। इसका सीधा असर पार्टी पर पड़ेगा। क्योंकि इनक प्राथमिकता अब खुद को मजबूत करना है। मजबूत तब होगा जब हुड्डा कमजोर होंगे। जाहिर है, इसका सीधा असर पार्टी पर पड़ेगा।

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