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भाजपा का समर्थक है पत्रकार गौरी लंकेश को कुतिया बोलने वाला
न सिर्फ उसको मोदी करते हैं फॉलो, बल्कि वह ट्वीटर पर कांग्रेस, आप के नेताओं को देता है गालियां, सुब्रममण्यम स्वामी का है बहुत बड़ा वाला भक्त
हत्या किन लोगों ने की और क्यों की, इसकी परतें तो जब खुलनी होंगी, तब खुलेंगी, लेकिन गौरी लंकेश की हत्या के बाद फेसबुकिए और ट्विटरी दलाल अपने काम में लग गए हैं...
मनु मनस्वी
एक बार विदेशी कुत्ता अपने इंडिया घूमने आया। यहां के कुत्तों ने पूछा कि भैया तुम्हारे देश में तो सभी सुविधाएं हैं। फिर यहां क्यों आ गया मरने के लिए?
विदेशी कुत्ते ने जवाब दिया, ‘हमारे यहां हर चीज की सुविधा है। खाने पीने से लेकर साफ-सफाई तक हर चीज यहां से बेहतर है। बस एक चीज ऐसी है, जो यहां मिलती है, वहां नहीं। और वो है भौंकने की। इसलिए मैं यहां आया हूं।’
इस कहानी का जिक्र करना इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि संविधान में वर्णित बोलने की आजादी का कुछ लोगों ने गलत अर्थ निकाल लिया है। वे बोलने नहीं भौंकने लगे हैं।
बीते 5 सितंबर को पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या कर दी गई। हत्या किन लोगों ने की और क्यों की, इसकी परतें तो जब खुलनी होंगी, तब खुलेंगी, पर दुखद यह है कि गौरी लंकेश की हत्या के बाद फेसबुकिए और ट्विटरी दलाल अपने काम में लग गए और मृतका के लिए ऐसे-ऐसे भद्दे शब्दों का प्रयोग किया, जो किसी भी संवेदनशील समाज में कतई सहे नहीं जा सकते। खासकर एक मृतक के बारे में तो कतई नहीं।
निखिल दधीच नामक यह शख्स पता नहीं कहां रहता है या क्या धंधा करता है या क्या बेचता है... उससे किसी को भी कोई मतलब नहीं होना चाहिए। लेकिन एक सड़कछाप की भांति शब्दों का इस्तेमाल करके उसने यह तो बता दिया है कि वह किस हद दर्जे का इंसान है। दधीच उपनाम रखकर भी उसे यह भान शायद ही हो कि दधीच ने भगवान इंद्र को अपनी अस्थियां दी थीं वज्र बनाने के लिए।
हैरत की बात तो यह है कि इस अनजान से शख्स को वह प्रधानमंत्री फोलो करता है, जिसके खुद लाखों फोलोवर हों। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि कौन है ये निखिल, जिसके मुरीद प्रधानमंत्री मोदी भी हैं। वर्ना क्या कारण है कि एक प्रधानमंत्री एक दुअन्नीछाप को फॉलो करे। कपड़े का व्यवसायी बताया जा रहा यह शख्स क्या अंबानी—अडानी से भी ताकतवर है, जो उसे मोदी फॉलो कर रहे हैं?
देश में भाजपा सरकार के आते ही पेड और अनपेड मीडिया मैनेजरों की एक ऐसी जमात पैदा हो गई है, जो निजी स्वार्थ के लिए गुणगान के निम्नतम स्तर तक जाने में कोई शर्म महसूस नहीं करती।
खबरों में ही पता चलता है कि प्रधानमंत्री को कितने लोग फॉलो करते हैं और कई खबरें तोड़—मरोड़कर पेश की जाती हैं, जिनमें भगवा सरकार की सफेद छवि पेश की जा सके। मोदी के नाम पर लाखों अकाउंट्स फर्जी पाए जाने के बाद भी ये मीडिया मैनेजर अपने काम में पिले पड़े हैं।
बहरहाल निखिल को लगा होगा कि ऐसा महान ट्वीट करने के बाद भगवा कमंडल खुद उसके पास आकर उसे नवाजेगा, पर हुआ उल्टा। सब जगह से दुत्कारे जाने के बाद महाशय ने सफाई दे डाली कि उनके ट्वीट को लोगों ने गलत तरीके से पेश किया। क्या इतने रुतबे वाला है ये निखिल, जो उसके ट्वीट को लोग तोड़-मरोड़कर पेश करें? और गौरी लंकेश के मौत के बाद ही ऐसा ट्वीट किस संदर्भ में हो सकता है?
बहरहाल निखिल के पहले के ट्वीट पढ़कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह मात्र भाजपा के समर्थन में ही लिखता है। ऐसा करने की ऐवज में उसे क्या हासिल हुआ है, यह तो वही जाने, पर इस घटना ने इस बात की कलई तो खोल ही दी है कि एक ऐसा ग्रुप जनता की आंखों में धूल झोंककर येन केन प्रकारेण और साम दाम दंड भेद से भाजपा सरकार की छवि चमकाने की कोशिशें कर रहा है।