इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रावास बने अपराधियों के अभ्यारण्य ?
बवाल, तोड़फोड़, हमला, रंगदारी, चीफ प्रॉक्टर को धमकी, गाली गलौज जैसे प्रकरण में 200 से ज्यादा छात्र वांटेंड हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। पुलिस महकमे की मानें तो जब भी ठोस कार्रवाई शुरू होती है तो ऊपर से दबाव के कारण छात्रों को छोड़ना पड़ता है....
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार। कभी पूरब के ऑक्सफ़ोर्ड के नाम से विख्यात इलाहाबाद विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास रहा है। देशभर में इसकी प्रतिष्ठा है। स्कॉलर व न्यायविद देने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर अब अपराधियों ने कब्जा कर लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। विश्वविद्यालय ही नहीं पूरे प्रयागराज जिले और आसपास कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हो गयी है।
यह तल्ख टिप्पणी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीसीबी छात्रवास में छात्र रोहित शुक्ला की गोली मारकर हत्या और शहर में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं का स्वत: संज्ञान लेते हुये इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीसीबी छात्रवास में छात्र रोहित शुक्ला की गोली मारकर हत्या और शहर में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने शहर की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए और कहा कि कानून का पालन करवाने वाले अधिकारियों पर जनता को भरोसा नहीं रहा है। एक अन्य मामले में तलब हुए एसएसपी अतुल शर्मा को फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट ने पूछा कि शहर में कानून व्यवस्था के इतने खराब हालात क्यों हैं? कहा कि शहर अपराधियों की गिरफ्त में है और जनता खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है।
न केवल विश्वविद्यालय, बल्कि पूरा शहर ही अपराधियों की गिरफ्त में है, जबकि जनतांत्रिक देश में किसी नागरिक को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर और छात्रवासों में रह रहे छात्र भयभीत हैं। इससे सामाजिक वातावरण दूषित हो रहा है। हाईकोर्ट ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी।
पुलिस लाठीचार्ज में घायल समाजवादी नेता और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह (File Photo)
मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की पीठ ने रोहित शुक्ला की हत्या की खबरों को स्वत: संज्ञान लिया और इस मामले में जनहित याचिका कायम करते हुए मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रयागराज के मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, एसएसपी तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की सुरक्षा को लेकर कुलसचिव को नोटिस जारी किया। इन सभी से व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा गया है।
पीठ ने 22 अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई पर डीएम, एसएसपी व विश्वविद्यालय के कुलसचिव से हाजिर रहने को कहा है। इस जनहित याचिका को ‘इन री- क्रिमिनल एक्टीविटीज इन द सिटी ऑफ प्रयागराज एंड द इंसीडेंट ऑफ मर्डर ऑफ एन एक्स स्टूडेंट ऑफ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एट पीसीबी हॉस्टल, इलाहाबाद वर्सेस स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश एंड अदर्स’ शीर्षक से सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। पीठ ने बढ़ती आपराधिक घटनाओं पर भी सरकार से रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने एसएसपी से पूरे शहर में अपराधियों के खिलाफ उठाए गए कदम की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
छात्रावास बने अपराधियों के अड्डे
पीठ ने कहा कि उनको बताया गया कि विश्वविद्यालय के छात्रावासों में बड़ी संख्या में अपराधी रह रहे हैं। हालांकि वे विश्वविद्यालय के छात्र नहीं हैं मगर इनकी वजह से मासूम छात्र-छात्राएं खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। इन अराजकतत्वों ने परिसर में पठन-पाठन का वातावरण चौपट कर दिया है। विश्वविद्यालय में हो रही यह घटनाएं हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय हैं।
पीठ ने कहा कि फिलहाल वह इस बात पर संज्ञान ले रहे हैं कि इस सब में अधिकारियों की कितनी जिम्मेदारी है। पीठ ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव से पूछा है कि विश्वविद्यालय और छात्रावासों में सुरक्षा के क्या प्रबंध हैं। याचिका में मुख्य सचिव, डीजीपी और मंडलायुक्त प्रयागराज, डीएम, एसएसपी और विश्वविद्यालय के कुलसचिव को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया गया है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि परिसर और छात्रावासों को अपराधियों से मुक्त रखने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। उनसे विश्वविद्यालय में कक्षाओं और छात्रों की उपस्थिति पर भी रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कुलसचिव, एसएसपी और डीएम को अगली तारीख पर उपस्थित होने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।
गौरतलब है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इन दिनों अपराधिक घटनाएं अक्सर हो रही हैं और विश्वविद्यालय न केवल अपराधियों का गढ़ बनते जा रहे हैं, बल्कि उनके छिपने का अभ्यारण्य बन गये हैं। अधिकांश अपराधी गिरोहों में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। इसके चलते आये दिन खूनी झड़पें, गोलीबारी बमबारी की घटनाएँ आम हो चुकी हैं। इससे रंगदारी, अवैध वसूली,परिसर के आसपास बाज़ारों, विवाह स्थलों पर तोड़फोड़, मारपीट की घटनाएँ भी बढती जा रही हैं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस के बीच खींचतान
हॉस्टलों में खून खराबे को लेकर हमेशा से ही इविवि प्रशासन और पुलिस के बीच खींचतान चली आ रही है। इस हत्याकांड के बाद भी लकीर पीटने जैसा काम हो रहा है। चार दिन पहले प्राक्टर प्रो. राम सेवक दुबे ने एसएसपी को पत्र लिखा था कि पीसीबी में रोहित शुक्ला व अन्य छात्र असलहा लेकर दबंगई कर रहे हैं। अब यह पत्र रद्दी की टोकरी में गया या फिर एसएसपी को मिला कि नहीं, इसे लेकर रार मची है। रोहित शुक्ला हत्याकांड में जितने दोषी आरोपित छात्र हैं, उससे कहीं ज्यादा दोष पुलिस प्रशासन और इविवि प्रशासन का है।पुलिस कप्तान का कहना है कि यह पत्र उन्हें मिला ही नहीं।
राजनीतिक हस्तक्षेप से नहीं होती ठोस कार्रवाई
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का माहौल खराब होने में सभी दलों के राजनेताओं और प्रभावशाली लोगो का योगदान सबसे अधिक है। अराजकता फैलाने वाले छात्रों के खिलाफ पुलिस एफआईआर तो दर्ज कर लेती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर राजनीति शुरू हो जाती है। बवाल, तोड़फोड़, हमला, रंगदारी, चीफ प्रॉक्टर को धमकी, गाली गलौज जैसे प्रकरण में 200 से ज्यादा छात्र वांटेंड हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। पुलिस महकमे की मानें तो जब भी ठोस कार्रवाई शुरू होती है तो ऊपर से दबाव के कारण छात्रों को छोड़ना पड़ता है।
छात्रावास के बाथरूम में रोहित शुक्ल को गोलियों से भूना
छात्र नेता अच्युतानंद हत्याकांड का गवाह रोहित उर्फ बेटू शुक्ल का पीसीबी हॉस्टल में रहने वाले एमए के छात्र आदर्श त्रिपाठी से झड़प हुई थी। 14 अप्रैल की रात में आदर्श ने कॉल करके रोहित को सुलह करने के लिए बुलाया था। रात में करीब दो बजे रोहित अपने साथियों के साथ पीसीबी छात्रावास पहुंचा। छात्रावास के बाथरूम में रोहित शुक्ल को गोलियों से भून दिया गया।
इस हत्या में बाराबंकी के आदर्श त्रिपाठी, रायबरेली के हिमांशु, आजमगढ़ का नवनीत उर्फ अभिषेक यादव, गाजीपुर का सौरभ विश्वकर्मा और भदोही के हरिओम व प्रशांत नामजद हुए हैं। हत्या करने वाले आरोपी फरार हैं। मंगलवार 16 अप्रैल को सभी छह आरोपियों पर पुलिस ने 25- 25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। मुख्य आरोपी आदर्श त्रिपाठी बाराबंकी का रहने वाला है, जबकि अन्य आरोपी पूर्वांचल के हैं।