आईआईएम ने मोदी सरकार से कहा, हम अपने 'मेरिट' वाले संस्थान में नहीं लागू कर सकते आरक्षण
आईआईएम ने मानव विकास संसाधन मत्रांलय को चिट्टी लिख कर आरक्षण प्रक्रिया का पालन करने से मना कर दिया है।भारतीय प्रबंधन संस्थानों ने कहा है कि वे निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन करते हैं और समाज के वंचित तबको समेत सभी को समान अवसर प्रदान करते हैं...
जनज्वार। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम ) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अनुरोध किया है कि उन्हें कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में छूट दी जाए। वर्तमान समय में आईआईएम में शिक्षण पदों की भर्ती के लिए किसी भी प्रकार का कोई आरक्षण नहीं दिया जाता है। वही मंत्रालय ने आईआईएम को शिक्षण पदों में भर्ती करने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी वर्गों तथा आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण प्रदान करने के लिए कहा है। वही देश के सभी भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) ने मानव विकास संसाधन मंत्रालय को चिट्टी लिख कर आरक्षण प्रक्रिया का पालन करने से मना कर दिया है। भारतीय प्रबंधन संस्थानों ने कहा है कि वे निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन करते है और समाज के वंचित तबको समेत सभी को समान अवसर प्रदान करते है।
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आपको बता दे की आईआईएम देश के 1975 में जारी कार्मिक एंव प्रशिक्षण विभाग के आदेशों का पालन करता है। जिसके तहत विज्ञान और तकनीक संबंधी पदों को आरक्षण प्रक्रिया से अलग रखा गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नवंबर 2019 में पत्र लिखकर सभी भारतीय प्रबंधन संस्थानों को केंद्रीय शैक्षिक संस्थान अधिनियम के तहत आरक्षण प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा गया था।
आईआईटी और आईआईएम में 90 प्रतिशत फैकल्टी सवर्ण ही हैं और उन्होंने इस दुनिया में कोई चमत्कार नहीं किया है। वो टॉप 500 में भी नहीं हैं। उन्हें कोई नोबेल पुरस्कार आदि कुछ नही मिला है। ये आईआईएम—आईआईटी 100 प्रतिशत गवर्नमेंट फंडेड हैं। उन्हें कोई अधिकार भी नहीं है। इस तरह वे अपनी सेवा शर्तों और नियमों का भी उल्लंघन कर रहे हैं। वह भारत के संविधान की नीतियों के खिलाफ लिखकर दे रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्हें इस तरह से नैतिक अधिकार नहीं या सामान्य तौर पर यह भी उचित नहीं है कि वह इस तरह भी बोलें।
- दिलीप मंडल वरिष्ठ पत्रकार
देश के सभी आईआईएम को 7 मार्च 2019 को जारी कानून के मुताबिक शिक्षकों की सीधी भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा गया था। भारत सरकार जहां आईआईएम संस्थानों पर आरक्षण का दबाव बना रही हैं। तो वही आईआईएम ने साफ तौर पर आरक्षण देने से मना कर दिया हैं।
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आरक्षण की बात की जाए तो समाज में इसमें लोगों के दो मत देखने को मिलते है एक तरफ लोग आरक्षण का समर्थन करते हुए दिख जाते हैं। तो वही कई लोग इसका विरोध करते हैं। आजादी के बाद ही कहा गया था कि देश का विकास तभी संभव है। जब देश के वंचित लोगों को अतिरिक्त सुविधा देकर सबके समान खड़ा किया जाए। इसी उद्देश्य से देश में आरक्षण को लागू किया गया था। लेकिन किसी भी सरकार ने यह जानने की कोशिश नहीं किया की आरक्षण देने के बाद भी वंचित लोगों को इसका कितना फायदा मिल पाया हैं।
ऐसे में जब आईआईएम ने जब आरक्षण देने से सरकार को साफ मना कर दिया तो इसकों बड़ी संख्या में समान्य वर्ग के छात्रों का साथ मिला हैं। वहीं दूसरी और कई लोगों ने इस फैसले को संविधान और सरकार विरोधी बताया। आप को बता दे की आरक्षण लागू नहीं किए जाने को लेकर इससे पहले भी आईआईएम अहमदाबाद के खिलाफ हाईकोर्ट में मुक़दमा दायर किया जा चुका हैं।