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विमर्श

मोदी राज में इन 10 क्षेत्रों में देश ने किया कीर्तिमान स्थापित, राजा ही नहीं जनता भी बनी धृतराष्ट्र

Prema Negi
12 Dec 2019 11:24 PM IST
मोदी राज में इन 10 क्षेत्रों में देश ने किया कीर्तिमान स्थापित, राजा ही नहीं जनता भी बनी धृतराष्ट्र
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संस्कृति, संस्कार और सभ्यता की दुहाई देने वाले सत्ता में बैठ माँ-बहनों की अस्मत को तार तार करते हुए रामराज्य का शंखनाद कर रहे हैं। प्रतिशोध में जलता हुआ समाज एनकाउंटर को न्याय मान रहा है। सिर्फ़ राजा ही नहीं जनता भी धृतराष्ट्र बन चुकी है

मंजुल भारद्वाज की टिप्पणी

विकास की अंधी दौड़ में दौड़ते हुए देश में बारी बारी से सबका विकास होगा। सारे आम चुनावी रैली और संसद के पटल पर बोला गया झूठ जब सबको सच लगे तो विकास निश्चित रूप से हुआ है। विकास की बानगी जरा नीचे देखिये!

अर्थव्यवस्था

कालेधन को समाप्त करने की भीष्म प्रतिज्ञा लिए मोदी ने नोटबंदी का ब्रह्माश्त्र चलाया। सारा कालाधन अपनी पार्टी के पास समेट कर सफेद कर लिया। माँ बहनों के गुल्लक को स्विस बैंक का अकाउंट बता उनको कालाबाज़ारी का मुजरिम सिद्ध कर दिया। हर रोज़ अपने ही कालेधन को सफ़ेद कराती जनता को लाइन में खड़ा कर पुलिस से पिटवाया इतना ही नहीं यूपी का चुनाव जीता। अंधे दिमाग की जनता भेड़ बन गई और देश की अर्थव्यवस्था विकसित हो रसातल में चली गई और अब 5 ट्रिलियन के हवाई झूले में झूल रही है।

बेरोजगारी

हर साल 2 करोड़ रोजगार देने के रथ पर सवार हो सत्तासीन हुए थे सत्य के पुजारी मोदी जी। परम विद्वान ने पकौड़ा नीति से पूरी समस्या को जड़ से खत्म कर दिया। बेरोजगारी छोड़ो रोजगार को ही खत्म कर दिया। ना रहा बांस ना बजे बांसुरी। ढोल नगाड़े बजाते रहो, अपने अपने गले में डिग्री की माला डालकर!

सबको शिक्षा

हर रोज स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय बंद करने की खबरें किसी को नहीं दिखतीं। फ़ीस बढ़ाकर पढ़ रहे छात्रों को बाहर किया जा रहा है। अपने अधिकार के लिए लड़ने वालों को देशद्रोही बताकर रोज़ दिल्ली की सडकों पर कूटा-पीटा जा रहा है और समाज चुप है।

महंगाई

प्याज के आंसू , पेट्रोल की आहें, डीजल की सिसकियाँ, रुपये का मातम सब जगह पसरा है, पर भेड़ों का जयकारा भक्ति युग में जी रहा है।

सुरक्षित देश

कश्मीर को धराशायी करने के बाद आंकड़ों के दर्प से संसद में संविधान की बुनियाद को लहूलुहान करते हुए नागिरक संशोधन विधेयक का डंका बाजते हुए पूरे देश को NRC यानी नरक बनाने को प्रतिबद्ध हैं सत्य बोलते सत्ताधीश। असम इसका उदाहरण है। कश्मीर अब सामान्य है, का सफ़ेद झूठ बोलने वाले सत्यवादी गृहमंत्री देश को विखंडित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बेटियों की सुरक्षा

बेटियों की चीत्कार से पूरे देश में हाहाकार है। बेटी बचाओ का जुमला बोलने वाले मौन हैं। संस्कृति, संस्कार और सभ्यता की दुहाई देने वाले सत्ता में बैठ माँ-बहनों की अस्मत को तार तार करते हुए रामराज्य का शंखनाद कर रहे हैं। प्रतिशोध में जलता हुआ समाज एनकाउंटर को न्याय मान रहा है। सिर्फ़ राजा ही नहीं जनता भी धृतराष्ट्र बन चुकी है।

न्याय

लोया के लहू से लहुलुहान न्यायपालिका तानाशाह के रहमोकरम पर साँसें गिन रही है। जो लोया का हत्यारा चाहता है उसी को मूर्छित कोर्ट न्याय बताता है। राममंदिर निर्माण का फ़ैसला देकर मूर्छित कोर्ट ने संविधान की तिलांजली दे हिन्दूराष्ट्र की नींव रख दी है। फिलहाल पूरा देश जमानत पर है।

किसान

किसानों की आय दुगुनी करने का राष्ट्रीय संकल्प लिया था मोदी जी ने। अपनी खोपड़ी लिए, अपना मलमूत्र खा पीकर जंतर मंतर पर नाक रगड़कर चला गया भारत का अन्नदाता, पर मोदी जी विदेश भ्रमण में राष्ट्र का निर्माण करते रहे। मध्यमवर्ग विदेशों में भारत के निर्माण से अभिभूत रहा। किसान की आय नहीं ‘आत्महत्या’ दुगनी होने की राह पर तेजी से बढ़ रही हैं।

हिन्दुओं के तारणहार

बलात्कार की शिकार होती बेटी कौन है? क्या वो हिन्दू नहीं है? नहीं है वो हिन्दू होने से पहले पिछड़ी है,बहुजन है यानी उसकी जात है,,वो हिन्दू नहीं उसकी जाति की है... जात ही उसका भाग्य है. जात ही उसका न्याय ... आत्महत्या करता किसान हिन्दू नहीं है? भूख से मरती बच्ची हिन्दू नहीं है.. हिन्दू ,हिन्दू ,हिन्दू और राष्ट्रवाद के उन्माद की शिकार भेड़ों की मति मर गई है। अब समाज में बची जनता को इन भेड़ों से वैचारिक संघर्ष कर इन्हें बाड़े में बंद करने का समय है।

निर्मल गंगा

आह... मुझे गंगा माँ ने बुलाया है. गंगा आज और मैली हो गयी.. गंगा का बेटा उसकी संतानों को लील रहा है ...उसकी भारतभूमि को तहस नहस कर रहा है ..गंगा माँ को अब स्वयं न्याय करना है ..झूठे, मक्कार सत्तालोलुप पुत्र के मोह में गंगा उलझी रहेगी और या सत्य को स्थापित करेगी!

इतिहास युगों में अपने आप को दोहराता है। युगों पहले हस्तिनापुर में अपने घमंड में चूर आकंड़ों के बल पर दुर्योधन ने जुआ जीता था .. परिणाम महाभारत ! आज फिर आंकड़ों के घमंड में चूर सत्ताधीश ने संसद में ‘भारत एक विचार’ की हत्या कर संविधान की जड़ों को किया लहूलुहान! परिणाम आपके सामने आने वाला है... बानगी जलता हुआ असम आपके सामने है...

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