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सिक्योरिटी

संविधान की वो 8 बातें जो 10 फीसदी आरक्षण को ठहराती हैं असंवैधानिक

Prema Negi
16 Jan 2019 10:00 AM GMT
संविधान की वो 8 बातें जो 10 फीसदी आरक्षण को ठहराती हैं असंवैधानिक
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आर्थिक आधार पर 10% की आरक्षण की व्यवस्था करने वाला संविधान संशोधन विधेयक सिर्फ उच्च जातियों के गरीब तबकों को दिया गया है। ऐसा कोई वर्गीकरण संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के विरूद्ध है...

राकेश कुमार गुप्ता, अधिवक्ता

आर्थिक आधार पर दिए गए 10% आरक्षण की व्यवस्था से संबंधित 103वें संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती देने वाले 8 आधार, इन आधारों को हुआ पालन तो जुमला साबित होगा 10 फीसदी आरक्षण का झुनझुना।

1. अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में वर्णित व्यवस्था के अंतर्गत आरक्षण देने हेतु कोई सिर्फ आर्थिक आधार पर कैटेगरी नहीं बनाई जा सकती है।

2. इस प्रकार का वार्षिक वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित युक्तियुक्त वर्गीकरण की व्यवस्था के विरुद्ध है और इस कारण से यह संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के भी विरुद्ध है।

3. संसद ने इसे मैकेनिकल ढंग से पास किया है तथा इस विधेयक को पास करते समय अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया है। सरकार की ओर से कोई भी स्टेटमेंट आफ ऑब्जेक्ट्स एंड रीजंस नहीं दिए गए कि आखिर क्योंकर यह संविधान संशोधन विधेयक संसद के पटल पर रखा गया है। इस प्रकार सरकार की ओर से संसद के पटल पर रखा गया यह विधेयक तर्कहीन है।

4. यह संविधान संशोधन विधेयक इंदिरा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में दी गई 50% की सीलिंग लिमिट के विरुद्ध है, जबकि पार्लियामेंट में यह बिल पास करते समय उस सीलिंग लिमिट की व्यवस्था को ओवर रूल करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। जब तक उसको ओवर रूल नहीं किया जाएगा, तब तक यह संविधान संशोधन अवैध ही रहेगा।

5. आर्थिक आधार पर 10% की आरक्षण की व्यवस्था करने वाला संविधान संशोधन विधेयक सिर्फ उच्च जातियों के गरीब तबकों को दिया गया है। ऐसा कोई वर्गीकरण संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के विरूद्ध है।

6. इस संविधान संशोधन को सदन के पटल पर रखते समय सरकार के पास कोई भी अध्ययन रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी, जिसके आधार पर इस तरह के आरक्षण को तर्कसंगत विधि संगत एवं न्यायसंगत ठहराया जा सके।

7. बिना किसी अध्ययन के क्वांटम आफ रिजर्वेशन यानी कि आरक्षण का प्रतिशत आखिर कैसे तय किया जा सकता है 10% ही क्यों रखा गया? इसका कोई भी कारण नहीं दिया गया है। इस कारण से भी यह संविधान संशोधन संविधान के विरुद्ध जाता है।

8. इस प्रकार का कोई भी संविधान संशोधन विधेयक लाने के पहले सरकार को जाति आधारित जनगणना को उद्घाटित करना पड़ेगा तथा किसी भी कीमत पर आरक्षण की समानुपातिक मात्रा अन्य पिछड़े वर्गों के हित में ज्यादा होगी उच्च जाति तथाकथित गरीबों की तुलना में।

(राकेश कुमार गुप्ता इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकील और जनज्वार के विधि सलाहकार हैं।)

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