अलवर हाईकोर्ट ने होंडा के 73 मजदूरों पर लगी धारा 395 और धारा 307 का किया समाप्त...
अलवर, जनज्वार। होंडा टू व्हीलर कंपनी टपुकडा (राजस्थान) के मजदूरों के ऊपर 16 फरवरी 2016 को यूनियन बनाने को लेकर कंपनी प्रबन्धक-प्रशासन और मजदूर विरोधी सरकार द्वारा षड्यंत्र के तहत लगाए गए आपराधिक मुकदमों की सुनवाई माननीय उच्च न्यायालय जयपुर में 9 मई 2018 को हुई।
कोर्ट ने यह फैसला श्रमिकों के हित में दिया। इस केस में 73 श्रमिक नामजद थे, जो देश के विभिन्न 10 राज्यों के थे। झूठे मुकदमों की वजह से श्रमिकों को 2016 में 25 दिनों तक किशनगढ़ बास अलवर जेल में रखा गया था।
इन पर 395, 307 जैसी गम्भीर झूठी धाराएं श्रमिकों पर लगी हुई थीं। सेशन कोर्ट तीजरा, अलवर में इन श्रमिकों पर चार अलग-अलग FIR में केस चल रहा था। उच्च न्यायालय जयपुर ने 9 मई 2018 को फैसला सुनाया, जिसमें झूठी धाराएं 395, 307 को समाप्त कर दिया। इसे श्रमिकों की एक बहुत बड़ी जीत माना जा रहा है।
इस जीत में इन श्रमिकों के साथ जुड़े तमाम संगठनों और मजदूरों का पूरा सहयोग रहा है। कंपनी प्रबन्धक ने श्रमिकों के साथ जो धोखाधड़ी और जालसाजी रची थी, उसमें वह साफ तौर पर झूठा साबित हुआ। श्रमिकों का कहना है कि उन पर जो टर्मिनेशन के मुकदमे हैं उसमें भी कंपनी प्रबन्धक द्वारा की गई धोखाधड़ी का मुकदमा कोर्ट में झूठा साबित हो जायेगा। यह हमारी जीत की पहली सीढ़ी है।
श्रमिकों को मिली इस जीत से उत्साहित श्रमिकों का कहना है कि मजदूरों को मिली इस शानदार जीत से साबित हो गया है कि श्रमिकों के सामने कंपनी प्रबन्धक द्वारा किए गए झूठे मुकदमे के कारण कंपनी प्रबन्धक को मुंह की खानी पड़ी और बहुत बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
इससे यह स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में श्रमिकों के टर्मिनेशन के लिए कंपनी के ऊपर श्रमिकों ने जितने भी केस लगाए गए हैं, उसमें भी कंपनी को घुटने टेकने पड़ेंगे। इतनी बड़ी जीत मजदूरों की एकता की वजह से ही संभव हो सकी है। आगे भी इसी तरह से हम लगातार कंपनी प्रबन्धक द्वारा किए गए झूठे कारनामों को झूठा साबित कर देंगे।
गौरतलब है कि श्रमिकों के जितने भी प्रकरण चल रहे हैं उनकी पैरवी राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता आमीन अली कर रहे हैं। मजदूरों को मिली इस पहली जीत पर सभी श्रमिकों ने एक दूसरे को बधाइयां दीं।