मजदूरों को ट्रेन-बस से मुफ्त भेजने पर उद्योगपतियों ने जताई नाराजगी, कहा चले गए तो कौन चलाएगा हमारी फैक्ट्रियां
मजदूर जब पैदल चल रहे थे, सड़कों पर हादसों का शिकार हो रहे थे, तब ज्यादातर उद्योगपति चुप रहे। अब जबकि मजदूरों को वापस जाने के लिये बस और रेल की सुविधा मिली तो उन्हें अपने कारोबार की चिंता सताने लगी...
जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। मजदूरों के खून-पसीने पर कमाई करने वाले उद्योगति अब चिंता में हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि यदि प्रवासी मजदूर वापस चले गये तो उनका कारोबार चलेगा कैसे? अपनी इसी चिंता को लेकर उद्योगपतियों के एक शिष्टमंडल से पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंदर सिंह से मुलाकात की। उन्होंने मांग की कि प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए मुफ्त रेल व बस की सुविधा न दी जाए। हालांकि इस पर सीएम ने कोई आश्वासन अभी तक नहीं दिया है।
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इस शिष्टमंडल में पंजाब के 33 उद्योगसंघ के साथ साथ चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग्स ने मांग की कि मुफ्त यात्रा की सुविधा वापस ली जानी चाहिये। यदि मदजूर जाना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए किराया देना हो। यह व्यवस्था की जानी चाहिये। उन्होंने यह तर्क दिया कि मुफ्त यात्रा के चक्कर में मजदूर वापस जा रहे हैं। इस वक्त पचास प्रतिशत मजदूर वापस चले गये हैं। इस वजह से उद्योगों के सामने संकट हो जायेगा। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार को सोचना चाहिये।
निटवियर क्लब के अध्यक्ष दर्शन डावरा का कहना है कि होजरी उद्योग प्रवासी मजदूरों के वापस जाने से बहतुत खराब हालात से गुजर रहा है। संगठन के महासचिव पंकज शर्मा ने बताया कि यदि मजदूर रुक जाये तो उद्योग को चलाना संभव होगा। इससे जो संकट बना हुआ है, वह तेजी से खत्म हो सकता है।
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मजदूरों के कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन साथी के अध्यक्ष प्रताप सिंह ने कहा कि जब मजदूर दर दर की ठोकर खा रहे थे तब यह उद्योगपति कहां थे? यह क्यों मदद के लिए आगे नहीं आये। तब भी इन्हें आना चाहिए थे। तब तो इनके सामने मजदूर बड़ा संकट बन गए थे।
आल इंडिया प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेंद्र चावला ने कहा कि मजदूरों के प्रति उद्योगपतियों को सहयोग का रवैया रखना चाहिये। हम जितने अच्छे तरीेके से मजदूरों को वापस उनके घरों तक भेजेंगे वह उतनी ही तेजी से वापस काम पर आयेंगे, क्योंकि उन्हें भी काम चाहिये। इसमें दो राय ही नहीं है कि मजदूर और उद्योग एक दूसरे पर निर्भर करते है। लेकिन इस वक्त मजदूर घर जाना चाह रहे है। वह डरे हुये हैं। उन्हें उनके घर जाने दिया जाना चाहिये। यह सोच पूरी तरह से गलत है कि मजदूर को तंग कर या फंसा कर रोका जा सकता है। इस सोच से उभर कर हमें उनके कल्याण के लिए काम करना चाहिये।
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उन्होंने बताया कि कई उद्योगपति मजदूरों को यह लालच दे रहे है कि वह उनका वेतन डबल कर देंगे, कई उनके पैसे रोक रहे हैं। यह सारी स्थिति गलत है। इस तरह से मजदूर रुकने वाला नहीं है। उसे कैसे जबरदस्ती रोका जा सकता है? बेहतर यहीं होगा कि मजदूर वापस जाये। जब सब सामान्य हो जायेगा तो उसे वापस बुलाया जाये।