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राजनीति

मोदी सरकार के इस घोटाले के बारे में जानकर 2G घोटाले को भी भूल जाएंगे आप

Prema Negi
31 Dec 2018 11:48 AM IST
मोदी सरकार के इस घोटाले के बारे में जानकर 2G घोटाले को भी भूल जाएंगे आप
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चाइना से बेभाव खरीदे और बिना गुणवत्ता जांचे गए यह मीटर आपके घर की विद्युत खपत को सीधे डेढ़ गुना करके बताएंगे और आपसे उसका पैसा प्रीपेड के नाम पर पहले ही वसूल किया जाएगा और आपकी शिकायत को अमान्य करके कहा जाएगा कि अब तक आप चोरी कर रहे थे...

स्वतंत्र टिप्पणीकार गिरीश मालवीय की रिपोर्ट

कॉमनवेल्थ घोटाला, कोल ब्लॉक घोटाला भी इसके सामने बहुत छोटा है, यहां तक कि रॉफेल घोटाला भी आपके आपके जीवन को इतना प्रभावित नहीं करेगा, जितना यह घोटाला आपको प्रभावित करने जा रहा है। यह घोटाला है स्मार्ट मीटर घोटाला।

आप सभी ने वर्षों पहले अपने घरों में लगे बिजली के पुराने मीटर देखे होंगे, जिसमें एक लोहे की प्लेट लगी रहती थी। वह प्लेट घूमती ओर उसी की रीडिंग के अनुसार आपका बिजली बिल निर्धारित किया जाता था। जमाना बदला और उसके बाद उन मीटरों का स्थान डिजिटल/ इलेक्ट्रॉनिक मीटर ने लिया। इसे लगाए भी आपको ज्यादा समय नहीं हुआ होगा, लेकिन अब इसे फिर एक बार बदला जा रहा है। अब मोदी सरकार आने वाले तीन सालों में देशभर में बिजली के सभी मीटरों को स्मार्ट प्रीपेड में बदलने जा रही है। देशभर में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

अब बिजली के बिल भरने की बात ही नहीं है, क्योंकि अब यह व्यवस्था प्रीपेड कर दी गयी है। यानी यदि आपकी जेब में पैसा है तो पहले रिचार्ज करवाइये, उसके बाद ही आपके घर में 'बिजली देवी' का प्रवेश होगा। इसे अच्छे शब्दों में बिजली मंत्रालय ने इस तरह बताया है 'स्मार्ट मीटर गरीबों के हित में है। उन्हें पूरे माह का बिल एक बार में चुकाने की जरूरत नहीं होगी। वे जरूरत के मुताबिक बिल चुका सकेंगे।'

इस मीटर की सारी गतिविधियां एक मोबाइल एप के जरिए आपके फोन पर अपडेट होती रहेंगी। सबसे बड़ी खासियत यह है कि अब आप यह नहीं बोल सकते कि मेरे घर में 2 ही पंखे 4 ट्यूबलाइट ओर 1 फ्रिज ही है। एप पर आपको और बिजली विभाग को सब दिख जाएगा कि कितने उपकरण आपके यहाँ काम कर रहे हैं। इस व्यवस्था में लोड ज्यादा होने पर सेंट्रल कार्यालय से उसको कंट्रोल किया जा सकेगा। इसमें एक सीमा के बाद मीटर में लोड जा ही नहीं पाएगा।

सभी स्मार्ट मीटर को बिजली निगम में बने कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा। कर्मचारी स्काडा सॉफ्टवेयर के जरिए कंट्रोल रूम से ही मीटर रीडिंग नोट कर सकेंगे। इसके साथ ही अगर कोई मीटर के साथ छेड़छाड़ करता है, तो उसका संकेत कंट्रोल रूम में मिलेगा। अगर कोई उपभोक्ता समय पर बिजली बिल नहीं भरता, तो कंट्रोल रूम से ही उसका मीटर कनेक्शन भी काटा जा सकेगा। इसके लिए उपभोक्ताओं के घर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

चलिए ये तो अच्छी बातें हैं। अब यह समझिए कि यह घोटाला कैसे है दरअसल यह दावा किया जा रहा है कि स्मार्ट मीटर को लगाने की एवज में उपभोक्ताओं से कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है। उपभोक्ता का पुराना मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर फ्री में लगाया जा रहा है। साथ ही पांच साल तक मीटर में कोई गड़बड़ी होती है तो भी मीटर बिना किसी शुल्क के बदला जाएगा।

वैसे सच तो यह है कि कोई चीज फ्री में नहीं लगाई जाती, फ्री में लगाने से पहले ही सारा केलकुलेशन बैठा लिया गया है कि पहले 6 महीने में ही आपका जो बिल बढ़ा हुआ आएगा उसी में यह राशि समायोजित कर दी जाएगी। जिन घरों में यह मीटर लगाए गए हैं उन सभी घरों में जो बिल आए हैं उसमें सवा से डेढ़ गुनी अधिक खपत दिखाई दे रही है।

खुले बाजार में फिलहाल सबसे सस्ता सिंगल फेज प्रीपेड बिजली मीटर अभी 8 हजार रुपये का मिल रहा है। हालांकि अच्छी गुणवत्ता वाला मीटर खरीदने के लिए लोगों को 25 हजार रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं, अब ये कम्पनी जो स्मार्ट मीटर लगा रही है उसमें किस तरह से आपसे पैसा वसूला जाएगा आप खुद ही सोच लीजिए

दूसरी ओर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिरकार यह मीटर सप्लाई कौन कर रहा है? कहीं न कहीं तो इनका उत्पादन किया जा रहा होगा? क्या विद्युत नियामक आयोग स्वतंत्र रूप से इन स्मार्ट मीटरों की जाँच करवा चुका है? क्योंकि सारा झोलझाल तो यही है कि देशभर में इन स्मार्ट मीटर की आपूर्ति एनर्जी एफिशियेंसी सर्विसेज लिमिटेड यानी ईईएसएल कर रहा है। दरअसल विद्युत मंत्रालय ने एनटीपीसी लिमिटेड, पीएफसी, आरईसी और पावरग्रिड के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम बनाया है जिसे ईईएसएल कहा जाता है।

अब यही असली घोटाला है जो आपको समझना जरूरी है। दरअसल यह कंपनी भारत सरकार ने 2009 में बनाई थी, लेकिन इस कंपनी ने 2014 तक कोई काम नहीं किया। यह कंपनी सिर्फ कागज तक ही सीमित रही। जून 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने अचानक इस कंपनी को देश के 100 शहरों में एलईडी बल्ब लगाने का काम दे दिया, जिसे आप उजाला योजना के नाम से जानते हैं।

इस कंपनी में कोई क्षमता ही नहीं थी कि उसे इतना बड़ा काम दिया जाए, क्योंकि कंपनी के पास कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर ही नहीं था। यह कंपनी न तो एलईडी का उत्पादन करती थी और न ही उसके पास एलईडी बल्ब लगवाने का कोई साधन था। वह सिर्फ दूसरी छोटी कंपनियों को सब-कांट्रेक्ट देकर चीन से एलईडी बल्ब खरीदवा रही थी और लगवा रही थी।

ओर किसी ने नहीं बीजेपी की सहयोगी शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कार्यकारी संपादक संजय राउत ने 2016 में ‘सच्चाई’ नामक शीर्षक के तहत एलईडी बल्ब में भारी घोटाले का पर्दाफाश किया था।

उस वक्त कांग्रेस के प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने आरोप लगाते हुए कहा था कि इस योजना में एलईडी की निविदा प्रक्रिया में अनियमितता, चीनी एलईडी बल्बों का आयात कर मेक इन इंडिया नीति और सतर्कता नियमों का उल्लंघन करने के अतिरिक्त 20 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। कांग्रेस ने इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की थी।

जो बल्ब देशभर में तीन सालों के लिए लगवाए गए थे, वह कुछ महीनों बाद ही खराब होना शुरू हो गए। जब उपभोक्ता इन्हें बदलने के लिए पुहंचे तो इन्हें बेचने वाले नदारद थे। सभी जगहों पर ऐसी घटनाएं घटी हैं। बहुत विवाद भी हुए, लेकिन इस कम्पनी पर कुछ भी कार्यवाही नहीं हुई।

इस EESL कंपनी को देशभर में स्ट्रीट लाइट को LED से बदलने का ठेका भी दिया गया, जिसके सब कांट्रेक्ट उन्होंने ऐसे लोगों को दिए जो एक साल में ही शहर छोड़कर भाग गए। आप स्थानीय अखबारों में इनके किस्से पढ़ सकते हैं, जो सैकड़ों की संख्या में छपे हैं और यह कम्पनी सिर्फ led बल्ब तक ही सीमित नहीं है। लाखों पंखे इन्होंने खरीदे हैं और यहाँ तक कि डेढ़ टन के AC भी हजारों की संख्या में इन्होंने खरीदे हैं, लेकिन कहीं भी देखने में नहीं आए। आफ्टर सेल्स सर्विस की कोई व्यवस्था इस कम्पनी के पास नहीं है, क्योंकि यह कम्पनी किसी तरह का उत्पादन नही करती।

अब एक बार फिर ऐसी कम्पनी को आगे करके मनमाने दामों पर स्मार्ट मीटर की खरीदी करवाई जा रही है। किससे यह मीटर खरीदे जा रहे हैं, उनकी गुणवत्ता को कैसे निर्धारित किया गया है इसका कुछ अता पता नहीं है। दरअसल यह पूरी योजना गरीब आदमी के हितों के नाम पर बड़ी पावर कंपनियों को लाभ में लाने की योजना है, जिसमें बड़े पैमाने पर अडानी, टाटा और रिलायंस जैसे उद्योगपतियों ने निवेश कर रखा है।

खुद बिजली मंत्रालय ने माना है कि सभी मीटर को प्री-पेड कर देने से बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की लागत काफी कम हो जाएगी और डिस्कॉम आसानी से घाटे से उबर जाएगी। अभी देश के कई राज्यों की डिस्कॉम भारी घाटे में चल रही है।

सारे स्मार्ट मीटर चाइना से बेभाव में खरीदे जाएंगे। बिना गुणवत्ता जांचे गए यह मीटर आपके घर की विद्युत खपत को सीधे डेढ़ गुना करके बताएंगे और आपसे उसका पैसा प्रीपेड के नाम पर पहले ही वसूल किया जाएगा। आपकी शिकायत को अमान्य करके कहा जाएगा कि अब तक आप चोरी कर रहे थे। यही है मोदी सरकार की सौभाग्य योजना।

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