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आंदोलन

स्थायी राजधानी गैरसैंण के लिए जनसंवाद

Prema Negi
14 Oct 2018 3:59 PM GMT
स्थायी राजधानी गैरसैंण के लिए जनसंवाद
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10 अक्टूबर से शुरू हुई इस यात्रा में उत्तराखंड की तमाम संघर्षशील ताक़तें करेंगी 15 दिन तक प्रदेश की आम जनता के बीच जाकर तमाम मुद्दों पर संवाद कायम...

जनज्वार, हल्द्वानी। स्थायी राजधानी गैरसैंण समेत पहाड़ के तमाम सवालों को लेकर पंचेश्वर से उत्तरकाशी तक की ‘जन संवाद यात्रा’ 10 अक्टूबर को शुरू हुई। स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के तत्वावधान में आयोजित इस यात्रा में उत्तराखंड की तमाम संघर्षशील ताक़तें अगले 15 दिन तक प्रदेश की आम जनता के बीच जाकर तमाम मुद्दों पर संवाद करेंगी।

यात्रा के पहले दिन पंचेश्वर में जगह-जगह जनसंपर्क किया गया। दो जगहों पर जनसभाओं का आयोजन भी किया गया। पंचेश्वर में जनसभा को संबोधित करते हुए संघर्ष समिति के संयोजक चारु तिवारी ने कहा कि हम गैरसैंण राजधानी के आलोक में पहाड़ के सभी सवालों को देखते हैं। गैरसैंण राजधानी पहाड़ के विकास के विकेंद्रीकरण का ज़रिया है।

उन्होंने कहा कि पंचेश्वर बांध के नाम पर पहाड़ के गांवों और उसकी संस्कृति को ख़त्म किया जा रहा है। बड़े-बड़े बांधों के निर्माण से एक दिन पहाड़ तबाह हो जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने पहाड़ की ज़मीनों को उद्योगपतियों के हवाले करने की साज़िश कर दी है। वह दिन दूर नहीं होगा, जब पहाड़ के लोगों के पास ज़मीन ही नहीं बचेगी। आज पहाड़ की ज़मीनों को बचाने का सवाल सबसे बड़ा है।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड आज तमाम तरह के संकटों का सामना कर रहा है, जिसके लिए सत्ता में बारी-बारी से रहीं भाजपा कांग्रेस जिम्मेदार हैं। पूर्व विधायक और यूकेडी नेता पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि उत्तराखंड के अस्तित्व को बचाने के लिए बड़ी लड़ाई लड़नी होगी। जनसभा को वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल, उमेश तिवारी ‘विश्वास’, रूपेश कुमार, मोहित डिमरी आदि ने भी संबोधित किया। संचालन प्रदीप सती ने किया।

इस मौक़े पर प्रेरणा गर्ग, नारायण सिंह रावत, गोविंदी वर्मा, लक्ष्मण सिंह, कमल मठपाल, शिवराज सिंह बनौला आदि शामिल थे।

‘जन संवाद यात्रा’ के चौथे दिन डीडीहाट में जनसंपर्क किया गया। स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के तत्वावधान में की जा रही यात्रा का सुबह नगर के गांधी चौक पर स्थानीय लोगों ने स्वागत किया। नगर में जनसंपर्क के बाद गांधीचौक पर सभा आयोजित हुई।

वक्ताओं ने स्थायी राजधानी गैरसैंण, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन और नए जिलों के गठन पर बात रखी। कहा कि उत्तराखंड के मूल भूत सवालों को लेकर हुक्मरानों से सवाल पूछने का वक्त आ गया है। डीडीहाट को जिला बनाए जाने की मांग राज्य गठन से पहले की है, लेकिन आज तक सरकारें इसको लेकर आश्वासन से आगे नहीं बढ़ी हैं।

पत्रकार रोहित जोशी ने कहा कि सरकार पहाड़ की ज़मीनों को उद्योगपतियों के हवाले करने की साज़िश कर रही है जिसका प्रतिकार करना होगा। कृषि उत्तराखंड की रीढ़ रही है, लेकिन इसे बड़ी साजिश के तहत खत्म किया जा रहा है ताकि पूंजीपतियों के लिए आसान रास्ता तैयार किया जा सके।

प्रदीप सती ने कहा कि स्थाई राजधानी गैरसैंण के मुद्दे को केंद्र में रखते हुए पहाड़ के सभी सवालों को देखने की जरूरत है। मोहित डिमरी ने कहा कि आज हमारा प्रदेश जिन संकटों का सामना कर रहा है, उनके लिए सत्ता में बारी-बारी से रहीं भाजपा कांग्रेस जिम्मेदार हैं।

मुकुल भट्ट ने कहा कि सरकार को बड़े बांधों की सनक छोड़ कर छोटी परियोजनाओं का निर्माण करना चाहिए, जिससे लोगों को विस्थापन का दंश भी नहीं झेलना पड़ेगा और पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचेगा। लवी कफलिया ने कहा कि डीडीहाट जिला इस क्षेत्र की सबसे बड़ी मांग है जिसे सरकार को मानना ही पड़ेगा।

इस मौक़े पर शेर सिंह शाही, गोविंद लाल साह, लवि कफलिया, महिमन कन्याल, रतन गिरी गोस्वामी, त्रिलोक मैंनेजर, जगमोहन ठकुराठी, विपेंद्र रावत, रवींद्र बोरा, चेतन शाही, रमेश पंचपाल, नारायण सिंह रावत, सोनी पटवाल, कमल मठपाल, मान सिंह आदि शामिल थे।

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