Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

कमलनाथ संजय गांधी की तरह चलाने जा रहे थे नसबंदी योजना, लेकिन अब लगाई रोक

Vikash Rana
21 Feb 2020 5:24 PM IST
कमलनाथ संजय गांधी की तरह चलाने जा रहे थे नसबंदी योजना, लेकिन अब लगाई रोक
x

कमलनाथ सरकार ने स्वास्थय विभाग के कर्मचारियों को पुरुष नसबंदी के लक्ष्य पूरा ना कनरे पर वेतन में कटौती और अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश दिया था। टारगेट पूरा ना करने पर नो पे, नो वर्क के आधार पर वेतन ना देने की बात कही गई थी..

जनज्वार। मध्य प्रदेश सरकार ने नसबंदी का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर एक तुगलकी फरमान जारी किया है। जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन ने राज्य के स्वास्थय कार्यकर्ताओं को आदेश किया था कि कम से कम एक सदस्य की नसबंदी कराई जाए वरना उनको सैलरी नहीं दी जाएगी। इस पर उस अधिकारी पर कार्रवाई करने का आदेश दिया जा चुका है। जिसने यह निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद इस आदेश को रद्द कर दिया गया है।

मलनाथ सरकार ने स्वास्थय विभाग के कर्मचारियों को पुरुष नसबंदी के लक्ष्य पूरा ना करने पर वेतन में कटौती और अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश दिया था। टारगेट पूरा ना करने पर नो पे, नो वर्क के आधार पर वेतन ना देने की बात कही गई थी। परिवार नियोजन कार्यक्रम में कर्मचारियों के लिए पांच से दस पुरषों की नसबंदी करना अनिवार्य बताया गया था।

संबंधित खबर: डॉक्टरों के लिए गरीब हुए मूली—गाजर, हर 3 मिनट में एक नसबंदी करके 101 का टारगेट किया पूरा

पको बता दे कि वर्तमामन में प्रदेश के अधिकांश जिलों में फर्टिलिटी रेट तीन है। सरकार ने इसे 2.1 करने का लक्ष्य रखा है। जिसे पूरा करने के लिए हर साल करीब सात लाख नसबंदी की जानी हैं। लेकिन पिछले साल हुई नसबंदियों का आकंड़ा सिर्फ हजारों में रह गया था। इसी के चलते राज्य सरकार ने कर्मचारियों को परिवार नियोजन के अभियान के तहत टारगेट पूरा करने का निर्देश दिए थे।

रिवार नियोजन के अभियान के तहत हर साल जिलों को कुल आबादी के 0.6 फीसदी नसबंदी ऑपरेशन का टारगेट दिया जाता है। हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्धाज ने इस पर नाराजगी जताते हुए सभी कलेक्टर और सीएमएचओ को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने कहा कि प्रदेश में मात्र 0.5 प्रतिशत पुरूष नसबंदी के ऑपरेशन किए जा रहे है।

संबंधित खबर: आखिर आपातकाल की संभावनाओं से इनकार क्यों नहीं कर पाए आडवाणी

शिवराज सिंह चौहान ने इस फैसले पर ट्वीट करते हुए इसे मध्य प्रदेश में अघोषित आपातकाल बताया। उन्होंने कहा कि क्या ये कांग्रेस का आपातकाल-2 है? एमपीएचडब्ल्यू के प्रयास में कमी हो तो सरकार कार्रवाई करे लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय तानाशाही है।

सरकार के आदेश के बाद एमपीडब्ल्यू और पुरुष सुपरवाइजरोंं ने विरोध करना शुरू कर दिया था। उनका कहना है कि वे जिले में घर-घर जाकर जागरुकता अभियान तो चला सकते हैं। लेकिन किसी का जबरदस्ती नसबंदी ऑपरेशन नहीं करवा सकते। वहीं भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा है कि नसबंदी के मामले में ऐसा लग रहा है कि मध्य प्रदेश में आपातकाल लगा हो और संजय गांधी की चौकड़ी अपने नियम बनाकर शासन चलाने का प्रयास कर रही हो। हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता सैय्यद जाफर का कहना था कि आदेश का मकसद सिर्फ नसबंदी के लक्ष्य को पूरा करना है। वेतन वृध्दि रोकना या नौकसी से निकाल देना मकसद नहीं है।

संजय गांधी ने कराई थी 62 लाख लोगों की नसबंदी

भारत में 25 जून 1975 को आपातकाल लगा था। इस दौरान समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का प्रयास कर रहे थे इसके लिए उन्होंने वृक्षारोपण, दहेज उन्मूलन जैसे कई मुद्दों पर जोर दिया था। इसी दौरान दुनिया में भारत की तेजी से बढ़ती आबादी को अभिशाप की तरह देखा जा रहा था। अंतराष्ट्रीय मुद्दा कोष, विश्व बैंक सहित कई अंतराष्ट्रीय संगठन भी भारत पर जनसंख्या नियंत्रण के लिए दबाव बना रहे थे

सी दौरान इंदिरा गांधी ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए बड़ा फैसला लिया और पर्दे के पीछे से संजय गांधी ने इस संचालित किया। जिसके बाद फैसले का उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। इस दौरान संजय गांधी के इस अभियान में करीब 62 लाख लोगों की नसंबदी की गई थी।

Next Story

विविध