Begin typing your search above and press return to search.
समाज

लॉकडाउन: एम्स के स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना का खतरा, बसों में बैठाने तक की नहीं व्यवस्था

Vikash Rana
30 March 2020 1:36 PM IST
लॉकडाउन: एम्स के स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना का खतरा, बसों में बैठाने तक की नहीं व्यवस्था
x

एम्स के ट्रामा सेंटर को भी कोरोना अस्पताल में बदला जा रहा है, लेकिन एम्स अपने ही कर्मचारियों को कोरोना से बचाने के लिए कुछ नहीं कर पा रहा....

जनज्वार। देश में कोरोना वायरस का कहर लगाातर बढ़ता जा रहा है। कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 979 तक पहुंच गई जबकि मृतकों का आंकड़ा 25 तक पहुंच गया। देश में 48 विदेशियों समेत कुल 979 कोरोना वायरस संक्रमित हैं।

से में देश में बड़ी संख्या में अस्पताल के अलावा बड़ी संख्या में स्कूलों, रेल के डिब्बों को कोरोना से होने वाले संक्रमित लोगों के लिए अस्पताल में बदला जा रहा है। इसके अलावा एम्स के ट्रामा सेंटर को भी कोरोना अस्पताल में बदला जा रहा है, लेकिन एम्स अपने ही कर्मचारियों को कोरोना से बचाने के लिए कुछ नहीं कर पा रहा।

स समय भारत का सबसे बड़ा अस्पताल एम्स के कर्मचारी भरी हुई बसों में जाने को मजबूर है। डॉक्टरों और सरकारों द्वारा सोशल डिस्टेंस करने की अपील बार बार की जा रही है। लेकिन एम्स में काम करने वाले लोगों को ठूस-ठूस कर बसों में भरा जा रहा है। एक वीडियों सोशल मीडिया में काफी तेजी से वायरल हो रही है। जिसमें एम्स में काम करने वाले लोगों के लिए एम्स और सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

से में सोशल मीडिया में हिंदुस्तान अखबार के पत्रकार हेमंत एक वीडियो को ट्वीट करते हुए कहा कि लॉकडाउन के बीच नई दिल्ली के एम्स ने अपने कर्मचारियों के लिए विशेष रुप से किराए पर ली गई बसों का हाल देखे। ये कर्मचारी पहले से ही पर्याप्त पीपीई के बिना काम कर रहे थे और अब ये सामाजिक गड़बड़ी है।

हीं शैलेंद्र वांगू कहते है हर सुबह एम्स के कर्मचारी ऐसे ही यात्रा कर रहे है वो भी ऐसे समय में जब लोगों से दूरी बनाने के लिए कहा जा रहा है। अस्पतालों में तो पर्याप्त दूरी बनाई जा रही है लेकिन बसों को क्या?

ता दे स्वास्थय मंत्रालय की पहल पर एम्स में कोरोना के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टेलकंस्लेटेंसी की शुरूआत की गई है। यह एक ऐसी पहल है जो मरीज के लिए नहीं बल्कि डॉक्टरों के लिए शुरू की गई है। एम्स ने देशभर को डॉक्टरों को कोरोना के इलाज में क्लिनिकल मैनेजमेंट में मदद कर रहा है, लेकिन अपने कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं कर रहा।

Next Story

विविध