गोबर के उपले व जलौनी लकड़ी जैसे ईधन के इस्तेमाल के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए उज्जवला योजना के तहत दिये गैस कनैक्शनों की सब्सिडी भी मोदी सरकार ने छीनने का ऐलान कर दिया है। गैस खरीदने के लिए गरीब महिलाएं हर माह 500 रुपए कहां से लाएंगी, इसका जवाब सरकार ने नहीं दिया है...
मुनीष कुमार, स्वतंत्र पत्रकार
मोदी सरकार घरेलू कुकिंग गैस पर सब्सिडी खत्म करने के लिए बेहद आतुर नजर आ रही है। सब्सिडी खत्म करने की अपनी पिछली घोषणाओं पर भी सरकार कायम रहने के लिए तैयार नहीं है। पिछले वर्ष पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जून माह में घोषणा की थी कि सरकार घरेलू गैस पर प्रतिमाह 2 रु. सिलेंडर की बढ़ोतरी कर चरणबद्ध तरीके से सब्सिडी समाप्त करेगी।
घोषणा को वर्षभर भी नहीं बीता था कि मंत्री महोदय अपनी बात से पलट गये और उन्होंने बीती जुलाई में बताया कि सरकार अब प्रतिमाह 2 रुपए नहीं 4 रुपए प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी कर, अगले वर्ष के मार्च महीने तक सब्सिडी को खत्म कर देगी।
इस घोषणा के दो माह बाद ही मंत्री महोदय फिर से अपनी बात से मुकर गये और उन्होंने 1 सितम्बर को घरेलू गैस के दाम में 8 रुपए प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी कर दी तथा बगैर सब्सिडी वाले घरेलू सिलेंडर के दाम भी बढ़ा दिये।
सरकार सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर के दाम पिछले एक वर्ष में 68 रुपए बढ़ा चुकी है। यदि अगले 6 माह में इसी तरह सब्सिडी को समाप्त कर देगी तो घरेलू गैस का दाम बढ़कर 600 रुपए हो जाना तय है।
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत सरकार ने पिछले वर्ष से अब तक 2.84 करोड़ गरीबी की रेखा से नीचे रहने वालों लोगों को मुफ्त गैस कनैक्शन देकर वाहवाही लूटने की कोशिश की थी। उज्जवला योजना के तहत खासतौर से गरीब महिलाओं को प्रदूषण से बचाने के नाम पर निःशुल्क गैस कनैक्शन दिये गये थे।
देश में गोबर के उपले व जलौनी लकड़ी जैसे ईधन के इस्तेमाल के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए उज्जवला योजना के तहत दिये गैस कनैक्शनों की सब्सिडी भी मोदी सरकार ने छीनने का ऐलान कर दिया है। गैस खरीदने के लिए गरीब महिलाएं हर माह 500 रुपए कहां से लाएंगी, इसका जवाब सरकार ने नहीं दिया है।
2013-14 में एक सिलेंडर पर 530 रुपए की सब्सिडी मिलती थी, परन्तु अब सरकार एक सिलेंडर पर 110 रुपए की सब्सिडी भी देने को तैयार नहीं है।
मोदी सरकार कल्याणकारी चोला उतारकर खुली नंगई पर उतर आयी है। सरकार की कारस्तानियों को देखते हुए देश की जनता को अब घरेलू गैस पर सब्सिडी की बात को भूल जाना चाहिए। सरकार जनता से उल्टी घरेलू गैस पर 5 प्रतिशत की दर से 29 रुपए प्रति सिलेंडर जीएसटी वसूल रही है। कॉमर्शियल 19 किग्रा के सिलेंडर पर सरकार 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूल कर रही है।
इस गैस सब्सिडी की समाप्ति से सरकार ने एक ही तीर से दो निशाने लगाए हैं। एक भारत सरकार इसके द्वारा एलपीजी की मद में दी जाने वाली लगभग 20 हजार करोड़ की सब्सिडी समाप्त कर देगी। दूसरा सरकार कुकिंग गैस को भी डीजल व पेट्रोल की भांति सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर बाजार की शक्तियों के हवाले करने का रास्ता प्रशस्त कर रही है। ताकि रिलायंस व एस्सार जैसे इजारेदार देशी-विदेशी कम्पनियां कुकिंग गैस की खुले बाजार में बिक्री कर, इससे भारी मुनाफा कमा सकें।
देश में घरेलू गैस उपभोक्ताओं की संख्या 22 करोड़ से भी अधिक है। सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन आॅयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम व हिन्दुस्तान पेट्रोलियम ही अब तक कुकिग गैस उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराती रही हैं। कुकिंग गैस खपत की वृद्धि दर देश में 10 प्रतिशत से भी अधिक है। इस 22 करोड़ उपभोक्ताओं के बाजार पर देश-विदेश के पूंजीपति वर्ग की गिद्ध दृष्टि लगी हुयी है। पूंजीपति वर्ग इस बाजार पर अपना कब्जा कर भारी मुनाफा कमाना चाहता है और सरकार उसकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए जनता के पेट पर लात मार रही है।
सरकार देश के भीतर रिलायंस व ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय कम्पनी बीपी को गैस व तेल निकालने की छूट दे चुकी है। जिससे रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी व बीपी ने देश के तेल व गैस स्रोतों का दोहन कर भारी मुनाफा कमाया है। सरकार के नियंत्रण वाली ओएनजीसी ने रिलायंस पर 30 हजार करोड़ रुपए की गैस चोरी का आरोप 3 वर्ष पूर्व 2014 में लगाया था। अब इसी रिलायंस को सरकार कुकिंग गैस का बाजार भी उपलब्ध करा रही है।
सरकार इसी की कड़ी में रिलायंस को प्रति वर्ष 1.2 लाख टन एलपीजी उत्पाद खुले बाजार में बेचने की पहले ही छूट दे चुकी है। पिछले वर्ष जुलाई में रिलायंस 4 किग्रा वजन वाले छोटे एलपीजी सिलेंडर बिक्री के लिए बाजार में उतार चुका है। सरकार निजी कम्पनियों के लिए नियमों में तब्दीली कर पेट्रोलियम उत्पादों के आयात व विपणन का रास्ता खोल चुकी है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस समय गैस के दामों में भारी गिरावट दर्ज की गयी है। सरकार इस गिरावट को एक अवसर के रूप में देख रही है। आने वाले समय में घरेलू गैस को बाजार की शक्तियों के हवाले कर देने के गम्भीर परिणाम देश की जनता के सामने आएंगे, इतना तय है। पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में गिरावट हमेशा ही बरकरार नहीं रहेगी और देर-सवेर उनके दाम बढ़ेंगे।
सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी की कीमत पिछले माह 29 रुपए प्रति किग्रा आंकी गयी है। इस कीमत अनुसार 14.2 किग्रा के सिलेंडर के दाम 413 रुपए के लगभग बनते हैं। सरकार ने इस पर का टैक्स व खर्च का लगभग 185 रुपए जोड़कर एक सिलेंडर की कीमत 598 रुपए निधारित की है।
इस तरह निर्धारित की जाती है 14.2 किग्रा के घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत
आयातित गैस का मूल्य | 413.28 रुपए |
बीमा व आयात खर्च | 4.15 रुपए |
शार्टेज | 9.82 रुपए |
बाॅटलिंग चार्ज | 38.69 रुपए |
भाड़ा देश के भीतर | 28.40 रुपए |
ब्याज | 2.22 रुपए |
डिलीवरी चार्ज | 10.00 रुपए |
आयात लागत मूल्य व राउन्ड आॅफ आदि | 15.21 रुपए |
डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन | 47.64 रुपए |
जीएसटी | 28.47 रुपए |
रिटेल मूल्य | 597.84 रुपए |
सब्सिडी प्रति सिलेंडर | 110.32 रुपए |
सब्सिडी वाले सिलेंडर का मूल्य | 487.55 रुपए |
#भारत सरकार की पेट्रोलियम प्लानिंग एवं एनायलेसिस सेल द्वारा 1 सितम्बर, 2017 को जारी आंकड़ों के आधार पर
देश में कुकिंग गैस की सालाना खपत 19 मिलियन टन बतायी जा रही है। कुकिंग गैस जरूरतों का आधा उत्पादन देश के भीतर ही होता है। तेल व गैस निकालने वाली सरकारी व प्राइवेट कम्पनियां इसमें भारी मुनाफा अर्जित कर रही है। देश में उत्पादित गैस की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के मुकाबले आधी से भी कम बतायी जा रही है। कीमतों का यह हेर-फेर सरकार व पूंजीपति वर्ग के लिए भारी मुनाफा कमाने का साधन बन चुका है।
पेट्रोलियम पदार्थों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर इन्हें बाजार के हवाले करने की नीति कांग्रेस की मनमोहन सरकार के जमाने से ही देश में शुरू हो गयी थी। पेट्रोलियम व गैस की लूट को लेकर सभी दल एकमत हैं। यही कारण है कि कुकिंग गैस की सब्सिडी की समाप्ति को लेकर कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष मौन है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी के दाम कभी भी पुरानी या उससे भी अधिक दरों की तरफ लौट सकते हैं। वर्ष जुलाई, 2014 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी की दरें 835 डॉलर प्रति मीट्रिक टन यानी 51 रुपए किग्रा पर थीं। पुरानी दरों के लौटने पर 14.2 किग्रा के गैस सिलेंडर की कीमत 724 रुपए हो जाएगी। ऐसे में टैक्स व खर्चे जोड़कर गैस सिलेंडर के दाम देशवासियों को 1000 रुपए या इससे भी अधिक चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि सरकार सब्सिडी को खत्म करने का ऐलान कर चुकी है।
यही है मोदी सरकार की देशवासियों के लिए अच्छे दिनों की सौगात।
(मुनीष कुमार स्वतंत्र पत्रकार एवं समाजवादी लोक मंच के सहसंयोजक हैं।)