Begin typing your search above and press return to search.
शिक्षा

लखनऊ मेडिकल कॉलेज बना भ्रष्टाचार और लूट का नया अड्डा

Janjwar Team
27 Feb 2018 3:51 PM GMT
लखनऊ मेडिकल कॉलेज बना भ्रष्टाचार और लूट का नया अड्डा
x

चिकित्सा से संबंधित सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी पीओसीटी डॉक्टरों से गठजोड़ कर दे रही भ्रष्ट गतिविधियों को अंजाम, डॉक्टरों और अधिकारियों को महंगे—महंगे तोहफे दे कंपनी ने ली है भ्रष्टाचार की खुली छूट...

लखनऊ से संदीप सिंह की विशेष रिपोर्ट

देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के नए मुखिया योगी आदित्यनाथ जहाँ एक तरफ प्रदेश की कानून-व्यस्था, भ्रष्ट्राचार एवं समाज के सभी वर्गों को न्याय देने को लेकर चहुंओर दुहाई देते फिर रहे हैं, वहीं उनके ही प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित चिकित्सा विश्वविद्यालय यानी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के डॉक्टरों और ठेके पर कार्यरत कम्पनी पीओसीटी (जोकि चिकित्सा से संबंधित सभी प्रकार की सेवाएँ प्रदान करती हैं) का गठजोड़ खुलेआम लूट एवं भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहा है।

इसके साथ ही साथ संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के साथ भी अन्याय एवं शोषण का कहर लगातार जारी है। यह कम्पनी केजीएमयू में पिछले 3—4 सालों से ठेके पर कार्यरत है, जिसमें कई तरह के गलत तरीके से गतिविधियों में संलिप्त होने को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

वहाँ कार्यरत रहे केजीएमयू के ही पैथोलॉजी लैब के संविदा कर्मचारी अखिलेश से बातचीत करने पर पता चला कि पीओसीटी के कुछ अधिकारी जोकि पीओसीटी कम्पनी के इंचार्ज भी हैं, वे सबसे पहले डॉक्टरों को हर तरीके से प्रलोभित करके सभी तरह की भ्रष्ट गतिविधियों को बखूबी अंजाम दिया जाता है।

इसमें कम्पनी के अधिकारी डॉक्टरों को खुश करने के लिए उनके घरों में ए.सी., फ़र्नीचर एवं महंगे गिफ्ट आइटम के इंतजाम करने के अलावा उनकी महँगी प्राइवेट पार्टियों तक जिम्मा उठाने का काम करती है, जिसके एवज में केजीएमयू के डाक्टरों व उनके आलाकमानों की तरफ से पीओसीटी कम्पनी को मनमानी करने की खुली छूट रहती है।

वे आगे कहते हैं कम्पनी पीओसीटी इसका फ़ायदा उठाकर केजीएमयू के नाम पर न सिर्फ प्रदेश के दूर-दराज से आने वाले गरीब, मजदूर एवं किसान वर्ग के मरीज़ों को मनमर्जी तरीके से लूटा जाता है, बल्कि केजीएमयू में कार्यरत पीओसीटी के कर्मचारियों का भी आर्थिक एवं मानसिक शोषण किया जाता है।

गौरतलब है कि किसी भी मरीज़ की सर्जरी होने से पहले पैथालाजी लैब में विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए वायरल मार्कर के टेस्ट कराये जाते हैं। यह टेस्ट पीओसीटी कम्पनी के आने से पहले केजीएमयू में 163 रुपए में किया जाता था आज की तारीख़ में 300 रुपए में होता है। कोई भी ‘कल्चर टेस्ट’ पहले अगर 100 रुपए में था वो आज 200 रुपए में हो रहा है। इसी तरह पैथोलाजी के सभी टेस्टों के दाम इसी तर्ज़ बढ़ा दिये गए हैं, जबसे पीओसीटी कम्पनी केजीएमयू में ठेके पर काम करना शुरू किया है। उसके बाद से यह कम्पनी आज पूरे उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के बड़े-छोटे सरकारी अस्पतालों में इसी तर्ज पर पाँव पसार चुकी है।

इस पीओसीटी कम्पनी के माध्यम से संविदा पर केजीएमयू में कार्यरत रहे आयुष्मान बरनवाल ने बताया कि जबसे हम सभी लोगों ने पीओसीटी के माध्यम से केजीएमयू में कार्य करना शुरू किया है। तब से न तो इस कम्पनी ने कोई ज्वानिंग लेटर दिया, न ही कोई पहचान पत्र दिया है, जिससे यह पता चल सके कि हम सभी पीड़ित संविदाकर्मी (जोकि मुख्यतः पैथोलॉजी और माइक्रो बायलोजी विभाग में लैब टेकनिशयन, कम्प्यूटर आपरेटर, लैब अटेंडेंट के तौर पर) केजीएमयू में कार्यरत रहे हैं।

इसके अलावा इस कंपनी से जब पीएफ़ के बारे में बात करते हैं, तो पता चलता है कि यह कम्पनी पीएफ़ नहीं देती है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि कम्पनी को जो मासिक वेतन के तौर पर सैलरी (6000 से 10000 रुपए) दिया जा रहा है, न तो वह समय से दिया जा रहा है बल्कि वह राज्य के न्यूनतम मज़दूरी कानून-1956 का भी उल्लंघन भी किया जा रहा है। इतने सब कुछ शोषण होने के बावजूद भी मज़बूरन बेरोज़गारी की मार व पारिवारिक आर्थिक दबाव के चलते काम करना पड़ रहा है।

इसी कम्पनी के माध्यम से केजीएमयू के पैथोलॉजी लैब में लैब टेकनिशयन के पद पर कार्यरत रह चुके पीड़ित कर्मचारी ऋषभ शुक्ला ने सबसे अचंभित कर देने वाली घटना के बारे में जिक्र किया।

ऋषभ बताते है। जब से हमने इस कम्पनी के माध्यम से केजीएमयू में काम करना शुरू किया शुरुआती दौर में हमें पता नहीं चला, लेकिन धीरे-धीरे इतना सबकुछ शोषण एवं अन्याय सहने के बाद, पीओसीटी कम्पनी से संबन्धित अधिकारियों के द्वारा शोषण व उत्पीड़न भी दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। सबसे पहले इन्होंने हम सभी पीड़ित कर्मियों की साजिशन एक-एक करके पिछले कुछ महीनों से सैलरी रोकी और फिर उनको कम्पनी से बाहर निकालने का क्रम शुरू हुआ।

जब हम लोगों ने सैलरी माँगनी शुरू की तो बिना किसी पूर्वसूचना के हमें कहा गया कि आप लोगों को कम्पनी से निकाला जा चुका है। जब इसके बारे में पीओसीटी के अधिकारियों से जानने की कोशिश की तो उन लोगों ने हम सबको धमकाते हुए कहा कि अब कम्पनी तुम्हारे जैसों के लिए कोई जगह नहीं है।

लेकिन नौकरी से निकाले जाने की वास्तविकता इससे परे थी, क्योंकि पीओसीटी अधिकारियों ने नए लोगों को ज्वाइन कराने के नाम पर नये तरह का करप्शन शुरू किया था। उन्होंने सबसे पहले नए रिक्रूटमेंट के द्वारा नए कर्मचारियों से 30 से 50 हज़ार रुपए लेना शुरू किया और हम सभी पुराने लोगों को बाहर करके हमारी पुरानी सैलरी भी हड़प ली गई।

सभी संविदा कर्मचारी इसी तरह के आरोप लगा रहे हैं। इस संबंध में पीओसीटी कम्पनी के अधिकारी अमित अग्रवाल जोकि केजीएमयू कम्पनी की तरफ से इंचार्ज के तौर पर कार्यरत हैं, से बातचीत हुई।

फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने संविदा कर्मचारियों के आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन बताया। मगर जब तथ्यों के साथ बात रखी गई तो वे बगलें झांकते नजर आए। वे हर सवाल को टालते नजर आए।

जब उनसे पूछा गया कि आपने संविदाकर्मियों को न तो कंपनी की तरफ से कोई ज्वानिंग लेटर दिया और न ही कोई पहचान पत्र? के जवाब में अभी बन रहा है, जल्द ही दिया जाएगा, जैसे जवाब देते नजर आए।

लेकिन कब तक? इसकी तारीख उन्हें पिछले 2-3 सालों से मालूम नहीं है। संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों के पास वहां काम करने का एक ही सबूत है उनके एकाउंट में कंपनी की तरफ से आने वाली 6,000 से 10,000 रुपए तक के बीच में आने वाली सैलरी।

जब अमित अग्रवाल से न्यूनतम मजदूरी के कानून के उल्लंघन की बात हुई, तो उन्होंने कहा कि इतनी सैलरी देना कम्पनी और केजीएमयू की निजी नीति है, इस पर हम कुछ नहीं कह सकते हैं। इसके अलावा अधिकतर अनैतिक एवं भष्ट गतिविधियों के सवालों पर अमित अग्रवाल मौन साधे रहे, किसी सवाल का सही जवाब नहीं दिया।

इस संबंध में जब फोन पर केजीएमयू प्रशासन का पक्ष जानना चाहा तो फोन तक रिसीव नहीं किया गया। कुल मिलाकर सूबे के सबसे नामी-गिरामी चिकित्सा विश्वविद्यालय का हाल बहुत बुरा है।

इसे इस देश की भ्रष्ट शासन व्यस्था का दुर्भाग्य ही माना जाएगा कि कम्पनी पीओसीटी एवं उनके नुमाइंदें द्वारा आज भी केजीएमयू में प्रदेश के दूर-दराज़ ग्रामीण इलाकों से आने वाले समाज गरीब एवं कमजोर वर्ग के लोगों को लूटने का खेल जारी है।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध