लखनऊ में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी सत्येंद्र कुमार नहीं रहे
सत्येंद्र कुमार पिछले लंबे समय से गले के कैंसर से जूझ रहे थे। 26 दिसंबर को थोड़ी तकलीफ बढ़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उनका निधन हो गया...
जनज्वार, लखनऊ। सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी सत्येंद्र कुमार का लखनऊ में एक निजी अस्पताल में आज 29 दिसंबर की सुबह 9 बजे निधन हो गया।
पिछले लंबे समय से वे गले के कैंसर से जूझ रहे थे। 26 दिसंबर को थोड़ी तकलीफ बढ़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी, 2 बेटियां, दामाद और नाती हैं।
बीमारी के बावजूद वे सोशल मीडिया पर पर्याप्त सक्रिय रहते थे। CAA और NRC के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों पर तमाम पोस्टें शेयर करते थे और खुद भी कई टिप्पणियां लिखते थे। उनकी तमाम पोस्टों से उनकी राजनीतिक चेतनता का पता चलता है।
फेसबुक पर लिखी अपनी एक पोस्ट में वे लिखते हैं, 'सौ-सौ चूहे खाकर,बिल्ली चली हज करने। देश दो तिहाई बहुमत देकर संसद भेजने वाली जनता को निहायत मूर्ख समझते हैं क्या मोदी? कैब पर गजब का बचकाना तर्क दे रहे हैं, मोदी और शाह... भाई वाह मजा आ गया।'
एक अन्य पोस्ट में सत्येंद्र जी लिखते हैं, 'अब गांधी प्रतिमा के पास 2-4 घंटे बैठने से कुछ नहीं होगा... फिर से चम्पारण की तरह लोगों के अन्दर से जेल-पुलिस का भय खतम करना है। बुनियादी मांगों को लेकर जेल भरो आन्दोलन और जमानत भी नहीं। NGO मार्कका विरोध बन्द।'
उनकी सोशल मीडिया पर सक्रियता का प्रमाण एक अन्य पोस्ट में मिलता है, जिसमें सत्येंद्र जी लिखते हैं, 'ऐसा निर्कृष्ट, घटिया भारतीय राजनीति देखने को मिलेगी, सोचा नहीं था। इसका जवाब अब जनता देगी। इसकी शुरुआत चिली में हो गयी है।'
सत्येंद्र कुमार ताउम्र न केवल सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े रहे, बल्कि उन्होंने अनगिनत लोगों की अलग-अलग तरीके से मदद की। लोगों के बीच उनकी छवि मददगार इंसान के बतौर ख्यात थी।
जनज्वार के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे आजीवन जनज्वार के शुभचिंतकों में शामिल रहे।
उनके निधन पर सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने शोक व्यक्त किया है। राम प्रताप यादव लिखते हैं, 'लखनऊ शहर ने अपना एक सितारा खो दिया। साथी सत्येन्द्र सिंह जी नहीं रहे......!!!'
महेश चंद्र देवा लिखते हैं, 'सत्येंद्र जी को सलाम आपने तमाम साथियों का सहयोग किया तमाम लोगों का साथ दिया। एक सच्चे संघर्षशील व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। आपने हर मोड़ तो हिम्मत नहीं हारी। आप कैंसर से भी जूझते रहे और दकियानूसी समाज से भी।'