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विमर्श

बापू निपट गए तो ‘हिन्दू राष्ट्र’ की पताका फहराना होगा आसान

Prema Negi
26 Jun 2019 4:03 AM GMT
बापू निपट गए तो ‘हिन्दू राष्ट्र’ की पताका फहराना होगा आसान
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वो जब ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ का नारा लगाते हैं तब बेटियों का क्या हाल है यह आप जानते हैं। जब किसानों की आय दुगुनी करने की बात करते हैं तभी किसानों को ‘दिल्ली’ में अपनी खोपड़ी लिए अपना ही ‘मल मूत्र’ पीना पड़ता है...

प्रसिद्ध रंगचिंतक मंजुल भारद्वाज की टिप्पणी

25 जून, 2019 को संसद में ऐलान कर दिया गया, “हम ऊंचाई नहीं देखते, हम जड़ों को देखते हैं। हमारा ध्यान देश की जड़ों पर है।” आत्ममुग्ध सत्ताधीश ने प्यार से आत्मिक संतोष से संसद में यह बात कही। इसको सुनकर गदगद हो जाइए।

न्होंने कहा ‘महात्मा गांधी’ हमारी प्रेरणा हैं। इस पर प्रसन्न हो जाइए। बापू का नाम बहुत आत्मीयता से लिया उन्होंने। उनके तमाम पुराने भाषणों को याद कीजिये और उनका एजेंडा समझिये। वो जब कहते हैं ‘सबका साथ, सबका विकास’ तब मुसलमानों, दलितों की क्या दशा होती है।

वो जब ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ का नारा लगाते हैं तब बेटियों का क्या हाल है यह आप जानते हैं। जब किसानों की आय दुगुनी करने की बात करते हैं तभी किसानों को ‘दिल्ली’ में अपनी खोपड़ी लिए अपना ही ‘मल मूत्र’ पीना पड़ता है।

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में इस आंकड़े को उजागर किया कि पिछले तीन साल में यानी इनकी सरकार के कार्यकाल में 12,201 ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है।

युवा रोज़गार आप जानते हैं। सैनिकों की शहादत,आप जानते हैं। जब यह आयुष्मान भारत कहते हैं, तब बच्चों की मौत की सुनामी आती है और यह ‘मौन’ हो जाते हैं। पर आप मतदातों पर यह बड़ा गर्व करते हैं की आप दूध का दूध और पानी का पानी करना जानते हैं।

पने इनको हर तरह से आजमा कर संसद भेजा है। यह आपकी कसौटी पर खरे उतरे हैं इसलिए आपने इनको प्रचंड बहुमत दिया है, पर यह जो कहते हैं उसको कभी आपने डिकोड किया है कि यह जो कहते हैं ठीक उसका उलट करते हैं। देश की सुरक्षा की बात से शुरू करते हैं। सैनिकों की शहादत हुई, यह चुनाव जीत गए, पर क्या सैनिकों पर हमले रुके?

ज भी आतंकी हमले बदस्तूर जारी हैं। किसान की आय दुगुनी नहीं हुई, अडानी और अम्बानी की हुई। कालेधन में जान आपने गंवाई, लाइन में आप लगे, ऑफिस इनकी पार्टी का आलीशान बना। सारा कालाधन इनकी पार्टी के खातों में जमा हुआ... अब तो कालेधन का नाम ‘गुप्तदान’ हो गया है... सरकारी बैंकों का कर्जा ना चुकाने वाले पूंजीपतियों की लिस्ट इनके पास है... उन पर कारवाही नहीं करते घिघ्घी बंध जाती है।

सी तरह इनकी बात को समझो इनका ध्यान ‘जड़ों’ पर है। देश की बुनियाद पर है। देश की बुनियाद है ‘सर्वधर्म समभाव’ जिसको बापू ने अपनी राजनीतिक चेतना से सींचा। संविधान ने उसे स्वीकारा। उस बुनियाद, उस जड़ पर इनकी नज़र है, क्योंकि पांच साल में इनको चुनाव जीतने से यह भ्रम हो गया है कि इन्होंने ‘नेहरु’ को वाया पटेल और कश्मीर निपटा दिया। अम्बेडकर को ‘दलित’ प्रेम से... और संविधान सम्मत बहुमत की सरकार बना ली।

ब हिन्दू राष्ट्र के इनके सपने में सबसे बड़ा अडंगा है बापू। उनका वध करने वाले आज ‘बापू’ को प्रेरणा मान रहे हैं। दरअसल यह प्रेरणा नहीं उनके एजेंडे की सबसे बड़ी बाधा है। अब बापू प्रेम से ‘बापू’ को निपटाना है ...बापू निपट गए तो ‘हिन्दू राष्ट्र’ की पताका फहराना आसान होगा।

सके प्रति अब यह यानी इनका परिवार आश्वस्त है ...क्योंकि यह देश के लिए जीने का जज़्बा 125 करोड़ देशवासियों में जगाना चाहते हैं। यह जगायेंगे भी क्योंकि ‘राष्ट्रवाद’ के उन्माद में रोटी, रोज़गार नहीं देना पड़ता... बस भूसे में आग लगानी पड़ती है और उसमें यह ‘विकारी’ माहिर हैं!

हे राम!

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