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गौमांस बेचने के आरोप में मुस्लिम शख्स को बुरी तरह पीटा, जबरन खिलाया सुअर का मांस
68 वर्षीय बुजुर्ग शौकत अली को गौमांस के शक में न सिर्फ भीड़ ने बुरी तरह पीटा, बल्कि उसे मौत का डर दिखा सुअर का मांस भी खिलाया गया। जो भीड़ शौकत अली के साथ इस अमानवीय हरकत को अंजाम दे रही थी, उसे भड़काया गया था कि वह गाय का मांस बेच रहा था...
जनज्वार। मॉब लिंचिंग की घटनाएं देश में रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इन घटनाओं में खासकर मुस्लिमों और दलितों को जिस तरह निशाना बनाया जा रहा है, वो कई सवाल खड़े करता है। साथ ही तकरीबन 99 फीसदी घटनाओं में मॉब लिंचिंग के अगुवा लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता है।
ताजा घटना असम की है, जहां मात्र गौमांस बेचने के शक में उन्मादी भीड़ ने एक मुस्लिम शख्स की लिंचिंग की कोशिश की। यही नहीं उसे जबरन सुअर का मांस भी खिला दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक असम के विश्वनाथ चरीअली इलाके के 68 वर्षीय बुजुर्ग शौकत अली को गौमांस के शक में न सिर्फ भीड़ ने बुरी तरह पीटा, बल्कि उसे मौत का डर दिखा सुअर का मांस भी खिलाया गया। जो भीड़ शौकत अली के साथ इस अमानवीय हरकत को अंजाम दे रही थी, उसे भड़काया गया था कि वह गाय का मांस बेच रहा था।
साथ ही यह भी जानकारी सामने आ रही है कि उन्मादी भीड़ ने शौकत अली की नागरिकता को लेकर भी सवाल उठाये और उनसे राष्ट्रीयता का पहचान दिखाने की मांग भी की गई। गौरतलब है कि असम में एनआरसी तैयार किया जा रहा है, जिसमें दर्ज शख्स को ही भारत का नागरिक माना जाएगा।
शौकत अली पर स्थानीय भीड़ ने आरोप लगाया कि वह विश्वनाथ चरीअली की स्थानीय मार्केट में बीफ बेच रहे थे। गौरतलब है कि असम में बीफ पर बैन नहीं लगा है, मगर जो लोग इसका व्यवसाय करते है। उन्हें जानवरों को मारने के लिए एक सर्टिफिकेट लेना होता है।
सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है। जानकारी के मुताबिक यह घटना 7 अप्रैल की है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि मुस्लिम बुजुर्ग शौकत अली कीचड़ में घुटनों के बल बैठा हुआ है और उसके आसपास भीड़ जमा है।
समाचार पत्र द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वनाथ चरीअली के डिप्टी कमिश्नर पबित्र राम खौंड ने कहा है कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए हमारे महकमे ने 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। पीड़ित को हॉस्पिटल पहुंचाकर इलाज कराया गया है और अब शौकत अली खतरे से बाहर हैं।
भीड़ शौकत अली से पूछ रही है कि क्या उनके पास बीफ बेचने का लाइसेंस है। साथ ही शौकत की राष्ट्रीयता और नागरिकता को कटघरे में खड़ा कर लिंचिंग पर आमादा भीड़ पूछती है कि क्या उनके पास नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स सर्टिफिकेट है या फिर वे बांग्लादेशी हैं?
वहीं मीडिया रिपोर्ट में स्थानीय पुलिस के हवाले से कहा जा रहा है कि शौकत अली व्यवसायी हैं और इस इलाके में 35 सालों से दुकान चला रहे थे।