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बस्तर में शांति के लिए आयोजित होने जा रही साइकिल यात्रा का नक्सलियों ने किया विरोध
प्रतीकात्मक फोटो।
माओवादियों ने इस साइकिल यात्रा का विरोध करते हुए कहा है कि यह यात्रा सार्वजनिक संपत्तियों को देशी—विदेशी कारपोरेट घरानों के हवाले करने का कूटनीतिक प्रपंच है, आयोजक हैं देशी—विदेशी कॉरपोरेट घरानों के विश्वसनीय सेवक और एजेंट...
जनज्वार। नक्सलवादियों का गढ़ माना जाने वाले बस्तर में सुभ्रांशु चौधरी की अगुवाई में एक साइकिल यात्रा की शुरुआत 22 फरवरी से जगदलपुर से होगी, मगर शुरू होने से पहले ही यह चर्चा में आ गई है। चर्चा का कारण है कि नक्सलियों ने इस साइकिल यात्रा का सीधे—सीधे बायकॉट कर दिया है। पर्चे—बैनरों से नक्सलियों ने इस यात्रा का यह कहते हुए विरोध किया है कि साइकिल यात्रा से बस्तर में कभी भी शांति स्थापित नहीं होगी।
गौरतलब है कि 22 फरवरी से सुभ्रांशु चौधरी के संयोजन में बस्तर सहित पूरे मध्यभारत में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से साइकिल यात्रा शुरू हो रही है, जो 22 फरवरी को जगदलपुर से स्टार्ट की जाएगी। यह शांति यात्रा 28 फरवरी को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचेगी, इसके बाद 1 व 2 मार्च को बस्तर डायलॉग के तहत एक बैठक आयोजित किये जाने की योजना है। इसी दौरान नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर में शांति स्थापित करने पर विचार विमर्श होगा।
जहां नक्सली पर्चे—पोस्टरों से शांति यात्रा का विरोध कर रहे हैं, वही साइकिल यात्रा का नेतृत्व करने वाले सुभ्रांशु चौधरी कहते हैं कि बस्तर में शांति लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है, साइकिल यात्रा भी हमारी उसी कोशिश का एक हिस्सा है।
इस साइकिल यात्रा में आदिवासी सामाजिक संगठन - छग सर्व आदिवासी समाज, अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा, कोया कुटुम , ध्रुवा समाज, बस्तरिया समाज, भतरा समाज, गोंडवाना राज गोंड समिति व शबरी गांधी आश्रम जैसे संगठन हिस्सेदारी कर रहे हैं।
पर्चों और पोस्टरों के जरिए माओवादियों की केंद्रीय कमेटी और दंडकारण्य जोनल कमेटी ने आगामी 22 से 28 फरवरी तक सुभ्रांशु चौधरी की रायपुर से जगदलपुर तक प्रस्तावित शांति साइकिल यात्रा की खिलाफत की है कि साइकिल यात्रा से शांति असंभव है।माओवादियों ने इस साइकिल यात्रा का विरोध करते हुए कहा है कि यह यात्रा सार्वजनिक संपत्तियों को देशी—विदेशी कारपोरेट घरानों के हवाले करने का कूटनीतिक प्रपंच है। इसके अलावा माओवादियों की सेंट्रल कमिटी और दंडकारण्य जोनल कमिटी ने आगामी संसदीय चुनाव का भी बहिष्कार किया है। पर्चों के जरिये कहा गया है कि सच्ची भारतीय जनता संघीय जनतांत्रिक गणतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करे।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की तरफ से जारी पोस्टर में लिखा है'असली शांति के लिए जन युद्ध व जन संघर्ष में आगे बढ़ो!' और 'संसाधनों की कॉरपोरेट लूट बंद करने, कैंपों को बंद कर पुलिस, अर्ध-सैनिक बलों को वापस भेजने की मांग करें!' शुभ्रांशु चौधरी के बारे में पर्चे में लिखा है, 'ये देशी, विदेशी कॉरपोरेट घरानों के विश्वसनीय सेवक और एजेंट हैं।'
वहीं दूसरी तरफ सुभ्रांशु चौधरी कहते हैं, 2 अक्टूबर 2018 को आंध्र प्रदेश से जगदलपुर तक एक पद यात्रा भी इसी उद्देश्य से निकाली गई थी, जिसमें सैंकड़ों आदिवासियों ने हिस्सा लिया था। यह साइकिल यात्रा उसी की दूसरी कड़ी है। इस साइकिल यात्रा के बाद 1 व 2 मार्च को होने वाली बैठक में सरकार से पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच की अध्यक्षता में बनी समिति के कार्यों को लेकर चर्चा की जाएगी। इसमें जेलों में बंद आदिवासियों की रिहाई को लेकर भी बात की जाएगी।