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जनज्वार विशेष

निराशावादियों के मुकाबले सकारात्मक सोच रखने वालों की उम्र बढ़ जाती है 15 प्रतिशत

Prema Negi
28 Aug 2019 12:31 PM GMT
निराशावादियों के मुकाबले सकारात्मक सोच रखने वालों की उम्र बढ़ जाती है 15 प्रतिशत
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सकारात्मक विचारों वाले लोगों की अधिक उम्र का राज उनकी सोच है। समस्याएं सबके पास आती हैं, पर सकारात्मक विचारों वाले इन समस्यायों से निराश नहीं होते और इसका हल ढूँढने का प्रयास करते हैं...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

ज की जटिल दुनिया में सकारात्मक विचार रखना या आशावादी होना कठिन है, क्योंकि हरेक उपभोग की वस्तु हमें नकारात्मकता की ओर ले जाती है। पर एक नए अध्ययन से स्पष्ट होता है कि सकारात्मक विचार आपकी उम्र बढ़ा सकते हैं। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ़ नेशनल अकादमी ऑफ़ साइंसेज नामक जर्नल के नवीनतम अंक में प्रकाशित किया गया है।

स अध्ययन को इस तरीके का सबसे बड़ा अध्ययन कहा जा रहा है क्योंकि इसमें हजारों लोगों को शामिल किया गया है और लगभग तीन दशक के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। इसमें बताया गया है कि आशावादी लोगों की उम्र निराशावादी लोगों की अपेक्षा 15 प्रतिशत अधिक होती है।

र्नल में प्रकाशित अध्ययन में पहले किये गए दो अध्ययन के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। इसमें से एक अध्ययन 69744 महिलाओं पर किया गया था, जबकि दूसरा 1429 पुरुषों पर। दोनों अध्ययनों में लोगों से एक प्रश्नावली के माध्यम से पूछा गया था कि वे अपने भविष्य के बारे में क्या सोचते हैं। फिर उनके जवाबों के आधार पर उन्हें सकारात्मक सोच रखने वाले आशावादी या नकारात्मक सोच रखने वाले निराशावादी के वर्गों में बांटा गया।

स अध्ययन के अनुसार आशावादी महिलाओं की उम्र निराशावादी महिलाओं की अपेक्षा 14.9 प्रतिशत तक अधिक होती है, जबकि आशावादी पुरुषों की उम्र 10.9 प्रतिशत तक अधिक रहती है।

स अध्ययन में लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति, उनका व्यवहार, खान-पान, व्यायाम करने की आदतें और इसी प्रकार के दूसरे क्षेत्रीय संतुलन का भी विश्लेषण किया गया। निराशावादी महिलाओं की तुलना में आशावादी महिलाओं के लिए 1.5 गुना अधिक संभावना रहती है कि वे 85 वर्ष की उम्र पार कर जाएँ। पुरुषों के वर्ग में यह संभावना 1.7 गुना अधिक रहती है।

जकल आशावाद से सम्बंधित बहुत सारे ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किये जाते हैं और यह पूरी दुनिया में एक बड़ा कारोबार बन गया है। कुछ लोगों को इसका फायदा भी होता है। पर इस अध्ययन में बड़ी इमानदारी से यह बताया गया है कि आंकड़ों में ऐसे लोग शामिल नहीं किये गए हैं और इस विषय पर नया और विस्तृत अध्ययन की जरूरत है।

ध्ययन के अनुसार सकारात्मक विचारों वाले लोगों की अधिक उम्र का राज उनकी सोच है। समस्याएं सबके पास आती हैं, पर सकारात्मक विचारों वाले इन समस्यायों से निराश नहीं होते और इसका हल ढूँढने का प्रयास करते हैं। सकारात्मक विचारों वाले लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक रहते हैं।

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