नशे में धुत बोलेरो ड्राइवर ने कुचला 33 बच्चों को, 9 की मौत
शराब प्रतिबंधित बिहार में दिनदहाड़े शराब के नशे में धुत्त बोलेरो ड्राइवर ने कुचला स्कूल के आगे रोड क्रास कर रहे मासूमों को....
मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर में कल 24 फरवरी को एक भीषण हादसे में नौ बच्चे असमय मौत के मुंह में समा गए। यह घटना उस समय घटी जब बच्चे अपने स्कूल के सामने की सड़क पार कर रहे थे।
एक बेलगाम बोलेरो दर्जनों बच्चों को रौंदते हुए निकल गई। बोलेरो का ड्राइवर उस वक्त नशे में धुत था। नौ बच्चों की मौत के अलावा दर्जनों बच्चे जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
हालांकि हादसे के बाद मृतकों के परिजनों को सांत्वना देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 4—4 लाख रुपए देने की घोषणा कर दी है, मगर इस हर्जाने से वो मासूम वापस तो लौटकर नहीं आएंगे। उन मांओं के कलेजे के टुकड़े वापस स्कूल से घर नहीं पहुंचेंगे, जिन्हें उन्होंने पढ़ने के लिए भेजा था।
यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर का है, जहां धर्मपुर स्कूल के 9 बच्चों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है और लगभग 30 बच्चे घायल हुए हैं। इस घटना में एक बात और गौर करने वाली है कि दिनदहाड़े नशे में धुत ड्राइवर के कारण इतने बच्चे मौत के मुंह में चले गए, जबकि नीतीश बाबू ने बिहार में शराब को प्रतिबंधित किया हुआ है।
शुरुआती जांच में सामने आया कि बच्चों को रौंदने वाली बोलेरो भाजपा नेता मनोज बैठा की है, जो भाजपा के सीतामढ़ी जिला इकाई के महासचिव हैं।
एक साथ इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को बोलेरो ड्राइवर रौंदते हुए निकल गया तो वहां चीख—पुकार मची। जल्दी—जल्दी बच्चों को एसकेएसमीएच अस्पताल पहुंचाया गया, मगर तब तक 9 बच्चे मर चुके थे। अभी भी आधे दर्जन से ज्यादा बच्चों की हालत बहुत गंभीर बनी हुई है।
एसकेएसमीएच अस्पताल का परिसर मृत बच्चों के परिजनों की चीत्कार से दहल रहा था। अपने बच्चे को खो चुकी जानकी देवी बदहवास सी है, रोते—रोते कहती है, 'हमरा छोड़ के कहां चल गेला हो हमर बिरजू, अब हम केकरा सहारे जिंदा रहबई। हो बाबू साहेब सब कोई त हमर लाल के चेहरा दिखा द। हम अब कौन बेटा के स्कूल जाये लेल सुबह-सुबह तैयार करबई। कौन हमरा से रोज स्कूल जाये के लेल 20 रुपइया मंगतई। हे भगवान ई कौन जुल्म हमरा परिवार पर ढाह देला। अब केना जिंदगी कटतई।' बेटे बिरजू की मौत की खबर सुनने के बाद एसकेएसमीएच पहुंची जानकी देवी बदहवास थी.
वह इमरजेंसी के बाहर अपने कलेजे के टुकड़े की एक झलक पाने के लिए तड़प रही थी. परिवार के लोग उसकी स्थिति देख उसे इमरजेंसी में अंदर नहीं जाने दे रहे थे. दोपहर करीब तीन बजे जब उसे पता लगा कि उसके बेटे को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.
हादसे में इंदु की 10 वर्षीय पुत्री नीता की मौत हो चुकी है और 12 वर्षीय बेटे चमन का कुछ पता नहीं चल पा रहा था। लगातार रोते हुए कह रही थी, 'हमर बाबू के देखे द हो गार्ड साहेब। उ जिंद हई कि होगेलई कुछ पता न चल पा रहल हई। बाहर जाइछी त लोग सब कहई छई कि अंदर तोहर बेटा के इलाज चलई छऊ, आ अंदर गेली त हमर बेटा न मिललई। कोई त बता द कि हमर बाबू कहां है हो लोग सब।'
कुछ ऐसा ही हाल और परिजनों का भी है, जिनमें से कुछ अपने बच्चों को खो चुके हैं, तो कई के बच्चे जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं।