दिल्ली में आंदोलनकारी छात्रों का उदघोष, आपातकाल जैसा अत्याचार कर रही मोदी सरकार
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आंदोलनकारी छात्र बोले आपातकाल के बाद आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ है और ये सब बीजेपी सरकार कर रही है। आज के समय में लोगों को CAA और NRC के खिलाफ एकजुट नहीं किया जा सकता है, नहीं तो उनको भी शासन-प्रशासन के इशारे पर गिरफ्तार कर लिया जा रहा है....
विकास राणा की रिपोर्ट
कल 23 दिसंबर को भी देश में मोदी सरकार के विवादास्पद कानून CAA और NRC के खिलाफ देश के अलग अलह हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन किए गए। जहां कांग्रेस ने पूरे देश में जन सत्याग्रह आंदोलन चलाया, जिसमें पार्टी सांसदों के अलावा विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने विभिन्न स्थानों पर धरने दिए, इसके अलावा वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने भी कई जगहों पर कानून के खिलाफ धरने दिए।
दिल्ली में उत्तर प्रदेश में हुई बर्बरता के खिलाफ आईसा के बैनर तले योगी आदित्यनाथ सरकार के इस्तीफे को लेकर और 400 के करीब आंदोलनकारियों की रिहाई को लेकर दिल्ली में उत्तर प्रदेश भवन में आंदोलन किया गया। साथ ही असम में सामाजिक कार्यकर्ता अखिल गगोई की रिहाई की मांग को लेकर भी आईसा द्वारा प्रदर्शन किया। इसमें छात्रों ने अखिल गगोई की रिहाई की मांग की, अखिल गगोई को नागरिकता कानून के विरोध में कड़े यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिसमें एक विशेष अदालत द्वारा उन्हें 10 दिन के लिए एनआईए की हिरासत में भेज दिया गया है।
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दिल्ली में आज 23 दिसंबर को हुए आइसा के इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने जबरन छात्रों को गिरफ्तार कर आंदोलन करने से रोका और उन्हें पुलिस बस में बिठा कर मंदिर मार्ग थाने ले गई। पुलिस का कहना था कि असम भवन और उत्तर प्रदेश भवन के आसपास के इलाके में धारा 144 लगा दी गई है, जिसके कारण यहां पर आंदोलन नहीं किया जा सकता है। लेकिन आंदोलनकारियों का कहना था कि पुलिस के पास लिखित में कोई प्रूफ नहीं था, जिसके कारण इलाके में धारा 144 लगाई जाए।
आंदोलनकारी छात्रों का कहना था कि सिर्फ यहां ही नहीं पूरे देश में ये सरकार और उसकी पुलिस लोगों के अभिव्यक्ति के अधिकार को दबाने की कोशिश कर रही है। लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन नहीं करने दिया जा रहा। इस दौरान पुलिस को जहां छात्र दिखाई दिए उनकी गिरफ्तारी कर ली गई। कई छात्रों का कहना था कि वह आंदोलन में शामिल नहीं रहे, फिर भी उन्हें जबरन गिरफ्तार कर लिया गया।
इसके अलावा पुलिस को जिस भी व्यक्ति पर शक हो रहा था, उसको हिरासत में लिया जा रहा था, ये जाने बिना की वह व्यक्ति आंदोलन में शामिल है या नहीं। आइसा के जनरल सेक्रेटरी ने जनज्वार को बताया कि पुलिस ने कई स्थानीय लोगों को भी गिरफ्तार किया है।उत्तर प्रदेश भवन के बाहर आंदोलन कर रहे छात्रों को भी आंदोलन नहीं करने दिया गया। धारा 144 होने के बावजूद पुलिस ने दो व्यक्ति भी अगर आसपास चल रहे थे तो उन्हें हिरासत में ले लिया।
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इस मामले पर जनज्वार को आइसा के जनरल सेक्रेटरी संदीप ने बताया, मैं सुबह के समय जब उत्तर प्रदेश भवन के पास आंदोलन करने गया तो पुलिस ने मुझे आंदोलन से रोका और गिरफ्तार कर लिया। इस समय पूरे देश में सीएए के खिलाफ आंदोलन चल रहा है और आंदोलनकारियों को सरकार बुरी तरह से प्रताड़ित कर रही है। उत्तर प्रदेश में ही अभी तक 400 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हैं और ये लोग सिर्फ गिरफ्तार ही नहीं, बल्कि इन लोगों को जेल में भी डाल दिया गया है।
संदीप कहते हैं, सरकारी आकड़ों के मुतबिक ही अब तक सीएए और एनआरसी की खिलाफत कर रहे 16 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं जो लोग आंदोलन कर रहे हैं उनके ऊपर गंभीर आरोप लगा के उनकी गिरफ्तारियां की जा रही हैं। जो प्रदर्शन कर रहा है, उसके ऊपर सीधा पुलिस के द्वारा फायरिंग की जा रही है। इसी के खिलाफ आज हमने उत्तर प्रदेश भवन के सामने आंदोलन किया था, हमारी ये ही मांग थी कि जो 400 आंदोलनकारी अभी तक गिरफ्तार किए गए हैं, उन्हें रिहा किया जाए।
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प्रदर्शन में शामिल रहे छात्र कहते हैं जब हम असम भवन में आंदोलन के लिए आए तो हमें जबरदस्ती ही उठा लिया गया। जो लोग आंदोलन वाली जगह से दूर थे उनको भी गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ स्थानीय लोगों को जो आंदोलन का हिस्सा नहीं थे, उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
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छात्रों के मुताबिक हम लोगों के साथ थाने में कई लोग ऐसे थे जो असम भवन में खाना खाने के लिए आए थे, उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। ऐसा करके पुलिस एक दहशत का माहौल बनाना चाहती थी। ये सब एक लोकतंत्र के लिए कहीं से भी ठीक नहीं है। यहां पर लोग शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन भी नहीं कर पा रहे हैं। आपातकाल के बाद आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ है। और ये सब बीजेपी सरकार कर रही है। आज के समय में लोगों को सीएए के खिलाफ एकजुट नहीं किया जा सकता है, नहीं तो उनको भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
आंदोलनकारी कहते हैं, असम में भी अंग्रेजों के समय के कानून यूएपीए को लाकर लोगों की गिरफ्तारियां की जा रही हैं। इसके खिलाफ हम लोगों ने दोनों जगहों पर आंदोलन करना चाहा था, लेकिन हमें शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन नहीं करने दिया गया।
एक प्रदर्शनकारी छात्रा ने जनज्वार को बताया कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लोगों को मार रही है। कई इलाकों को बंद कर दिया गया है। सारे इलाकों में धारा 144 लगा दी गई है। लोगों के घरों में जाकर उनकी संपत्ति को सील किया जा रहा है, ये पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। असम में जिस तरह के हालात बने हुए हैं, उसके विरोध में हम आंदोलन करने आए थे। लेकिन हम लोगों को पुलिस ने आंदोलन नहीं करने दिया। यहां पर प्रशासन द्वारा पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी गई। अब ऐसे दिन आ गए हैं कि लोगों को शांति से आंदोलन भी नहीं करने दिया जा रहा है। देश पूरी तरह से अघोषित आपातकाल लगा दिया गया है।