दलित दरोगा की पिटाई का मुकदमा उसी थाने में नहीं हुआ दर्ज, जहां का है वह चौकी इंचार्ज
22 जुलाई को कुछ दबंगों द्वारा सार्वजनिक स्थल पर दलित दरोगा के साथ मारपीट की गई। मगर बजाए इस मामले में अपने थाना इंचार्ज की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच—पड़ताल करने के पीड़ित दरोगा को निलंबित कराने के प्रयास अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा किए जा रहे हैं...
पंकज सहाय की रिपोर्ट
जालौन, जनज्वार। पुलिस हर मामले की जांच—पड़ताल कर रिपोर्ट दर्ज करती है, मगर जब यहां भी जाति के आधार पर भेदभाव किया जाए और अपने ही ईमानदार चौकी इंचार्ज के उत्पीड़न मामले की रिपोर्ट न लिखी जाए तो यह बात चौंकाती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश में योगीराज के अच्छे दिनों में। यहां दलित दरोगा के साथ हुई मारपीट मामले में खुद उसके थाने में ही रिपोर्ट नहीं लिखे जाने का मामला सामने आया है।
घटनाक्रम के मुताबिक उत्तर प्रदेश के जिला जालौन थाना कोतवाली कालपी क्षेत्र की चौकी रामगंज चौकी इंचार्ज देवी प्रसाद जो कि अनुसूचित जाति से आते हैं, कल 22 जुलाई को कुछ दबंगों द्वारा सार्वजनिक स्थल पर दलित दरोगा के साथ मारपीट की गई। मगर बजाए इस मामले में अपने थाना इंचार्ज की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच—पड़ताल करने के पीड़ित दरोगा को निलंबित कराने की तमाम कोशिशें अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा की जा रही हैं।
जानकारी के अनुसार कोतवाली कालपी योगीराज में लूट का अड्डा बन चुकी है। यहां सवर्ण सिपाहियों का पूरा स्टाफ जनता को खुलेआम लूट रहा है। जिस दलित दारोगा के साथ मारपीट की गई, उसकी पोस्टिंग यहां 15 दिन पूर्व ही हुई है, लेकिन उसे कोतवाली में कमरा तक मुहैया नहीं कराया गया है।
चूंकि देवी प्रसाद जाति से दलित हैं इसलिए कमरे के बजाय खुले परिसर में खटिया डालकर पेड़ के नीचे उनके सोने की व्यवस्था की गई है। लगातार खुले में सोने के कारण वह बीमार पड़ गए। दरोगा अपने इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कालपी में दवा लेने रात्रि 10:20 पर इमरजेंसी में थे। यहां पर एक दबंग ने उन्हें लात—घूसों से बहुत मारा। कहा जा रहा है कि इस मारपीट में उनके साथ काम करने वाले सिपाहियों की भी भूमिका रही है।
जब मारपीट के बाद दरोगा अपनी कोतवाली पहुंचा, तो थाने में बैठे उपनिरीक्षक ने उन पर गालियों की बौछार तो की ही, साथ ही घटना की रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई। उपनिरीक्षक ने धमकी दी कि तुम्हें नौकरी में रहते हुए नशे में होने का मेडिकल बनवाकर सस्पेंड करवा देंगे।
पुलिस स्टाफ से डॉक्टर की सेटिंग होने की वजह से मेडिकल ऑफिसर ने मनमुताबिक मेडिकल रिपोर्ट भी बना दी, जबकि दरोगा के मुंह पर कई चोटें आईं, जिन्हें बिल्कुल नहीं दर्शाया गया। उल्टा नशे में होने के साथ दरोगा पर छेड़खानी का आरोप भी जड़ दिया गया, जबकि किसी महिला ने दरोगा पर छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई थी।
सवाल है कि जब दलित दरोगा के खिलाफ छेड़खानी की कोई रिपोर्ट ही दर्ज नहीं करवाई गई थी तो छेड़खानी का सवाल आया कहां से।
खबरों के मुताबिक कोतवाली कालपी में एक चर्चित दबंग नेटवर्क चलता है, जिसने पूरी कोतवाली को लूट का अड्डा बनाया हुआ है। यह नेटवर्क टॉप लेबल के अधिकारियों तक तक काफी मजबूत था। अब तक कोतवाली के दरोगा उसी के इशारों पर नाचते थे, मगर देवी प्रसाद उनका साथ नहीं दे रहे थे।
देवीप्रसाद से पूर्व यहां के चौकी इंचार्ज रहा दरोगा ट्रांसफर होने के बाद भी यह कोतवाली नहीं छोड़ना चाहता है, क्योंकि दलित दरोगा देवी प्रसाद बालू माफिया, भूमाफिया से दूरी बनाकर चल रहे हैं। नए दरोगा की माफियाओं से सांठगांठ न होना भ्रष्ट सिपाहियों को रास नहीं आ रहा था। इसीलिए देवी प्रसाद को उस समय निशाना बनाया गया जब वह अपना इलाज करवाने गए थे। पुलिस और माफिया ने लोकल गुंडों से सांठगांठ कर दलित जाति से ताल्लुक रखने वाले दरोगा को खूब पिटवाया, जिससे कि उनके अंदर खौफ पैदा हो।
मारपीट और तमाम चोटों के बावजूद दलित दरोगा की एफआईआर दर्ज नहीं होना और गलत मेडिकल करवाया जाना इस बात की तरफ इशारा करता है कि भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को एक ईमानदार चौकी इंचार्ज रास नहीं आ रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर पुलिस के दरोगा के साथ हुई मारपीट की ही रिपोर्ट नहीं लिखी जाएगी, तो आम जनता के साथ पुलिस क्या करती होगी इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
अंबेडकर महासभा जालौन ने उक्त मामले में पुलिस के आला अधिकारियों से दरोगा देवी प्रसाद की FIR एवं आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है।