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समाज

छोटी जात का कह पड़ोसियों ने अर्थी को कंधा देने से किया मना तो बेटा अकेले साइकिल पर ले गया मां की लाश

Prema Negi
17 Jan 2019 4:49 PM IST
छोटी जात का कह पड़ोसियों ने अर्थी को कंधा देने से किया मना तो बेटा अकेले साइकिल पर ले गया मां की लाश
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इससे ज्यादा इंसानियत शर्मसार क्या हो सकती है कि 17 वर्षीय सरोज को अपनी मरी हुई मां के अंतिम संस्कार तक के लिए चार कंधे इसलिए नसीब नहीं हुए, क्योंकि वह छोटी जात में पैदा हुआ और इस परिवार का तथाकथित उच्च जातियों ने सामाजिक बहिष्कार किया हुआ था

जनज्वार। जातिगत भेदभाव की हमारे समाज में कितनी गहरी जड़ें पैठी हुई हैं, इसका एक बड़ा शर्मनाक उदाहरण ओडिशा के भुवनेश्वर में पड़ने वाले एक गांव में सामने आया है। 17 वर्षीय एक बेटा अपनी मां का शव का अंतिम संस्कार साइकिल पर लाद अकेले करने के लिए इसलिए मजबूर हुआ, क्योंकि वह छोटी जाति से ताल्लुक रखता था और कथित उच्च जातियों ने उनका बहिष्कार किया हुआ था।

जी हां, इससे ज्यादा इंसानियत शर्मसार क्या हो सकती है कि 17 वर्षीय सरोज को अपनी मरी हुई मां के अंतिम संस्कार तक के लिए चार कंधे इसलिए नसीब नहीं हुए, क्योंकि वह छोटी जात में पैदा हुआ और इस परिवार का तथाकथित उच्च जातियों ने सामाजिक बहिष्कार किया हुआ था।

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक बुधवार 16 जनवरी को ओडिशा के करपाबहल गांव की जानकी सिंहानिया एक कुएं से पानी भरते समय गिर गई और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। मौत की खबर मिलने के बावजूद आस—पड़ोस वाले जानकी की लाश को कंधा तक देने इसलिए नहीं आए, क्योंकि छोटी जाति के कारण यह परिवार सामाजिक बहिष्कार झेल रहा था। लड़के का मां की लाश साइकिल पर ले जाना वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

जानकी के बेटे सरोज ने पड़ोसियों से मिन्नतें कीं, मगर सबने सामाजिक बहिष्कार और छोटी जा​त का कहते हुए उसकी मां जानकी की अर्थी को कंधा देने के लिए आने से साफ़ मना कर दिया। मजबूरन 17 साल का सरोज अपनी मां की लाश को साइकिल में लादकर लगभग चार—पांच किलोमीटर दूर छर्ला जंगल पहुंचा और वहां उसने अपनी माँ के शव को दफनाया।

गौरतलब है कि जानकी सिंहानियां के पति का पहले ही देहांत हो चुका था, इसलिए वह अपने बेटी और बेटे के साथ अपनी मां के घर रहती थी।

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