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कोरोना की महामारी के बीच पिछले 2 हफ्तों में पंजाब के 1800 NRI गए विदेश

Prema Negi
19 April 2020 5:45 AM GMT
कोरोना की महामारी के बीच पिछले 2 हफ्तों में पंजाब के 1800 NRI गए विदेश
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पंजाब में पिछले दो हफ्तों में 1800 से अधिक प्रवासी भारतीय अलग-अलग देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, इटली और जर्मनी के लिए रवाना हुए हैं, और सैकड़ों लोग अपनी बारी इंतजार कर रहे हैं...

जनज्वार। भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का कहर जारी है। ऐसे में पूरी दुनिया के देशों ने देश के अंदर लॉकडाउन लगा लिया है, जिस कारण लोग अपने घरों में कैद रहने को मजबूर है। मगर पंजाब में पिछले दो हफ्तों में 1800 से अधिक प्रवासी भारतीय अलग-अलग देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, इटली और जर्मनी के लिए रवाना हुए हैं, और सैकड़ों लोग अपनी बारी इंतजार कर रहे हैं।

सा तब हुआ है जब हजारों की संख्या में लोग सरकार से उनकी वापसी के लिए विशेष उड़ानों की व्यवस्था करने का अनुरोध कर रहे है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुतबिक शनिवार 18 अप्रैल को 271 एनआरआई का एक समूह ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट में अमृतसर से लंदन के लिए रवाना हुआ था। वहीं आस्ट्रेलिया और अमेरिका जाने के लिए 300 एनआरआई का एक और समूह अमेरिकी और आस्ट्रेलियाई दूतावासों द्वारा आयोजित विशेष उड़ानों में जाने के लिए लुधियाना से दिल्ली हवाई अड्डे के लिए बसों में रवाना हुआ था।

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से में जब बड़ी संख्या में विदेशों में बसे पंजाबियों को महामारी के से बचने के लिए मुल्क में वापस आने के लिए उत्सुक हैं। ऐसे में कई लोग जोखिम के बावजूद वापस जाने के लिए उत्सुक हैं।

लॉकडाउन के दौरान नवांशहर जिले के उचा लधना गांव के अमृजपाल सिंह और उनकी पत्नी पैगी मेहलिग जो एक जर्मन नागरिक हैं, जर्मनी की विशेष उड़ान में सवार होने के तीन असफल प्रयास किए हैं। वे 29 फरवरी को भारत आए थे और 21 मार्च को वापिस लौटने वाले थे, जिससे पहले देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी।

हीं नवाशहर के बलाचौर उपखंड के गांव गहून के माखन सिंह इटली में रोम के पास लतीना जाना चाहते हैं। लतीना में वह एक खेत मजदूर हैं। वह मार्च के अंत में वापिस इटली जाने वाले थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण वह जा नहीं पाए। लुधियाना के रायकोट से मनदीप कौर का कहना है कि वह बर्लिन लौटने का इंतजार नहीं कर सकती हैं। जर्मन दूतावास के साथ एक विशेष उड़ान के बारे मं बात चल रही है। लेकिन वह फ्लाइट फिनलैंड जाएगी। जहां मुझे कनेक्टिंग फ्लाइट मिलने से पहले 26 घंटे रुकना होगा।

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र्मनी जाने वाले अमृतपाल सिंह ने कहा कि जर्मनी में कोई लॉकडाउन नहीं है। लोगों ने उचित सामाजिक दूरी के मानदंडों को अपनाते हुए अपने व्यवसाय के साथ चल रहे हैं। वहां कि चिकित्सा प्रणाली भी काफी बढ़िया है। उनका कहना था कि भारत सरकार को उचित हवाई किराए पर विशेष उड़ानों की व्यवस्था करके जर्मनी जाने वाले लोगों की मदद करनी चाहिए क्योंकि कुछ विशेष उड़ाने तीन गुणा कीमत वसूल रही हैं।

इस मामले पर चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कहना है कि इससे पहले भी लॉकडाउन के दौरान भूटान से पारो के लिए स तीन विशेष विमानों ने उड़ान भरी है। जिसमें 200 भूटानी नागरिक थे। इसके अलावा एक विमान ने 100 लोगों को भी दिल्ली छोड़ा है, जो अमेरिका जाने वाले थे।

हीं इस मामले पर सीईओ कुमार ने कहा कि किसी भी विशेष उड़ान को उड़ाने के लिए डीजीसीए द्वारा परमिशन लेना जरूरी होता है। डीजीसीए की मंजूरी के बिना कोई भी उड़ान नहीं भरी जा सकती।

मृतसर हवाई अड्डे के निदेशक, मनोज कुमार चंसारिया के मुताबिक विदेशी नागरिकों के लिए निकासी की उड़ानें रही हैं और अब तक लगभग 1800 यात्रियों के लिए कई उड़ानें भरी गईं, जिनमें 1000 से अधिक ब्रिटिश नागरिक, 147 कनाडाई, 95 अमेरिकी नागरिक, 170 मलेशियाई नागरिक शामिल हैं। 13 अप्रैल से 18 अप्रैल तक पांच विशेष उड़ानें अमृतसर से लंदन के लिए रवाना हुई हैं। ब्रिटेन ने पंजाब से ब्रिटिश नागरिकों को वापस लाने के लिए 21, 23, 25 और 27 अप्रैल को अमृतसर से चार अतिरिक्त उड़ानों की घोषणा की है।

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