पति के सामने दलित महिला का गैंगरेप करने वाले आरोपियों पर 23 दिन बाद हुई चार्जशीट दाखिल
गैंगरेप करने वाले गुर्जर युवाओं ने बनाया था दलित महिला का वीडियो, जिसके बल पर पहले ऐंठे गए पीड़ित परिवार से पैसे और बाद में कर दिया सोशल मीडिया पर वायरल, भारी विरोध के बाद इस मामले में पुलिस ने लिया एक्शन...
जनज्वार। 26 अप्रैल को अलवर जिले के थानागाजी थाना क्षेत्र में पति के सामने ही दलित महिला का सामूहिक बलात्कार करने के बाद वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया था। सामूहिक बलात्कार के बाद पीड़ित परिवार को दबंग जाति के दबंग युवकों द्वारा डराया-धमकाया और पैसा वसूला जा रहा था, जिस कारण पीड़ित परिवार ने 5 दिन बाद शिकायत दर्ज की। मगर पुलिस ने बलात्कारियों पर तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की, मीडिया में खबर वायरल होने के बाद पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई की और 7 मई को बहुत दबाव के बाद एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया। ऐसा तब किया गया, जबकि बलात्कारियों के चेहरे वीडियो में साफ—साफ देखे जा सकते थे।
कहा जा रहा है कि चुनावों के कारण पुलिस ने इस खबर को दबाये रखा। 4 दिन बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू की। वहीं सामूहिक बलात्कार की घटना को 23 दिन बीत जाने के बाद के बाद इस मामले में पुलिस ने सभी 6 बलात्कार आरोपी गुर्जर युवकों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की है।
मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक अलवर में दलित महिला का गैंगरेप उसके पति के सामने करने वाले सभी 6 बलात्कारियों के खिलाफ पुलिस ने आज 18 मई को अदालत में चार्जशीट दाखिल की है।
घटनाक्रम के मुताबिक 6 दबंग जाति के युवकों ने ने 26 अप्रैल को बाइक पर जा रहे नवविवाहित दलित पति पत्नी को पहले जबर्दस्ती रोका और उसके बाद दलित महिला से छेड़खानी करने लगे। जब पति ने इसका विरोध किया तो उसके साथ दुर्व्यवहार कर मारपीट की। उसके कपड़े उतारे और उसके सामने ही पत्नी का सामूहिक बलात्कार किया। जब ये पांचों महिला का सामूहिक बलात्कार कर रहे थे तो इनका एक साथी बलात्कार का वीडियो शूट कर रहा था। इन लोगों ने महिला का गैंगरेप का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया, जो वायरल हो गया।
इस मामले की जांच कर रहे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिरंजी लाल कहते हैं, 'दलित महिला का सामूहिक बलात्कार करने वाले सभी आरोपियों के खिलाफ शनिवार 18 मई को पुलिस द्वारा आरोप पत्र दायर कर दिया गया है।'
इस मामले में एफआईआर 2 मई को दर्ज की गई थी और बाद में पुलिस ने बलात्कार के 5 आरोपियों को आईपीसी और एससी/एसटी एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया। एक अन्य आरोपी, जिसने वीडियो शूट किया था और सोशल मीडिया पर अपलोड किया था, उसे भी आईटी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले में जहां पीड़ित परिवार का कहना है कि चुनावों के चलते पुलिस ने पहले इस मामले को दबाकर रखा, वहीं पुलिस कह रही है कि दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करने वाले दबंग यहां की मजबूत मानी जाने वाली जाति गुर्जर समाज से आते हैं और क्षेत्र में उनका राजनीतिक प्रभाव भी है, इसलिए शुरू में डर के कारण बलात्कार पीड़िता की ओर से रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई गई थी।
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पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट में लिखा था कि आरोपी लड़के आपस में एक दूसरे का नाम छोटेलाल उर्फ सचिन, जीतू व अशोक बुला रहे थे। दो लड़कों के नाम वह नहीं सुन पाई। आरोपियों ने सामूहिक दुष्कर्म करने के साथ ही उसका वीडियो भी बनाया और जाते समय उसे धमकी दी की अगर इस घटना की रिपोर्ट लिखाई या किसी को बताया तो तुम्हारा बलात्कार का वीडियो वायरल करके तुम्हारे पति की हत्या कर देंगे। इसी धमकी के डर से 26 अप्रैल को घटित गैंगरेप की वारदात की रिपोर्ट पीड़ित परिवार ने 2 मई को लिखवाई और पुलिस ने और भी देरी करते हुए 4 दिन बाद मामले में संज्ञान लिया है। उसके बाद भी बलात्कार करने वाले गुर्जर युवा पीड़िता के पति को रोजाना मोबाइल पर धमकाने के साथ घटना का वीडियो वायरल करने की धमकी दे रहे थे।
इस घिनौने कृत्य के बाद गैंगरेप के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर डाले जाने से पीड़ित परिवार गहरे सदमे में रहा। मामले के व्यापक विरोध के बाद इसमें कार्रवाई की गई।
पुलिस को दिए बयान में अपने साथ हुई दरिंदगी के बारे में दलित महिला ने जो बताया था, वह भयावह और रोंगटे खड़े कर देने वाला था। उसने बताया कि तीन घंटों तक उसके साथ गुर्जर लड़के दरिंदगी करते रहे, उसे और उसके पति को पीटा गया और उनके कपड़े फाड़ दिए गए। आरोपियों ने उनके पैसे भी छीन लिए और घटना का वीडियो बनाकर पहले सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं करने के लिए उन्होंने उनसे फिरौती मांगी और बाद में पैसे देने के बावजूद आरोपियों ने घटना का एक वीडियो और कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर कर दीं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।