योगी सरकार ऊपर से अफसरशाही पर नकेल कसने और चुस्त-दुरुस्त होने के चाहे जितने भी दावे कर ले, लेकिन अंदरखाने अफसरशाही और प्रशासनिक अमले पर सरकार की पकड़ बहुत ढीली है, यकीन नहीं आता तो देख लीजिए ये वीडियो...
गोरखपुर से अतुल शुक्ला की रिपोर्ट
गोरखपुर, जनज्वार। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपने ही गृह-जनपद गोरखपुर में पुलिस भाजपा नेताओं की नही सुन रही है। आलम यह है कि पैरवी करने जा रहे भाजपा नेताओं को पुलिसकर्मी बेइज्जत करके वापस कर दे रहे हैं। ऐसा ही एक वाकया कल रविवार 10 जून को पेश आया, जब झंगहा थाने के पुलिसकर्मियों ने एक मामले में पैरवी करने पहुंचे भाजपा के स्थानीय नेता सुभाष पासवान को बुरी तरह अपमानित करके थाने से बाहर कर दिया।
गौरतलब है कि दस दिन पहले एक और मामले में यही नेताजी थाने पर पहुंचे थे और थानेदार से उलझ बैठे थे। सप्ताह भर बाद जब भाजपा नेताओं ने मामले को तूल दिया और अधिकारियों से थानेदार की शिकायत की तो बीते शनिवार को थानेदार को हटा दिया गया था। घटना से आक्रोशित पुलिसवालों ने कल रविवार 10 जून को फिर से रौब गांठने पहुंचे भाजपा नेता को बुरी तरह जलील करके खदेड़ दिया।
थानेदार ने कहा- अमुक पार्टी जॉइन कर लीजिए नेताजी, नेताजी ने प्रत्यारोप लगाया बसपा नेता के पास रहता है थानेदार का सीयूजी
बीती 28 मई को भाजपा नेता सुभाष पासवान ने एडीजी को प्रार्थना पत्र देकर एसओ झंगहा इंस्पेक्टर गंगाराम पर आरोप लगाया था कि जब वह एक मामले में पैरवी करने थाने पर पहुंचे तो एसओ ने उन्हें एक पार्टी का नाम लेकर सुझाव दिया कि आप यह पार्टी जॉइन कर लीजिए। साथ ही भाजपा नेता का यह भी आरोप था कि एसओ का सीयूजी मोबाइल बसपा नेता के पास रहता है। इस मामले में जब एक हफ्ते तक कोई कार्यवाही नही हुई तो भाजपा के नेताओं ने दबाव बनाकर शनिवार 9 जून को थानेदार को हटवा दिया, जिसके बाद थाने के पुलिसकर्मी भाजपा नेता से खार खाये बैठे थे।
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रविवार 10 जून को एक मार्ग दुर्घटना के मामले में एक पक्ष की पैरवी लेकर भाजपा नेता फिर से थाने पहुंच गए और पुलिसकर्मियों पर रोब गांठने की कोशिश करने लगे।आक्रोशित पुलिसकर्मियों ने भाजपा नेता को जलील करके और धक्के देकर खदेड़ दिया।
गौरतलब है कि इस समय सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने गोरखपुर प्रवास पर हैं। भाजपा नेता ने पुलिस वालों को धमकाया है कि वह कल 11 जून को मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें मामले से अवगत कराएंगे।
यह तो एक बानगी भर है। पूरे प्रदेश में यही आलम है कि खाकी, खादी व नौकरशाही में आपस में संयोजन ठीक नहीं है। सरकार ऊपर से चुस्त-दुरुस्त होने के चाहे जितने भी दावे कर ले, लेकिन अंदरखाने अफसरशाही और प्रशासनिक अमले में सरकार की हनक अच्छी नहीं है। मुख्यमंत्री अफसरशाही पर नकेल लगाने की जितनी भी कवायद कर रहे हैं, अफसरशाही और प्रशासनिक अमला उतना ही छिटककर उनकी पहुंच से छूट रहा है।
देखिए किस तरह से हड़का रही है यूपी पुलिस भाजपा नेता को :