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पिछले वर्ष दुनिया में पोलियो की वैक्सीन से पोलियो के फ़ैलने के 105 मामले सामने आये, जबकि 35 मामलों में इसका कारण प्राकृतिक वायरस थे...
महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन को उम्मीद थी कि वर्ष 2019 में दुनिया से पोलियो का नामो-निशान मिट जाएगा, पर इस संगठन में पोलियो अनुसंधान के मुखिया रोलैंड सतर के अनुसार ऐसा अब मुमकिन नहीं लगता और ताजा हालात में यह बताना भी कठिन है कि दुनिया पोलियो-मुक्त कब होगी? विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और रोटरी फाउंडेशन वर्ष 1988 से दुनिया को पोलियो मुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं और इस कार्यक्रम पर लगभग 16 अरब डॉलर खर्च किये जा चुके हैं।
भारत में 2014 के बाद पोलियो के नए मामले सामने नहीं आये हैं और वर्ष 2016 में पोलियो मुक्त घोषित किया जा चुका है, पर समस्या पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के साथ है। पाकिस्तान में तो पोलियो के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस वर्ष अब तक पाकिस्तान में पोलियो के 51 मामले सामने आ चुके हैं, जो वर्ष 2018 की तुलना में चार गुना से भी अधिक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की परेशानी यह है कि पाकिस्तान में चार-गुना अधिक मामले ऐसे महीनों में सामने आये जब पोलियो के वायरस लगभग निष्क्रिय रहते हैं। इसका मतलब यह है कि आने वाले महीनों में इससे कहीं अधिक मामले उजागर होंगे। पिछले वर्ष पाकिस्तान से पोलियो के वायरस इरान तक पहुँच गए थे। दुनिया में तीन देश ऐसे हैं – पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और नाइजीरिया - जहां पोलियो के प्राकृतिक वायरस अभी तक मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त अफ्रीका के कुछ देशों में पोलियो की वैक्सीन से ही पोलियो के फ़ैलने के मामले सामने आये हैं।
पिछले वर्ष दुनिया में पोलियो की वैक्सीन से पोलियो के फ़ैलने के 105 मामले सामने आये, जबकि 35 मामलों में इसका कारण प्राकृतिक वायरस थे। वैसे दुनिया की जनसंख्या की तुलना में यह संख्या नगण्य लग सकती है, पर पोलियो वायरस से संक्रमित 200 व्यक्तियों में से केवल एक को ही लकवा होता है। लकवा के बाद ही पोलियो का पता लगता है, इसका सीधा सा मतलब है कि पोलियो के वायरस से संक्रमित आबादी हजारों में होगी।
'दो बूँद जिन्दगी की' ने हमारे देश से तो पोलियो को मिटा दिया, पर पड़ोसी देश से इसके वायरस दुबारा देश में प्रवेश नहीं करेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है। दुनिया के अधिकतर देशों में पोलियो के टीकाकरण का काम जोर—शोर से चलाया गया, पर अनेक देशों में कई उग्रवादी संगठनों ने इसका विरोध भी किया था। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ने इसका विरोध किया और इस कार्यक्रम को लोगों तक पहुँचने नहीं दिया।
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता ने इस कार्यक्रम को प्रभावित किया। पिछले वर्ष वहां के चुनावों के समय लम्बे अंतराल तक इस कार्यक्रम पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब तो इंतज़ार इस बात का है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कब दुनिया को पोलियो-मुक्त घोषित करता है।