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लॉकडाउन में गरीब हिंदू पडोसी की मौत, नहीं आये परिजन तो मुस्लिम समाज ने किया अंतिम संस्कार
मुस्लिम समाज के नागरिकों के इस कदम से एक बार फिर साबित हो गया है कि चाहे राजनैतिक दल अपने स्वार्थ के लिए दो धर्मों के बीच वैमनस्य की कितनी भी बड़ी दीवार खड़ी क्यों न कर दें। लेकिन जब बात मानवता की हो तब कोई जाति या धर्म मानवता से बड़ा नहीं हो सकता...
जनज्वार। कोरोना महामारी के दौरान जमातियों को लेकर जहां सोशल मीडिया पर अलग-अलग संप्रदायों के आम नागरिकों से लेकर राजनीतिक दलों के बीच भी अघोषित वॉर छिड़ी हुआ है। मेरठ में मंगलवार को हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की अनूठी मिसाल देखने को मिली। शहर के शाहपीर गेट क्षेत्र में कायस्थ धर्मशाला में रहने वाले हिंदू भाई का अचानक निधन होने पर मुस्लिम समाज ने आगे आकर न सिर्फ उनके अंतिम संस्कार की सभी जिम्मेदारियां निभाईं बल्कि शव को कंधा भी दिया।
मुस्लिम समाज के नागरिकों के इस कदम से एक बार फिर साबित हो गया है कि चाहे राजनैतिक दल अपने स्वार्थ के लिए दो धर्मों के बीच वैमनस्य की कितनी भी बड़ी दीवार खड़ी क्यों न कर दें। लेकिन जब बात मानवता की हो तब कोई जाति या धर्म मानवता से बड़ा नहीं हो सकता। दरअसल शाहपीर गेट इलाके में स्थित कायस्थों की धर्मशाला में वर्षों से रमेश माथुर का परिवार रह रहा है। रमेश का एक पुत्र मेरठ में तो एक दिल्ली में रहता है।
क्षेत्रवासियों के मुताबिक लंबी बीमारी के चलते मंगलवार को अधेड़ रमेश माथुर की मौत हो गई। इसके बाद क्षेत्र के मुस्लिम मृतक के परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए। मुस्लिम संप्रदाय के क्षेत्रवासियों ने रमजान के बावजूद कोई परहेज ना मानते हुए रमेश के अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी की। इसके बाद उनके शव को कंधा देकर अंतिम संस्कार में परिवार के लोगों के साथ खड़े रहे। क्षेत्र के सभी निवासियों का कहना है कि वह बरसों से एक परिवार की तरह रहते आए हैं। उन्होंने शहर के सभी लोगों से भी भाईचारे के साथ रहने की अपील की।